उगता भारत ब्यूरो 11 सितम्बर 1857 आज का ही दिन था जब…बिठूर में एक पेड़ से बंधी 13 वर्ष की लड़की को, ब्रिटिश सेना ने जिंदा ही आग के हवाले किया, धूँ धूँ कर जलती वो लड़की, उफ़ तक न बोली और जिंदा लाश की तरह जलती हुई, राख में तब्दील हो गई। ये लड़की […]
Author: उगता भारत ब्यूरो
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मेरा जन्म एक ऐसे परिवार में हुआ जो आर्य समाजी था। मेरे पिता जी भी आर्य समाजी थे और माता जी तथा उनका परिवार भी आर्य समाजी था। हालांकि मैं यहां स्पष्ट कर दूं कि मेरे पिताजी के जीवन में कुछ विशेष परिवर्तन काफी लम्बे समय बाद घटित हुए। आर्यसमाज की विचारधारा के अनुरूप उनमें […]
*भारत में वैदिक युग के सूत्रधार – स्वामी विरजानन्दजी दण्डी* (जन्म-१७७८ई. – निर्वाण १८६८ ई.) १.आर्य समाज के संस्थापक महर्षि दयानन्द सरस्वती के विद्यादाता एवं पथ-प्रदर्शक महान गुरु विरजानन्द दण्डी (बचपन का नाम व्रजलाल) का जन्म पूज्य पिता श्रीनारायणदत्त के भरद्वाज गोत्र सारस्वत ब्राह्मणकुल में १७७८ ई. में करतापुर, जिला जालन्धर (पंजाब) में हुआ था। […]
राष्ट्रभाषा के रूप में हिन्दी का स्वरूप –
लेखक – प्रो० मंगलदेव ‘लाम्बा’, एम० ए० स्त्रोत – समाज संदेश सितंबर 1971 गुरुकुल भैंसवाल कलां का मासिक पत्र प्रस्तुति – अमित सिवाहा राष्ट्रभाषा के महत्व पर यहां कुछ कहने की गुंजाइश नहीं है बाईबल में बेवल के मिनार की एक कथा आती है कि आदम के बेटों ने आसमान तक पहुंचने के लिए एक […]
45 साल के महात्मा गाँधी 1915 में भारत आते हैं, 2 दशक से भी ज्यादा दक्षिण अफ्रीका में बिता कर। इससे 4 साल पहले 28 वर्ष का एक युवक अंडमान में एक कालकोठरी में बन्द होता है। अंग्रेज उससे दिन भर कोल्हू में बैल की जगह हाँकते हुए तेल पेरवाते हैं, रस्सी बटवाते हैं और […]
अचानक भारतीय कंपनीयों का ही विरोध क्यों ? जबकि विदेशी कंपनियाँ बहुत समय से कई क्षेत्रों मे कब्जा करके बैठी हैं” उनका क्यों नहीं? अडानी” ओर “अंबानी “जिस जिस व्यापार मे आये, विदेशी कंपनियों की बैंड बजा दी । बस यही कारण है की इन विदेशी एजेंटों द्वारा अपने ही देश का बहिष्कार हो रहा […]
अस्त्र-शस्त्र का उत्तर अस्त्र-शस्त्र से देना उचित है। लेकिन विचारों का उत्तर तो विचार ही हो सकता है। किसी विचार, किसी लेख-कविता या पुस्तक के उत्तर में तलवार निकालना मजबूती नहीं, कमजोरी की निशानी है। किन्तु अरब से लेकर यूरोप, एसिया, अफ्रीका तक, हर कहीं इस्लामी नेता और संगठन सरल, संयत, वैचारिक संघर्ष से बचते […]
कहा जाता है कि बचपन में बच्चों के निर्दोष मस्तिष्क पर जो कुसंस्कार अंकित हो जाते है उन कुसंस्कारों को हटाना अत्यन्त दुष्कर कार्य होता है। प्रसिद्ध पाश्चात्य साहित्यकार स्व. मार्क ट्वेईन (Mark Twain) को बच्चों के कोमल मस्तिष्क को बिगाडने वाली बाईबल की अभद्र शिक्षाओं पर तंज कसने का एक अवसर मिला था, जिसका […]
यह अंधेरगर्दी कब तक?
#डॉ_विवेक_आर्य देवदत्त पटनायक काल्पनिक उपन्यास लिखने वाले लेखक है जिनके विषय मुख्य रूप से पौराणिक देवी-देवता होता हैं। आपके उपन्यास न केवल तथ्य रहित होते है बल्कि वैदिक सिद्धांतों से भी कोसो दूर होते हैं। मेरे विचार से यह व्यापार तुरंत बंद किया जाना चाहिए क्यूंकि इसके दूरगामी परिणामों पर कोई ध्यान नहीं देता। आज […]
राज कुमार सिंह देश जब आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है, आजादी के आंदोलन की अगुवा रही कांग्रेस अपने भविष्य ही नहीं, शायद अस्तित्व के संकट से रूबरू है। इस गंभीर संकट से निपटने की कांग्रेस आलाकमान की नीति-रणनीति भी आशा जगाने के बजाय निराशा ही बढ़ाने वाली है। दशकों तक देश पर एकछत्र […]