मध्य प्रदेश में कांग्रेस पार्टी आजादी के बाद से लेकर 2003 तक (1977-1980 को छोड़ दिया जाए) लगातार सत्ता में रही। इस बीच कांग्रेस के कई दिग्गज नेताओं ने प्रदेश की बागडोर संभाली। लेकिन 10 साल लगातार बागडोर संभालने के बाद दिग्विजय सिंह जब 2003 में उमा भारती के करिश्माई नेतृत्व के कारण सत्ता से […]
लेखक: उगता भारत ब्यूरो
परम पूज्यनीय श्री गुरुजी की राष्ट्र निर्माण दृष्टिकोण समझने और समझाने के लिए यह तर्कसंगत होगा कि सर्वप्रथम हम उस प्रेरणा पूंज, प्रकाश स्त्रोत और आभामंडल को स्पर्श करें, जहां से श्री गुरु जी के चिंतन को पृष्ठ पोषण मिला है। श्री गुरु जी की राष्ट्र निर्माण दृष्टि का सिंहावलोकन करते समय अनेक अवसर पर […]
“दिल्ली के बादशाह नवाब नजीबुद्दौला के दरबार में एक सुखपाल नाम का ब्राह्मण काम करता था। एक दिन उसकी लड़की अपने पिता को खाना देने महल में चली गयी। मुग़ल बादशाह उसके रूप पर मोहित हो गया। और ब्राह्मण से अपनी लड़की कि शादी उससे करने को कहा और बदले में उसको जागीरदार बनाने का […]
………… येन द्योरुग्रा पृथ्वी च दृढा येन स्व स्तभितं येन नाकः। यो अन्तरिक्षे रजसो विमान: कस्मै देवाय हविषा विधेम।। यजुर्वेद 32.6 के इस मंत्र में परमात्मा ने उपदेश किया है कि वह ही सब लोकलोकान्तरों का रचने वाला है, वह ही सब ग्रह नक्षत्रों का भ्रमण कराता है। वह ही सबसे महान है। वह ही […]
* क्रिसमस की पूर्वसंध्या पर ईसाई देशों समेत पूरा विश्व इस समय फेस्टिव मूड में है और इस त्यौहार की तैयारी में व्यस्त है। भारत में भी कुछ लोग, जिनको पता ही नहीं कि क्रिसमस क्या है और क्यों मनाई जाती है, 25 दिसम्बर को क्रिसमस की बधाई देते पाये जाएंगे। ईसाई हो या गैरईसाई […]
ऋषिराज नागर (वरिष्ठ अधिवक्ता) मनुष्य की आयु जन्म लेने के उपरान्त क्षण-क्षण/पल-पल कम होती जा रही है। मनुष्य के जन्म लेने के बाद4 बचपन का समय बिना सोचे समझे ही गुजर जाता है, उसके बाद हम विद्या अर्जन ( पठन-पाठन) में अपनी आयु के करीब 20-25 वर्ष निकाल देते हैं। तदुपरान्त यौवन में अपनी घर- […]
नए साल के पँख पर बीत गया ये साल तो, देकर सुख-दुःख मीत ! क्या पता? क्या है बुना ? नई भोर ने गीत !! माफ़ करे सब गलतियां, होकर मन के मीत ! मिटे सभी की वेदना, जुड़े प्यार की रीत !! जो खोया वो सोचकर, होना नहीं उदास ! जब तक साँसे हैं […]
आर्य समाज के संस्थापक महर्षि दयानंद सरस्वती जी ने आर्योद्देश्यरत्नमाला नामक एक छोटी सी पुस्तक लिखी है। इस लघु ग्रंथ में महत्वपूर्ण व्यावहारिक शब्दों (आर्यों के मंतव्यों) की परिभाषाएं प्रस्तुत की गई है जो वेदादि शास्त्रों पर आधारित हैं। इसमें 100 मंतव्यों (नियमों) का संग्रह है अर्थात सौ नियमों रूपी रत्नों की माला गूंथी गई […]
के. विक्रम राव यदि सर्वोच्च न्यायालय और संसद परस्पर उदार सहयोग करने पर गौर नहीं करते हैं तो भारत के संवैधानिक इतिहास में भयावह विपदा की आशंका सर्जेगी। न्यायपालिका और विधायिका का आमना-सामना तीव्रतर होना लोकतंत्र पर ही प्रश्न लगा देगा। राज्यसभा में NJAC (जजों की नियुक्ति-आयोग) पर कड़वी बहस से ऐसे ही आसार उभरे […]
ईसाई लोगों की दृढ़ व प्रमुख मान्यता है कि मुक्ति केवल यीशु के माध्यम से ही मिल सकती है और ईसाई धर्मांतरण भी ठीक इसी बात पर आधारित है कि यीशु में विश्वास से सभी पाप धूल जाते है और हमेशा के लिए मुक्ति (salvation) मिल जाती है। इसलिए हिंदुओ व अन्य लोगों, जिसका धर्मांतरण […]