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धर्म-अध्यात्म

परमात्मा को कैसे प्राप्त करें या उसकी अनुभूति कैसे करें?

परमात्मा कहाँ पर है? परमात्मा को कैसे प्राप्त करें या उसकी अनुभूति कैसे करें? परमात्मा की अनुभूति प्राप्त करने के लिए एक द्रष्टा कैसे बनें? पश्वा न तायुं गुहा चतन्तं नमो युजानं नमो वहन्तम््। सजोषा धीराः पदैरनुग्मन्नुप त्वा सीदन्वश्वे यजत्राः।। ऋग्वेद मन्त्र 1.65.1 (कुल मन्त्र 748) (पश्वा) दृष्टा (न) जैसे कि (तायुम्) सबका पोषण करने […]

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पर्व – त्यौहार

💐शारदीय नवसस्येष्टि पर्व (दीपावली)

==================== दीपावली पर्व शुद्ध रूप से सामाजिक एवं भौगोलिक पर्व है। इसको द्वापर युग में भगवान श्री कृष्ण पांडव कौरव सब मनाया करते थे। त्रेता युग में भगवान राम और राम के पूर्वज भी मनाया करते थे और इससे पहले भी सतयुग में भी उसको मनाया जाता था। 🌷 दीपावली का वास्तविक नाम है “शारदीय […]

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हमारे क्रांतिकारी / महापुरुष

ऋषि को अश्रुपूरित अन्तिम विदाई

ऋषि दयानंद ने भयंकर विपरीत परिस्थितियों मे सत्य का मण्डन और पाखंड का खंडन किया इसलिए सभी उनके विरोधी हो गये।उनके प्राण हरण की भयंकर चेष्टा की गई।जो उनके भरोसेमन्द थे वे सब निकम्मे निकले।पहले उनके साथ भरतपुर का कल्लू कहार जिस पर स्वामी जी बहुत भरोसा और उससे प्रेम करते थे ।वह छ: सात […]

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आज का चिंतन

अच्छी संगति अर्थात् सत्संग का क्या महत्त्व है?

हमारी सम्पदा किन लक्षणों को धारण करे? अच्छी संगति अर्थात् सत्संग का क्या महत्त्व है? नूष्ठिरं मरुतो वीरवन्तमृृतीषाहं रयिमस्मासु धत्त। सहस्त्रिणं शतिनं शूशुवांसं प्रातर्मक्षू धियावसुर्जगम्यात््।। ऋग्वेद मन्त्र 1.64.15 (कुल मन्त्र 747) (नू) अब (स्थिरम्) स्थिर (मरुतः) प्राण, श्वास, श्वास का नियंत्रक (वीरवन्तम्) शक्तिशाली वीर (ऋतीषाहम्) विजय का दाता (रयिम्) सम्पदा (अस्मासु) हम में (धत्त) धारण […]

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आओ कुछ जाने

*ऋषि धन्वन्तरि और भारत का आयुर्वेद

आयुर्वेद ऋग्वेद का उप वेद है और आदिकाल में आयुर्वेद की उत्पत्ति ब्रहा / ईशवर से ही मानी जाती है। आयुर्वेद संपूर्ण जीवन का ज्ञान है। आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति को अपनाकर पूरा विश्व संपूर्ण रूप से स्वस्थ हो सकता है।संसार का सबसे प्राचीन ग्रंथ ऋग्वेद है, जिसमें आयुर्वेद का पर्याप्त वर्णन है। आज विश्व में […]

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इतिहास के पन्नों से

स्वामी दयानन्द का मुंबई में आर्यसमाज की स्थापना के समय दिया गया सन्देश

“आप यदि समाज से पुरुषार्थ कर परोपकार कर सकते हो, तो समाज कर लो. इस में मेरी कोई मनाई नहीं. परन्तु इस में यथोचित व्यवस्था न रखोगे तो आगे गड़बड़ाध्याय हो जायेगा. मैं तो मात्र जैसा अन्य को उपदेश करता हूँ वैसा ही आप को भी करूँगा और इतना लक्ष में रखना कि कोई स्वतन्त्र […]

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आओ कुछ जाने

आयुर्वेद के महान ज्ञाता महर्षि धन्वंतरि

– योगेश कुमार गोयल दीवाली से दो दिन पूर्व ‘धनतेरस’ नामक त्यौहार मनाया जाता है, जो इस वर्ष 29 अक्तूबर को को मनाया जा रहा है। धनतेरस के प्रचलन का इतिहास बहुत पुराना माना जाता है। यह त्यौहार कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को मनाया जाता है तथा इस दिन आरोग्य के देवता […]

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हमारे क्रांतिकारी / महापुरुष

चौधरी कुम्भाराम आर्य पुण्यतिथि विशेष..|

अंग्रेजी काल मे गुलामी व शोषण की एक श्रृंखला होती थी।अंग्रेजों के गुलाम देशी राजा और देशी राजाओं के गुलाम जागीरदार/सामंत।अंत मे सामंतों के गुलाम किसान-कामगार।शोषण की इस श्रृंखला में सबसे निचले पायदान वाला पिसता है क्योंकि ऊपर वाले सारे परजीवी बनकर मेहनतकशों की पूंजी लूटते है। 10मई 1914 को पटियाला में भैराराम सुंडा व […]

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विविधा

कितना सफल है गांवों में हर घर शौचालय का लक्ष्य?

सुहानी लूणकरणसर, राजस्थान इस माह के शुरू में राष्ट्रीय स्तर के एक समाचारपत्र ने राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण की रिपोर्ट प्रकाशित करते हुए बताया है कि अब तक देश के 82.5 फीसदी परिवारों के पास शौचालय उपलब्ध है जबकि 2004-05 तक यह आंकड़ा मात्र 45 फीसदी था. इसका अर्थ है कि अब देश भर में […]

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आज का चिंतन

यहाँ से असुरों को दूर कर दो,

“यह असुर अपने स्वार्थपूर्ण अभिप्रायों को इस प्रकार उच्च सिद्धान्तों में लपेटकर लोगों के सामने पेश करते हैं कि लोग इन्हें ‘देव’ समझने लगते हैं।” ये रूपाणि प्रतिमुञ्चमानाऽ असुराः सन्तः स्वधया चरन्ति। परापुरो निपुरो ये भरन्त्यग्निष्टाँल्लोकात् प्रणुदात्यस्मात्।। -यजुः० २।३० ऋषिः – वामदेवः। देवता – अग्निः। छन्दः – भुरिक पङ्क्तिः। विनय – हे जगदीश्वर ! यहाँ […]

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