अजय कुमार तीसरे चरण में बीजेपी के लिए जहां अपनी सीटें बचाने की चुनौती है तो सपा और बसपा की साख दांव पर होगी। पिछली बार चुनावी नतीजो के देखते हुए सपा प्रमुख अखिलेश यादव खुद ही तीसरे चरण में चुनावी मैदान में किस्मत आजमाने के लिए मैनपुरी जिले की करहल सीट से उतरे हैं। […]
Author: श्रीनिवास आर्य
एक गांव में राजपूत, ब्राह्मण, बनिये, तेली, हरिजन आदि जातिके लोग रहते थे, सभी मिलजुल कर शान्ति से रहते थे। एक दिन गांव के मुखिया के पास एक मुस्लिम अपनी पत्नी और आठ बच्चों के साथ आया और गांव मे रहने की भीख मांगने लगा। रातों को जागकर गाँव की देखभाल करने वाले एक चौकीदार […]
उगता भारत ब्यूरो चेतक अश्व गुजरात के व्यापारी काठीयावाडी नस्ल के तीन घोडे चेतक,त्राटक और अटक लेकर मारवाड आया।अटक परीक्षण में काम आ गया। त्राटक महाराणा प्रताप ने उनके छोटे भाई शक्ती सिंह को दे दिया और नीले घोड़े का नाम ‘चेतक’ था, जो महाराणा प्रताप ने रखा… बाज नहीं, खगराज नहीं, पर आसमान में […]
विष्णु शर्मा 1907 की बात है, ब्रिटेन से छपने वाले सभी अखबारों में ‘विक्ट्री’ डे के सरकारी विज्ञापन छापे, सभी में 1857 के विद्रोह को दबाने के लिए अंग्रेजी सेना को धन्यवाद दिया गया था। पूरे पचास साल जो हो गए थे उस घटना को। 6 मई को लंदन के अखबार ‘डेली टेलीग्राफ’ ने बड़ी […]
बुर्के को लेकर डॉ. अंबेडकर के क्या विचार थे? इस विषय पर मेरा लेख ‘अमर उजाला’ में प्रकाशित हुआ है। – पर्दाप्रथा की वजह से मुस्लिम महिलाओं में दासता और हीनता की मनोवृत्ति बनी रहती है – डॉ. अंबेडकर – पर्दाप्रथा की वजह से मुस्लिम नौजवानों में यौनाचार के प्रति ऐसी अस्वस्थ प्रवृत्ति का सृजन […]
उगता भारत ब्यूरो वीर विनायक दामोदर सावरकर दो आजन्म कारावास की सजा पाकर कालेपानी नामक कुख्यात अन्दमान की सेल्युलर जेल में बन्द थे। वहाँ पूरे भारत से तरह-तरह के अपराधों में सजा पाकर आये बन्दी भी थे। सावरकर उनमें सर्वाधिक शिक्षित थे। वे कोल्हू पेरना, नारियल की रस्सी बँटना जैसे सभी कठोर कार्य करते थे। […]
प्रायोजित सम्मान की चमक
डॉ.चन्द्रकुमार जैन विचारों के अनुसार ही मनुष्य का जीवन बनता-बिगड़ता रहता है। बहुत बार देखा जाता है कि अनेक लोग और कई परिवार बहुत समय तक लोकप्रिय रहने के बाद बहिष्कृत हो जाया करते हैं, बहुत से व्यापारी पहले तो उन्नति करते रहते हैं, फिर बाद में उनका पतन हो जाता है। इसका मुख्य कारण […]
जी. पार्थसारथी दिसंबर, 1991 में जब सोवियत संघ का विघटन हुआ तो मुख्य चिंता संघ के घटक रहे मध्य एशियाई इस्लामिक प्रजातांत्रिक देशों में बड़ी संख्या में बसे रूसियों के भविष्य को लेकर थी। सौभाग्य से यह मुद्दा अधिकांशतः राजनीतिक और शांतिपूर्ण ढंग से सुलझाया जा चुका है। हालांकि चेचन्या के मुस्लिम बहुल इलाके में […]
दुनिया में देखें तो इतिहास वाम धूर्तों का प्रिय विषय रहा है हमेशा से। क्योंकि इतिहास के पुनरलेखन या पुनरपाठ के जरिए समाज में संघर्ष के बीज बोने की क्षमताएं असीम हैं। जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय को ही देख लें। वहां इतिहास पढ़ने वाले खुद को थोड़ा आभिजात्य मानते हैं। रोमिला थापर, बिपिन चंद्रा, हरबंश […]
#स्वर्णिम अध्याय जो इतिहास से महरूम रहा 😌 एक आम लोकभाषा की कहावत होती थी “जहाँ ना पहुंचे रेलगाड़ी, वहां पहुंचे मारवाड़ी” ! दूर-दराज के क्षेत्रों तक जा पहुँचने और अपनी कर्मठता से अपने व्यवसायों को स्थापित करने के कारण मारवाड़ी, भारत भर में जाने जाते हैं। उनके हर जगह फैलने का नतीजा ये हुआ […]