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मुद्दा

सूअर की चर्बी को गैर-हिन्दू समाज भी स्वीकार कर सकता है क्या

दिव्य अग्रवाल सनातनी समाज कितना दोषी है यह भी आत्ममंथन करना चाहिए , गैर-हिन्दू समाज के प्रतिष्ठानों में जाकर उनके द्वारा निर्मित मांसाहार को चटकारे लेकर जो हिन्दू खाते हैं वह क्या सनातन धर्म के सम्मान को धूमिल नहीं कर रहे, मंदिर समितियों के पदाधिकारी अपने वर्चस्व का प्रदर्शन करते हुए जब गैर-हिन्दू समाज के […]

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इसलाम और शाकाहार

मुसलमानों का पक्का ईमान ?

मुसलमान अक्सर यह कहते हैं कि ,हम अपने ईमान के पक्के हैं ,हमारा इमान पुख्ता है ,हम ईमान से समझौता नहीं कर सकते .तो लोग इसे भूल से इसे मुसलमानों की ईमानदारी( Honesty )समझ लेते हैं .वैसे इमान का अर्थ विश्वास (faith ,Belief ,Creed )भी होते हैं लेकिन बहुत कम लोग मुसलमानों के इमान का […]

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समाज

रोज़गार के संकट से जूझती गांव की युवा पीढ़ी

मुरमा कंवर लूणकरणसर, राजस्थान कृषि, पशुधन और हस्तशिल्प हमेशा से ग्रामीण राजस्थान की पारंपरिक जीवनशैली का केंद्र रहे हैं. इन स्रोतों से हजारों परिवार अपनी आजीविका कमाते रहे हैं. लेकिन हाल के वर्षों में बदलती परिस्थितियों, जलवायु परिवर्तन और प्रौद्योगिकी के प्रसार ने राजस्थान की ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बुरी तरह प्रभावित किया है. जिससे बेरोजगारी […]

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इतिहास के पन्नों से

छपिया के स्वामीनारायण की बाललीलायें

आचार्य डॉ. राधेश्याम द्विवेदी एतिहासिक पृष्ठभूमि अनादि काल से ही भारत अवतारों, ऋषियों और साधुओं से सुशोभित होता रहा है। जब-जब दुष्ट तत्व धर्म का दमन करते हैं, तब-तब भगवान धर्म की पुनः स्थापना के लिए धरती पर अवतार लेते हैं। त्रेता के युग में भगवान रामचंद्र और द्वापर के अंत में भगवान कृष्ण दो […]

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कविता

मृत्यु को जानो

*********** नित बढ़ रहे हैं हम मृत्यु की ओर जिसका हमें कौड़ी भर नहीं ज्ञान जीने की लालसा लिए बैठे हैं हम कितने दिन जिएंगे, नहीं अनुमान। मृत्यु को जो देखते स्वयं के पास फटकते नहीं दुष्कर्म ,उनके पास निष्कलंकित होता जीवन उनका हो जाते हैं आम जनों में,वे खास। उम्र हमारा बढ़ रहा या […]

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भयानक राजनीतिक षडयंत्र

जब सुप्रीम कोर्ट ने वक़्फ़ बोर्ड से पूछा – ताजमहल का मालिक शाहजहाँ था, इसके काग़ज़ कहाँ हैं?

जब सुप्रीम कोर्ट ने वक़्फ़ बोर्ड से पूछा – ताजमहल का मालिक शाहजहाँ था, इसके काग़ज़ कहाँ हैं। वक़्फ़ को तो वह ताजमहल तब देगा, जब वह उसका मालिक होगा। काग़ज़ तो दिखाना पड़ेगा। सच्चा किस्सा 2005 में जब यूपी मे मुलायम सिंह और केंद्र में मनमोहन सिंह थे, तब ताजमहल वक़्फ़ को दे दिया […]

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इसलाम और शाकाहार

सेकुलर और मुसलमान क्या चाहते हैं ?

सेकुलर शब्द विदेश से आयातित और सबसे अधिक भ्रामिक शब्द है .इसलिए भारत की किसी भी भाषा में “सेकुलर ” के लिए कोई समानार्थी और पर्यायवाची अर्थ नहीं मिलता है .लेकिन कुछ चालाक लोगों ने हिंदी में ” सेकुलर ” का अर्थ ” धर्मनिरपेक्ष ” शब्द गढ़ दिया था .यदपि इस शब्द का उल्लेख न […]

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समाज

शोषण के खिलाफ अब बोलती हैं किशोरियां

रजनी प्रकाश / सोनम कुमारी पटना, बिहार “स्कूल जाते थे तो कुछ लड़के कभी कभी कमेंट करते रहते थे. एक दिन हम लोग अच्छे से सुना दिए, खूब ज़ोर ज़ोर से चिल्ला कर उनको बोलने लगे. आसपास लोग भी जमा हो गए थे. सब मिलकर उन लड़कों को खूब डांटे. उसके बाद से आज तक […]

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पर्यावरण

22 सितम्बर विश्व नदी दिवस पर विशेष- नदियां हैं तो जल है..जल है तो कल है

सुरेश सिंह बैस “शाश्वत” एवीके न्यूज सर्विस बढ़ते हुए प्रदूषण की वजह से नदियों का जल दुषित प्रदूषित होता जा रहा है एक पुरानी कहावत है की “नदियां सब कुछ बदल सकती हैं”! गत वर्ष के नदी दिवस का थीम इसी वाक्य को लेकर रखा गया था। भारत नदियों की धरती है। भारत और बांग्लादेश […]

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आओ कुछ जाने

अल्लाह की किताबों पर हदीसें हावी

वास्तव में मुसलमान क्या मानते हैं ,या किस किताब को प्रमाणिक मानते है ,इसके बारे में एक बंगलादेशी मुस्लिम विद्वान् “अबुल कासिम “ने यह कहा है कि”मुसलमान केवल यही बात मानते हैं कि ,वह कुछ नहीं मानते “,सिवाय अपने मतलब के “वह कुरान कि अहि आयतों और हदीसों को मानते हैं ,जो वक्त पर उनके […]

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