४९. १८५७ का संग्राम वस्तुतः भारत के राजाओं के दो समूहों का आपसी संग्राम था जिसमे एक पक्ष ने अंग्रेजों का साथ लिया और दिया . ध्यान रहे लिया भी ,केवल दिया नहीं .(थोड़ी भी स्वतंत्र बुद्धि हो तो राजस्थान के राजाओं को विक्तोरिया से हाथ मिलाते चित्र देख लो जो संग्रहालयों में हैं :२ […]
Author: श्रीनिवास आर्य
——————————————- इलाहाबाद उच्च न्यायालय के ऐतिहासिक फैसले ने विवादित स्थल पर मंदिर होने के शोधपूर्ण वैज्ञानिक निष्कर्षों की पुष्टि तो की ही थी, साथ ही साथ मस्जिद-कमिटी की ओर से गवाह के तौर पर वामपंथी इतिहासकार इरफ़ान हबीब की अगुवाई में पेश हुए देश के तमाम वामपंथी इतिहासकारों के फरेब को भी न्यायालय ने उजागर […]
४९. १८५७ का संग्राम वस्तुतः भारत के राजाओं के दो समूहों का आपसी संग्राम था जिसमे एक पक्ष ने अंग्रेजों का साथ लिया और दिया . ध्यान रहे लिया भी ,केवल दिया नहीं .(थोड़ी भी स्वतंत्र बुद्धि हो तो राजस्थान के राजाओं को विक्तोरिया से हाथ मिलाते चित्र देख लो जो संग्रहालयों में हैं :२ […]
2 अक्तूबर/जन्म-दिवस मोहनदास करमचन्द गांधी का जन्म दो अक्तूबर, 1869 को पोरबन्दर( गुजरात) में हुआ था। उनके पिता करमचन्द गांधी पहले पोरबन्दर और फिर राजकोट के शासक के दीवान रहे। गांधी जी की माँ बहुत धर्मप्रेमी थीं। वे प्रायः रामायण, महाभारत आदि ग्रन्थों का पाठ करती रहती थीं। वे मन्दिर जाते समय अपने साथ मोहनदास […]
३७. १८ वीं शताब्दी ईस्वी में भारत का व्यापार इतना विशालं था कि ईस्ट इंडिया कंपनी के दरिद्र से दीखते फुटकरिया व्यापारी किसी गिनती में नहीं थे . ३८ कहाँ सोना , चांदी,हीरे मोती ,मूंगा, पन्ना रत्नों ,, जवाहरात , सुन्दरतम सूती ,ऊनी, रेशमी वस्त्र , गुड , शकर खांड , सैकड़ों मसालों ,का बड़ी […]
30 सितम्बर/जन्म-दिवस यों तो भारत में देववाणी संस्कृत के गर्भ से जन्मी सभी भाषाएँ राष्ट्रभाषाएँ हैं, फिर भी सबसे अधिक बोली और समझी जाने के कारण हिन्दी को भारत की सम्पर्क भाषा कहा जाता है। भारत की एकता में हिन्दी के इस महत्व को अहिन्दी भाषी प्रान्तों में भी अनेक मनीषियों ने पहचाना और विरोध […]
२५.सिंधिया की सेना में हनोवर का अन्थोनी पोहिमन्न एक सैन्य अधिकारी था जिसके अधीन फिरंगी रेजिमेंट थी .वे सिंधिया की सेवा में थे. आदिलशाह की सेवा में पुर्तगाल का फर्नाओ लोप्स था . भोपाल का नवाब वस्तुतः गोंड राजा का अफगान सेवक था और इनाम में भोपाल जागीर पाया था . उसकी सेवा में ज्यां […]
१७ . जहाँ शिवाजी महाराज किसी विदेशी को धर्म बदलने नहीं कहते थे ,वहीँ मुस्लमान शासक उन्हें पहले इस्लाम कबूलने की शर्त रखते थे पर यूरोप के बेचारे इन गरीब दुखियारों की दशा इतनी गड़बड़ थी कि वे सुखी जीवन के लिए रिलिजन त्याग कर मज़हब कबूल करने खींचे चले जाते थे .उसमे सेक्स की […]
‘जगमग दीपज्योति’ पत्रिका न केवल भारत की बल्कि विश्व की अग्रणी पत्रिकाओं में अपना प्रमुख स्थान रखती है । इसे हिंदी जगत के सुप्रसिद्ध विद्वान माननीय सुमति कुमार जैन जी अलवर से प्रकाशित करते हैं । उनके द्वारा मेरी पुस्तक ‘हमारी राष्ट्रभाषा हिंदी’ – की समीक्षा को इस पत्रिका में स्थान दिया गया है । […]
१२. स्वयं वस्कोदेगामा ने लिखा है कि जब मैं भारत आया तो अनेक इतालवी और यूरोपीय सैनिक मालाबार एवं पश्चिमी तट के विभिन्न राजाओं के यहाँ सैनिक की नौकरी कर रहे थे ,तब भी भारत में जो अभागे यह पढ़े और पढाये जा रहे हैं कि कोलंबस ने अमेरिका खोजा (भयंकर झूठ)और वास्को ने भारत […]