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इतिहास के पन्नों से

चक्रवर्ती सम्राट कनिष्क गुर्जर वंश से थे – भाग 4

वैदिक आर्यों की ही संतान थे गुर्जर सम्राट कनिष्क और उनके वंशज। कई इतिहासकारों ने ऐसा माना है कि गुर्जर शासकों का धर्म मिहिर अर्थात सूर्य था । जिन लोगों ने अपनी ऐसी धारणा व्यक्त की है उन्हें यह ज्ञात होना चाहिए कि मिहिर या सूर्य कोई धर्म नहीं होता , अपितु यह एक देवता […]

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इतिहास के पन्नों से

चक्रवर्ती सम्राट कनिष्क गुर्जर वंश से थे – भाग 3

रामचन्द्र के पुत्र कुश का कुशाण वंश महान। सम्राट कुचुल से कनिक तक योद्धा कीर्तिमान। चीन से काला सागर अल्ताई से नर्वदा। संघों के बाद भी विस्तार करते रहे सदा। पहली सदी काठियावाड़ में अनेकों मन्दिर बनवाए। तुझको छोड़कर भारत का इतिहास लिखा ना जाए। सम्राट कनिष्क के पुत्र हुए सम्राट हुविष्क महान। माहेश्वर देवपुत्र […]

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उगता भारत न्यूज़

भारत के इतिहास में महत्वपूर्ण योगदान रहा है गुर्जर समाज का : केशव प्रसाद मौर्य

ग्रेटर नोएडा। यहां के गांव बंबावड़ में स्थित आम्रपाली स्कूल में एक विशाल जनसभा को संबोधित करते हुए उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि भारत के इतिहास में गुर्जर समाज का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। उन्होंने सम्राट मिहिर भोज, माता पन्नाधाय, धन सिंह कोतवाल, योगराज सिंह गुर्जर, रामप्यारी गुजरी , सरदार […]

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इतिहास के पन्नों से

चक्रवर्ती सम्राट कनिष्क गुर्जर वंश से थे – भाग 2

गुर्जर जाति के प्रारंभिक राजवंशों में चेची, कुषाण, खटाना, हूण तथा नागवंश विशेष उल्लेखनीय है। – मनीषा डी. पवार, एशिया महाद्वीप में गुर्जर, पृष्ठ संख्या 8 बहुत पुराने राजकुल जैसे अम्ब, कुषाण, लावा, ठक, पोसवाल, यादव, परमार, चुलुक, योधेय (जोहिया) तथा प्रतिहार गुर्जर जाति के ही संगठक अवयव है। – अमर सिंह कसाना, एशिया महाद्वीप […]

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इतिहास के पन्नों से

चक्रवर्ती सम्राट कनिष्क गुर्जर वंश से थे – भाग 1

कुषाण (कसाना) राजवंश 25 ई. से 380 ई. तक यह न केवल गुर्जर जाति का बल्कि भारतीय इतिहास का सबसे महत्वपूर्ण राजवंश है। इस वंश के कई सम्राट हुए हैं लेकिन यदि अकेले कनिष्क सम्राट की ही बात करें तो उनका साम्राज्य दक्षिणी चीन और रूस से लेकर वर्तमान उत्तरी भारत तक पर उसका अखंड […]

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पर्व – त्यौहार

होली दहन : हिंदू विज्ञान का रोग नाशक महायज्ञ

लेखक: डॉ सुरेश चव्हाणके मुख्य संपादक एवं चेयरमैन सुदर्शन न्यूज चैनल) भारत की संस्कृति और परंपराएँ सदियों से वैज्ञानिकता और आध्यात्मिकता का अद्भुत संगम रही हैं। इन्हीं में से एक महत्वपूर्ण परंपरा है होलीका दहन, जिसे अधिकांश लोग केवल एक धार्मिक अनुष्ठान मानते हैं। परंतु, यह केवल आस्था से जुड़ा पर्व नहीं, बल्कि एक गहन […]

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कौन सी धातु के बर्तन में भोजन करने से क्या क्या लाभ और हानि होती है ?

सोना सोना एक गर्म धातु है। सोने से बने पात्र में भोजन बनाने और करने से शरीर के आन्तरिक और बाहरी दोनों हिस्से कठोर, बलवान, ताकतवर और मजबूत बनते है और साथ साथ सोना आँखों की रौशनी बढ़ता है। चाँदी चाँदी एक ठंडी धातु है, जो शरीर को आंतरिक ठंडक पहुंचाती है। शरीर को शांत […]

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धर्म-अध्यात्म

ईश्वर से प्रार्थना क्यों?

सर्व-प्रथम तो यह जानने की बात है कि ‘प्रार्थना’ किसे कहते हैं,तथा प्रार्थना कब करनी चाहिए।जो व्यक्ति प्रार्थना की परिभाषा व लक्षण को नहीं जानते,वे ही ऐसी शंकाएं किया करते हैं। ऋषि दयानन्द ने ‘प्रार्थना’ का स्वरुप निम्न प्रकार दर्शाया है-“अपने पूर्ण पुरुषार्थ के उपरान्त,उत्तम-कर्मों की सिद्धि के लिए परमेश्वर वा किसी सामर्थ्य वाले मनुष्य […]

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इतिहास के पन्नों से

मुगल वंश के पतन के कुछ अज्ञात कारण

मुगल साम्राज्य का पतन कोई संयोग नहीं था, बल्कि यह चार अलग-अलग भौगोलिक क्षेत्रों में हिंदू वीरों द्वारा छेड़े गए प्रतिरोध का संगठित परिणाम था। जब औरंगज़ेब ने भारत के इस्लामीकरण की योजना बनाई और अपनी सैन्य शक्ति के बल पर हिंदू सभ्यता को मिटाने की कोशिश की, तब उसे चार दिशाओं से जबरदस्त टकराव […]

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महत्वपूर्ण लेख समाज

स्वच्छ भारत का महादेव मेहतर, दक्ष भारत का शिल्पी कारीगर

सृष्टि के आदिकाल से ऋषि, महर्षि, मुनि, धर्माचार्य और विश्ववारा संस्कृति के महानायकों, लोकनायकों ने स्वच्छता और दक्षता को जीवन के प्रथम सोपान में रखा है। यही कारण था कि यज्ञ वै श्रेष्ठतम् कर्म:को आराध्य मानकर प्रत्येक मनुष्य यज्ञ से ही अपना कार्य प्रारंभ करता था। ऋषि एवं ऋषिकाओं ने मान रखा था कि संस्कृत, […]

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