डॉ डी के गर्ग भाग-१ ये लेख 10 भाग में है , पूरे विषय को सामने लाने का प्रयास किया है। आप अपनी प्रतिक्रिया दे और और अपने विचार से भी अवगत कराये विषय को प्रारंभ करने से पहले ये बता देना उचित होगा की शिव को लेकर अनेकों भ्रांतियां है जिनको समझना जरुरी है। […]
Author: उगता भारत ब्यूरो
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आशीष राय विश्व के कई देशों ने मातृभाषाओं में कार्य करके अपने को विकसित देशों की श्रेणी में ला खड़ा किया है। इजराइल के वैज्ञानिकों ने हिब्रू भाषा में शोध करके सबसे ज्यादा नोबेल पुरस्कार प्राप्त किये हैं। जापान, जर्मनी सहित तमाम देश अपनी मातृभाषा में ही कार्य करने को प्राथमिकता दे रहे हैं। 15 […]
मजदूरी छूटे या पढ़ाई, पानी औरत को ही लाना है
रूबी सरकार भोपाल, मप्र भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में पीने और अन्य कार्यों के लिए पानी जुटाने का जिम्मा घर की महिला सदस्यों पर है, जबकि उसका इस्तेमाल पुरुष भी करते हैं. पानी चाहे जितनी दूर से लाना पड़े, 7 महीने की गर्भवती, हो या बीमार महिला, चाहे किशोरियों की स्कूल छूट जाए फिर भी […]
ललित सरदाना संस्थापक, सरदाना इंटरनेशनल स्कूल उतार-चढ़ाव से पार पाना ही असली जीवन हर इंसान के जीवन में अच्छा और बुरा दोनों समय आता है। लेकिन जीवन का मोल तब है, जब अच्छे समय में इंसान बहुत अधिक खुश न हो और बुरे समय में निराश न हो। जिसने यह जान लिया कि समय का […]
मातृभाषा को मात्र भाषा ना समझें.
नहीं तो मातृभाषा को मृत भाषा बनने से कोई नहीं रोक सकता. 1- अफ्रिका महाद्वीप – 46 पिछडे देश 21 देश फ्रांसीसी में सीखते हैं। 18 देश अंग्रेज़ी में सीखते हैं।, 5 देश पुर्तगाली में सीखते हैं।, 2 देश स्पेनिश में सीखते हैं।, उन देशों के लिए ये सारी परदेशी भाषाएँ हैं। उनपर शासन करने […]
ज्योतिष पर पौराणिक गुटर-गूँ
-प्रियांशु सेठ (वाराणसी) प्रसिद्ध योगगुरु बाबा रामदेव ने बयान दिया कि “ज्योतिष विद्या ने क्यों नहीं कोरोना काल के बारे में पहले जानकारी दी। सारे मुहूर्त भगवान ने बना रखे हैं। ज्योतिषी काल, घड़ी, मुहूर्त के नाम पर बहकाते रहते हैं। बैठे-बैठे ही किस्मत बनाते हैं। किसी ज्योतिष ने यह नहीं बताया कि कोरोना आने […]
वैदिक साहित्य में सामाजिक समरसता
भारतीय साहित्य का जहाँ से उद्गम हुआ, वह स्रोत निर्विवाद रूप से वेद है। वेद आर्ष काव्य की श्रेणी में आते हैं। हमारे प्राचीन ऋषि मनुष्य थे, समाज के साथ थे। वे आपसी प्रेम और सद्भाव को सबसे अधिक मूल्यवान समझते थे। इसीलिए मनुष्य की जिजीविषा, उसके सामाजिक सरोकार और समाजिक जीवन की योजनाओं के […]
जागरूकता ही दहेज जैसी बुराई का अंत है
सिमरन कुमारी मुज़फ़्फ़रपुर, बिहार दहेज एक ऐसी कुप्रथा है जिससे लड़कियों की मानसिक स्थिति पर गहरा असर पड़ता है. कहते हैं देश बदल रहा है, समाज बदल रहा है, नित्य तरक्की के नए-नए प्रतिमान गढ़े जा रहे हैं, बड़े-बड़े स्लोगन, भाषण और संगोष्ठियां आयोजित हो रही हैं. लेकिन क्या जमीन पर ऐसा दिखता है? क्या […]
✍️ डॉ. राधे श्याम द्विवेदी माध्व वैष्णव( ब्रह्म) सम्प्रदाय द्वारा अनुप्राणित:- राम सखा संप्रदाय, मूलतः ‘ माध्व वैष्णव( ब्रह्म) सम्प्रदाय’ की एक शाखा है, जो एक संगठित समूह में नहीं बल्कि बिखरे स्वरूप में मिलता है। इसके अलावा रामानंद संप्रदाय से भी इसका लिंक मिलता है। संत राम सखे राम सखा संप्रदाय के संस्थापक रहे […]
गहलोत ने दिया संवैधानिक संकट को न्योता!
विराग गुप्ता राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत बजट भाषण पर हुई गफलत से भले ही उबर गए हों, लेकिन विधानसभा के मौजूदा सत्र में उनकी सरकार की ओर से राजस्थान अकाउंटिंग सिस्टम अमेंडमेंट बिल, 2023 पारित करवाने की कोशिश से बड़ी संवैधानिक डिबेट शुरू हो गई है। कम्पट्रोलर ऐंड ऑडिटर जनरल (CAG यानी कैग) ने […]