यद्वाचाऽनभ्युदितं, येन वागभ्युद्यते । तदेव ब्रह्म त्वं विद्धि,नेदं यदिदमुपासते ।।-(केन० 1/4) जो वाणी द्वारा प्रकाशित नहीं होता,जिससे वाणी का प्रकाश होता है,उसी को तू ब्रह्म जान।जिसका वाणी से सेवन किया जाता जाता है,वह ब्रह्म नहीं है। यन्मनसा न मनुते,येनाहुर्मनो मतम् । तदेव ब्रह्म त्वं विद्धि,नेदं यदिदमुपासते ।।-(केन० 1/5) जिसका मन से मनन नहीं किया जाता,जिसकी […]
उपनिषद में ईश्वर का विवरण
