( हिंदू एक्टिविस्टों की पीड़ा ) ==================== आचार्य श्री विष्णुगुप्त मुझे तो एक से बढ़ कर एक भीषण, खतरनाक और जानलेवा अुनभव है, हिन्दुत्व के लिए अपनी जान जोखिम में डाला, दो-दो बार जानलेवा हमले का शिकार हुआ, कई बार जान लेने की कोशिश हुई पर भगवान-भाग्य भरोसे बचता गया। अपनी अक्ल और दूरदर्शिता की […]
Author: उगता भारत ब्यूरो
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राजपूतों का उद्भव
उगता भारत ब्यूरो 9वीं 10वीं शताब्दी के बीच उत्तर भारत में एक नये शासक वर्ग का उदय हुआ, जो राजपूत कहलाये। मुख्यतः यह राजपूत राजवंश प्रतिहार साम्राज्य के अवशेषों से उभरे थे। 10वीं से 12वीं शताब्दी तक उत्तरी, पश्चिमी और मध्य भारत के एक बढ़े क्षेत्र पर इनका राजनैतिक वर्चस्व बना रहा। उनके आधीन एक […]
-कुरु महाजनपद उगता भारत ब्यूरो कुरु महाजनपद कुरु महाजनपद पौराणिक 16 महाजनपदों में से एक था। इसमें आधुनिक हरियाणा तथा दिल्ली का यमुना नदी के पश्चिम वाला अंश शामिल था। इसकी राजधानी आधुनिक दिल्ली (इन्द्रप्रस्थ) थी। पुराण वर्णित प्रसिद्ध राजा कुरु के नाम पर ही इसका यह नाम पड़ा था। तथ्य- *एक प्राचीन देश जिसका […]
विवेक रंजन श्रीवास्तव विगत वर्ष के परिप्रेक्ष्य में दुनिया के अन्य देशो की तुलना में भारत की प्रगति के आंकड़े देखें तो जहाँ कोरोना जनित कारणों से दुनिया के अनेक देशो की आर्थिक प्रगति बाधित रही है वहीँ आर्थिक समीक्षा 2021-22 के अनुसार भारतीय अर्थव्यवस्था 9.2 प्रतिशत की वास्तविक वृद्धि दर्ज कर रही है। वर्ष […]
उगता भारत ब्यूरो प्रारंम्भिक भारतीय इतिहास में छठी शताब्दी ईसापूर्व को परिवर्तनकारी काल के रूप में महत्त्वपूर्ण माना जाता है। यह काल प्राय: प्रारंम्भिक राज्यों, लोहे के बढ़ते प्रयोग और सिक्कों के विकास के के लिए जाना जाता है। इसी समय में बौद्ध और जैन सहित अनेक दार्शनिक विचारधाराओं का विकास हुआ। बौद्ध और जैन […]
-वि० स० बिनोद आजकल कुछ सिख उग्रवादियों और औरंगजेब के अनुयायियों के बीच बहुत गाढ़ी छन रही है। उन्हें गुरु गोविन्द सिंह का वह पत्र पढ़ना चाहिये जो गुरुजी ने औरंगजेब को लिखा था। मूल पत्र गुरुमुखी में लिखा गया था , इसलिए इस पत्र का उपयोग पश्चिमी इतिहासकार न कर सके। यहां प्रस्तुत हैं […]
-डा. भरत मिश्र प्राची टैक्स लेने की कोई नई परम्परा नहीं है। आदि काल से यह परम्परा चली आ रही है। राजतंत्र में राजा भी राज्य के काम काज, लोकहितार्थ आम जनता से टैक्स विभिन्न रूप में वसूल किया करते। लोकतंत्र में भी यह परमपरा कायम है। प्रशासनिक व्यवस्था बनाये रखने, राजकाज चलाने एवं आम […]
प्रियंका साहू मुजफ्फरपुर, बिहार आज का युग सूचना तकनीक का युग है। सूचना क्रांति की इस दौड़ से पूरी दुनिया ग्लोबल विलेज बन गई है। सूचना भेजने से लेकर प्राप्त करने तक के सभी कार्य अब सुलभ और अनिवार्य होते जा रहे हैं। ऑनलाइन परीक्षा, बैंक लेनदेन, व्यापार-धंधा, पढ़ाई-लिखाई, देश-दुनिया के समाचार, सूचना, योजना, परियोजना, […]
राजनीति में राजनीतिक वफादारी और नैतिकता
मेरा अनुभव है कि सरकार बदलने के साथ ही बहुत सारी बातें अनायास ही बदल जाती हैं या अमल में आती हैं.नयी नीतियाँ,नये नियम,नये आदेश,नये लोग,और नयी समझ का आगाज़ होता है.यह एक स्वाभाविक प्रक्रिया है क्योंकि “तिल तिल नूतन होय”—वाला आप्त-वचन प्रकृति और राजनीति दोनों पर लागू होता है.पिछले दिनों मेरे एक मित्र आग […]
भारत में दलित कौन है ?
दलित कौन? दलित अंग्रेज़ी शब्द डिप्रेस्ड क्लास का हिन्दी अनुवाद है। ये शब्द हमारे किसी धर्म ग्रथ या इतिहास में नही मिलता है।भारत में वर्तमान समय में ‘दलित’ शब्द कुछ विशेष वर्ग के साथ जोड़ दिया है जिसको गरीबी और अशिक्षा के कारण लम्बे अरसे तक शोषण-उत्पीडन का शिकार खेलना पड़ा। दरअसल दलित शब्द का […]