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इतिहास के पन्नों से स्वर्णिम इतिहास

संसार का सबसे प्राचीनतम राष्ट्र है भारत

  डॉ. कृपा शंकर सिंह भारत और राष्ट्र, ये दोनों शब्द सदियों पहले से इस देश के भूभाग के लिये प्रयुक्त होते रहे है। विश्व का प्राचीनतम लिखित प्रमाण और भारतीय अस्मिता की आत्मा ऋग्वेद में राष्ट्र शब्द अनेक बार प्रयुक्त हुआ है। दसवें मंडल में राष्ट्र, राजा और प्रजा (समाज) को लेकर ऋचायें कही […]

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इतिहास के पन्नों से

सिक्खों के प्रति पाकिस्तानी उदारता का असली कारण क्या है ?

————————————————— गुरु नानक देव जी के 550 वें जन्म दिन के मौके पर इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ पाकिस्तान ने सिक्का जारी किया है l सिखो के प्रति यही सदभाव 47 मे दिखाया होता तो विभाजन नहीं होता l District रावलपिंडी मे एक गाव है टोहा खालसा l 6 मार्च 1947 की रात आसपास के मुस्लिम ने […]

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स्वर्णिम इतिहास

राजा पुरुवास अर्थात पोरस का गौरवमयी इतिहास

    प्राचीन काल से ही भारतभूमि का इतिहास काफी रोचक रहा है। हमारे देश में सत्ता प्राप्त करने एवं मिली हुई सत्ता सुरक्षित रखने के लिए कई युद्ध हुए हैं, जिनसे जुड़ी जानकारी हमें इतिहास की किताबों के माध्यम से मिलती है। लेकिन इतिहासकारों ने बहुत सी बातों को या तो अधूरा ही रखा […]

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आर्थिकी/व्यापार

भारत की आर्थिक समृद्धि का स्वरूप , भाग – 3

  *राज्य की भूमिका* राज्य की भूमिका का प्रश्न भी महत्वपूर्ण है। सौभाग्य से उससे सम्बन्धित कुछ साहित्य प्रकाश में आ चुका है। विकास के सन्दर्भ मेें, बारम्बार यह दुहराया जाता है कि यूरोपीय राष्ट्र-राज्य शक्तिशाली आर्थिक हस्ती बनकर उभरे तो इसका श्रेय जाता है यूरोपीय राजाओं और रानियों के योगदान को और व्यापार के […]

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आर्थिकी/व्यापार

भारत की आर्थिक समृद्धि का स्वरूप, भाग — 2

  *भारत के महान व्यापारी* भारत के सौदागरों (व्यापारियों) के बारे में उनकी सम्पदा और उनके प्रतिष्ठित व्यापार के बारे में यूरोपीय कम्पनियों ने जो विवरण दिए हैं, उनमें भी इस विषय में भरपूर प्रकाश पड़ता है। ‘ये व्यापारी विशाल तादाद में व्यापार करने में सक्षम थे। यूरोपीय कम्पनियों का इनसे ही मुकाबला था।Ó ब्रिटिश […]

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इतिहास के पन्नों से विश्वगुरू के रूप में भारत

भारत के वैदिक गणित की यात्रा को शब्दों से भी समझा जा सकता है

  सुद्युम्न आचार्य शब्दों में भी अनेक प्रकार के परिवर्तन होते रहते हैं। ये शब्द समाज की वाणी से मुखरित होकर कालक्रमानुसार अनेक प्रकार के रूप धारण करते रहते हैं। कभी तो इनकी ध्वनियों में बदलाव हो जाता है। यह बदलाव इतना अधिक होता है कि वह समूचा शब्द नया रूप धारण कर लेता है। […]

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आर्थिकी/व्यापार

भारत की आर्थिक समृद्धि का स्वरूप : भाग -1

  द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद की अवधि में तथाकथित तीसरी दुनिया के देशों के विकास का प्रश्न सामने लाया गया, तब तक इन बुनियादी विश्वासों की प्रामाणिकता पर प्रश्न उठाने की सोचना तक किसी के वश में नहीं बचा था। विद्वानों और राजनोताओं की इस दृष्टि का प्रमाण है-तीसरी दुनिया के देशों की विकास योजनाएँ। […]

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स्वास्थ्य

आयुर्वेद का बहु उपयोगी द्रव्य कालमेघ

  दीप नारायण पांडे आयुर्वेद की एंटीवायरल औषधियां जिन पर इन वाइवो, इन वाइट्रो, और क्लिनिकल अध्ययन हो चुके हैं वे कोरोना जैसे तमाम प्रकार के वायरल रोगों से बचे रहने के लिये मददगार हैं। विभिन्न शोधों में कालमेघ, चिरायता, तुलसी, शुंठी या सोंठ, वासा, शिग्रू या सहजन, कालीमिर्च, पिप्पली, गुडूची, हरिद्रा, यष्टिमधु, बिभीतकी, आमलकी, […]

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धर्म-अध्यात्म

पेट की आग और कामाग्नि

कभी सोचा है कि “पेट की आग”, या फिर “काम-वासना से दग्ध होना” जैसे जुमलों में आग या जलने का भाव क्यों प्रयोग किया जाता है? दुधमुंहे या छोटे बच्चों के लिए इसे समझना मुश्किल होगा लेकिन जो जो प्रेमी-प्रेमिका जैसे संबंधों, विवाहित होने का अनुभव रखते हों उनके लिए इसे समझना मुश्किल नहीं होगा। […]

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हमारे क्रांतिकारी / महापुरुष

किराए की कलमों ने मिटा दिया इतिहास से डॉक्टर शिवराम मुंजे का नाम

पूरी संभावना है कि आपने बालकृष्ण शिवराम मुंजे का नाम नहीं सुना होगा। सुनेंगे भी क्यों? जो सीधे तौर पर कॉन्ग्रेस के साथ नहीं था, उस हरेक स्वतंत्रता सेनानी का नाम किराए की कलमों ने इतिहास की किताबों से मिटा दिया है। अगर एक वाक्य में उनका योगदान बताना हो तो बता दें कि पहले […]

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