ऋषिराज नागर (एडवोकेट) भारत के ऋषियों के दृष्टिकोण से देखा जाए तो परिवार शब्द की बड़ी व्यापक परिभाषा है। मैं, मेरी पत्नी और मेरे बच्चे तक सीमित रहना परिवार को बहुत छोटे दायरे में ले आना होता है उस दायरे से ऊपर उठकर परिवार बसाना और अंत में सारी वसुधा को ही परिवार मानना व्यापक […]
लेखक: उगता भारत ब्यूरो
जेपी नड्डा की भस्मासुरी करतूत पढ़ाता हूं मैं ================= आचार्य श्री विष्णुगुप्त नरेन्द्र मोदी के अभियान 2024 के लिए नड्डा भस्मासुर साबित होंगे, खलनायक साबित होंगे, कमजोर कड़ी साबित होंगे? नड्डा के अंहकार, जातिवादी मानसिकताएं, अति महत्वाकांक्षाएं अब मोदी और भाजपा के लिए भारी नुकसान के कारण बन रहीं हैं। दिल्ली नगर निगम और हिमाचल […]
सबसे पहले इन्द्र और अहल्या की कथा जो अब तक प्रचलित है वह बताते हैं फिर सच्चाई से अवगत कराते हैं…. देवों का राजा इन्द्र देवलोक में देहधारी देव था। वह गौतम ऋषि की स्त्री अहल्या के साथ जारकर्म किया करता था। एक दिन जब उन दोनों को गौतम ऋषि ने देख लिया, तब इस […]
इतिहास का पुनर्मूल्यांकन सभी भारतीयों के गौरव का दिन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने अपने मंत्रिमंडल की आपात बैठक बुलाई. मीटिंग में हाज़िर लोग थे – वित्त मंत्री यशवंत चौहान, रक्षा मंत्री बाबू जगजीवन राम, कृषि मंत्री फ़ख़रुद्दीन अली अहमद, विदेश मंत्री सरदार स्वर्ण सिंह और इन राजनेताओं से अलग एक ख़ास आदमी- सेनाध्यक्ष जनरल सैम […]
अन्तिम समय की बातें आज 16 दिसम्बर 1927 ई० को निम्नलिखित पंक्तियों का उल्लेख कर रहा हूँ, जबकि 19 दिसम्बर 1927 ई० सोमवार (पौष कृष्णा 11 सम्वत् 1984 वि०) को 6 बजे प्रातःकाल इस शरीर को फाँसी पर लटका देने की तिथि निश्चित हो चुकी है। अतएव नियत समय पर इहलीला संवरण करनी होगी। यह […]
@ कमलेश पांडेय/वरिष्ठ पत्रकार व स्तम्भकार जिस देश के उच्च सदन यानी राज्य सभा में समान नागरिक संहिता लागू करने या करवाने के सवाल पर सत्ता पक्ष और विपक्ष में नोंकझोंक हो, वहां पर लोकतंत्र के भविष्य पर निश्चित रूप से कुछ भी कहना बेमानी होगी। यदि सभी देशवासियों के वोट की कीमत एक समान […]
@ कमलेश पांडेय/वरिष्ठ पत्रकार व स्तम्भकार जिस देश के उच्च सदन यानी राज्य सभा में समान नागरिक संहिता लागू करने या करवाने के सवाल पर सत्ता पक्ष और विपक्ष में नोंकझोंक हो, वहां पर लोकतंत्र के भविष्य पर निश्चित रूप से कुछ भी कहना बेमानी होगी। यदि सभी देशवासियों के वोट की कीमत एक समान […]
प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने अपने मंत्रिमंडल की आपात बैठक बुलाई. मीटिंग में हाज़िर लोग थे – वित्त मंत्री यशवंत चौहान, रक्षा मंत्री बाबू जगजीवन राम, कृषि मंत्री फ़ख़रुद्दीन अली अहमद, विदेश मंत्री सरदार स्वर्ण सिंह और इन राजनेताओं से अलग एक ख़ास आदमी- सेनाध्यक्ष जनरल सैम मानेकशा. अप्रैल 29, 1971 के दिन ‘क्या कर रहे […]
14 दिसम्बर 1971 – बांग्लादेश का निर्माण होना और पाकिस्तान की सेना का आत्मसमर्पण निश्चित हो चुका था. 14 दिसम्बर उनके शासन का अंतिम दिन था. 16 दिसम्बर को आत्मसमर्पण किया था. उस दिन पाकिस्तानी सुन्नी मुस्लिम सेना ने बंगलादेश के लगभग 200 बुद्धिजीवियों को फांसी पर टांग दिया. इसमें साहित्यकार, चिकित्सक, वकील, प्रोफेसर, पत्रकार […]
जब-जब मजबूत और अखंड भारत के बाद आएगी तब तक पर लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल का जिक्र जरूर आएगा। देश को एकता और अखंडता के सूत्र में पिरोने वाले पहले उप प्रधानमंत्री सरदार पटेल अपने मजबूत संकल्प शक्ति के लिए हमेशा जाने गए। वह सरदार पटेल ही थे जिन्होंने बिखरे भारत को एक […]