================== अपश्यं गोपामनिपद्यमानमा च परा च पथिभिश्चरन्तम् | स सध्रीची: स विषूचीर्वसान आ वरीवर्ति भुवनेष्वन्त: || ऋग्वेद 1.164.31 शब्दार्थ : अनिपद्यमानम् = अविनाशी आ = सीधे = आगे च = और परा = उलटे, वापसी च = भी पथिभि: = मार्गों से चरन्तम् = विचरण करनेवाले गोपाम् = इन्द्रियों के स्वामी को अपश्यम् = मैने […]
Author: उगता भारत ब्यूरो
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छोटू सिंह रावत अजमेर, राजस्थान छत्तीसगढ़ के सारगंढ-बिलाईगढ़ जिला मुख्यालय से लगभग 50 किमी दूर केराचक्का गांव आज भी कई प्रकार की मूलभूत सुविधाओं से वंचित नज़र आता है. गारडीह ग्राम पंचायत से महज़ दो किमी दूर स्थित इस गांव में 95 प्रतिशत आदिवासी समुदाय निवास करता है. जिसमें खैरवार और बरिहा समुदायों की बहुलता […]
वसिष्ठ मुनि की उत्पत्ति का आख्यान
डॉ डी के गर्ग वशिष्ठ एक नहीं अनेको है :-पौराणिक ग्रंथो में और उपलब्ध साहित्य के अनुसार वशिष्ठ एक नहीं अनेको है। एक वशिष्ठ ब्रह्मा के पुत्र हैं, दूसरे इक्क्षवाकुवंशी त्रिशुंकी के काल में हुए जिन्हें वशिष्ठ देवराज कहते थे। तीसरे कार्तवीर्य सहस्रबाहु के समय में हुए जिन्हें वशिष्ठ अपव कहते थे। चौथे अयोध्या के […]
दिलीप मंडल- लेबनान सत्तर साल में ईसाई बहुल राष्ट्र से मुसलमान बहुल राष्ट्र बन गया। ईसाई अपने देश में अल्पसंख्यक बन गए। लेबनान में ये ग़लतियाँ हुईं। मुसलमान रिफ्यूजी को आने देना, तुष्टिकरण और दबाव में लगातार पीछे हटना, हिंसा से बचने के लिए छूट देना वामपंथियों का मुसलमानों के साथ आना, ईसाइयों के आपसी […]
लेखक- पं० वीरसेन वेदश्रमी प्रस्तोता- #डॉविवेकआर्य, प्रियांशु सेठ यज्ञ में मन्त्रोच्चारण कर्म के साथ आवश्यक है- महर्षि स्वामी दयानन्द जी ने यज्ञ की एक अत्यन्त लघु पद्धति या विधि हमें प्रदान की जो १० मिनट में पूर्ण हो जावे। उसमें मन्त्र के साथ कर्म और आहुति का योग किया। बिना मन्त्र के यज्ञ का कोई […]
संकलन:आचार्य डॉ राधेश्याम द्विवेदी ( फोटो प्रतीकात्मक) स्वामीनारायण संप्रदाय के अनुयायी कृष्णावतार को सर्वोच्च भगवान मानते हैं। ये वैष्णव संप्रदाय के अनुयायी हैं। ये समाज के सभी वर्गों के साथ अच्छे संबंध बनाए रखते और अपने निजी सेवक के रूप में नियुक्त करते हैं तथा साथ साथ भोजन करते हैं। घनश्याम स्वामी नारायण अपना घर […]
डॉ डी के गर्ग गणेश को लेकर अनेकों नाम प्रचलित है जैसे की गणपति, विनायक, गजानन, गणेश्वर, गौरीनंदन, गौरीपुत्र, गणधिपति, सिद्धिविनायक, अष्टविनायक, बुद्धिपति, शुभकर्ता, सुखकर्ता, विघ्नहर्ता,महागणपति आदि। ये सभी नाम एक दुसरे के पर्याय हो सकते है और नहीं भी । लेकिन गणेश के वास्तविक स्वरूप और स्तुति को लेकर जितनी भ्रांतिया है भ्रांतिया भारतीय […]
देखा गया है की आजकल मुसलामन किसी भी सार्वजनिक जगह रेलवे प्लेटफार्म बीच रास्ते या भीड़भाड़ चौराहे पर इकट्ठे हो जाते हैं और उठक बैठक करने लगते ऐसे नाम्माज पढ़ना और अपना संवैधानिक अधिकार बताते है और इसी भी जगह पर कब्ज़ा करके मस्जिद बना देते है इसलिए पहले नमाज क्या है और उसका उद्देश्य […]
पुण्य भूमि है भारत भूमि
बृहस्पति आगम में एक श्लोक है, “हिमालयात् समारभ्य यावत् इन्दु सरोवरम्, तं देवनिर्मितं देशं हिन्दुस्थानं प्रचक्षते”। जो स्पष्ट कहता है कि “हिमालय से प्रारंभ होकर इन्दु सरोवर (हिन्द महासागर) तक यह देव निर्मित देश “हिन्दुस्थान” कहलाता है। इसके अतिरिक्त “विष्णु पुराण” में इसी “भरत भूमि” पर जन्म लेने को लालायित देवतागण भी इसका यश गान […]
शबनम कुमारी पटना, बिहार हमारे समाज के निर्माण में बच्चे, युवा, महिलाओं, किशोरियों और बुज़ुर्गों सभी का विशेष महत्व है. लेकिन इनमें बुजुर्गों की भूमिका और स्थिति कुछ विशेष होती है क्योंकि उन्हें अनुभव और ज्ञान का स्रोत माना जाता, जो न केवल परिवार बल्कि समाज को दिशा देने में भी सहायक सिद्ध होते हैं. […]