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इतिहास के पन्नों से

महाजनपद काल – एक सम्पूर्ण यात्रा (भाग-1)

उगता भारत ब्यूरो प्रारंम्भिक भारतीय इतिहास में छठी शताब्दी ईसापूर्व को परिवर्तनकारी काल के रूप में महत्त्वपूर्ण माना जाता है। यह काल प्राय: प्रारंम्भिक राज्यों, लोहे के बढ़ते प्रयोग और सिक्कों के विकास के के लिए जाना जाता है। इसी समय में बौद्ध और जैन सहित अनेक दार्शनिक विचारधाराओं का विकास हुआ। बौद्ध और जैन […]

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इतिहास के पन्नों से

इतिहास की अमूल्य निधि औरंगजेब के नाम गुरु गोविन्द सिंह का ऐतिहासिक पत्र

-वि० स० बिनोद आजकल कुछ सिख उग्रवादियों और औरंगजेब के अनुयायियों के बीच बहुत गाढ़ी छन रही है। उन्हें गुरु गोविन्द सिंह का वह पत्र पढ़ना चाहिये जो गुरुजी ने औरंगजेब को लिखा था। मूल पत्र गुरुमुखी में लिखा गया था , इसलिए इस पत्र का उपयोग पश्चिमी इतिहासकार न कर सके। यहां प्रस्तुत हैं […]

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महत्वपूर्ण लेख

एक देश एक टैक्स का सपना सपना ही रह गया!

-डा. भरत मिश्र प्राची टैक्स लेने की कोई नई परम्परा नहीं है। आदि काल से यह परम्परा चली आ रही है। राजतंत्र में राजा भी राज्य के काम काज, लोकहितार्थ आम जनता से टैक्स विभिन्न रूप में वसूल किया करते। लोकतंत्र में भी यह परमपरा कायम है। प्रशासनिक व्यवस्था बनाये रखने, राजकाज चलाने एवं आम […]

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महत्वपूर्ण लेख

डिजिटल साक्षरता से अनभिज्ञ ग्रामीण किशोरियां

प्रियंका साहू मुजफ्फरपुर, बिहार आज का युग सूचना तकनीक का युग है। सूचना क्रांति की इस दौड़ से पूरी दुनिया ग्लोबल विलेज बन गई है। सूचना भेजने से लेकर प्राप्त करने तक के सभी कार्य अब सुलभ और अनिवार्य होते जा रहे हैं। ऑनलाइन परीक्षा, बैंक लेनदेन, व्यापार-धंधा, पढ़ाई-लिखाई, देश-दुनिया के समाचार, सूचना, योजना, परियोजना, […]

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राजनीति

राजनीति में राजनीतिक वफादारी और नैतिकता

मेरा अनुभव है कि सरकार बदलने के साथ ही बहुत सारी बातें अनायास ही बदल जाती हैं या अमल में आती हैं.नयी नीतियाँ,नये नियम,नये आदेश,नये लोग,और नयी समझ का आगाज़ होता है.यह एक स्वाभाविक प्रक्रिया है क्योंकि “तिल तिल नूतन होय”—वाला आप्त-वचन प्रकृति और राजनीति दोनों पर लागू होता है.पिछले दिनों मेरे एक मित्र आग […]

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समाज

भारत में दलित कौन है ?

दलित कौन? दलित अंग्रेज़ी शब्द डिप्रेस्ड क्लास का हिन्दी अनुवाद है। ये शब्द हमारे किसी धर्म ग्रथ या इतिहास में नही मिलता है।भारत में वर्तमान समय में ‘दलित’ शब्द कुछ विशेष वर्ग के साथ जोड़ दिया है जिसको गरीबी और अशिक्षा के कारण लम्बे अरसे तक शोषण-उत्‍पीडन का शिकार खेलना पड़ा। दरअसल दलित शब्द का […]

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आज का चिंतन

प्रकृति की नब्ज बताती भारतीय कालगणना

लेखक – डॉ राम अचल (लेखक आयुर्वेद चिकित्सक तथा विश्व आयुर्वेद काँग्रेस के सदस्य हैं) नववर्ष कालगणना का वार्षिक शुभारम्भ होता है, पूरी दुनिया में 96 तरह की कालगणना प्रचलित है, केवल भारत में ही 36 प्रकार की कालगणना रही है, जिसमें 24 पद्धतियाँ अब विलुप्त हो चुकी है परन्तु 12 कालगणना विधियाँ आज भी […]

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इतिहास के पन्नों से

अयोध्या की दिव्यता और ऐतिहासिकता

आचार्य डा.राधे श्याम द्विवेदी सप्त नगरी में गणना :- अयोध्या हिन्दुओं के प्राचीन और सात पवित्र स्थानों में से एक है।हिन्दू धर्म में मोक्ष पाने को बेहद महत्व दिया जाता है। हिन्दू पुराणों के अनुसार सात ऐसी पुरियों का निर्माण किया गया है, जहां इंसान को मुक्ति प्राप्त होती है। मोक्ष यानी कि मुक्ति, इंसान […]

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हमारे क्रांतिकारी / महापुरुष

स्वामी दयानंद किसी की निंदा या आलोचना नहीं अपितु सत्य का मंडन और असत्य का खंडन करते थे

स्वामी दयानंद जी महाराज द्वारा रचित अमर ग्रन्थ सत्यार्थ प्रकाश का सबसे अधिक प्रचार आर्यसमाज से सम्बन्ध रखने वाले सदस्यों की अपेक्षा आर्यसमाज से सम्बन्ध न रखने वाले जनमानस ने अधिक किया हैं चाहे वह सनातन धर्म,सिख ,कबीर पंथी,जैन, बौद्ध,सिख, ईसाई, इस्लाम आदि किसी भी मत से क्यूँ न सम्बंधित हो। सत्यार्थ प्रकाश के खंडन […]

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मुद्दा

ईसवी सन् और ई.पूर्व की शरुआत कैसे और क्यों हुई?

१ जनवरी पर विशेष… ■ ईसाईयत का इतिहास दर्शन लेखक : राजेश आर्य, गुजरात ई.स. 410 में गोथिक नेता अलारिक (Alaric) ने रोम शहर पर अचानक हमला कर दिया। उसने आसानी से कब्जा कर, उसने पूरे शहर को लूट लिया। पूरा सभ्य संसार स्तब्ध रह गया। बर्बर लोगों ने पहले भी रोमन साम्राज्य में उत्पात […]

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