-श्री सूर्यकान्त त्रिपाठी ‘निराला’ (हिन्दी के महाकवि) [कवि स्वभाव से ही बागी होता है। काव्य-कला के नियम भी उस पर बन्दिश न लगा पाते हैं। बगावत अगर सत्य की स्वीकृति हो तो कविता का ही दूसरा नाम बन जाती है। भला बगावत के बगैर कविता का चरित्र ही क्या है? कवि के भावों की […]
लेखक: श्रीनिवास आर्य
कम्युनिष्ट और भारत का विभाजन 1947 से पहले मुस्लिम लीग तो सांप्रदायिक थी ही, मगर सांप्रदायिकता के विरोध की रहनुमाई करने वाली घोर सेक्युलर कम्युनिस्ट पार्टी ने भी पाकिस्तान की मांग का समर्थन किया था।उसने मुस्लिम लीग की पाकिस्तान की सांप्रदायिक और अलगाववादी मांग को जायज ठहराने की कोशिश की। कम्युनिस्ट पार्टी ने मुस्लिम लीग […]
29 मार्च/पुण्य-तिथि सिख पन्थ के दूसरे गुरु अंगददेव का असली नाम ‘लहणा’ था। उनकी वाणी में जीवों पर दया, अहंकार का त्याग, मनुष्य मात्र से प्रेम, रोटी की चिन्ता छोड़कर परमात्मा की सुध लेने की बात कही गयी है। वे उन सब परीक्षाओं में सफल रहे, जिनमें गुरु नानक के पुत्र और अन्य दावेदार […]
30 मार्च/पुण्य-तिथि भारत के स्वाधीनता संग्राम में जिन महापुरुषों ने विदेश में रहकर क्रान्ति की मशाल जलाये रखी, उनमें श्यामजी कृष्ण वर्मा का नाम अग्रणी है। चार अक्तूबर, 1857 को कच्छ (गुजरात) के मांडवी नगर में जन्मे श्यामजी पढ़ने में बहुत तेज थे। इनके पिता श्रीकृष्ण वर्मा की आर्थिक स्थिति अच्छी न थी; पर […]
ललित गर्ग खास बात है कि बीते साल फरवरी में सुप्रीम कोर्ट ने सेना में महिला अधिकारियों को पुरुषों के बराबर कमांड पदों के लिए पात्र होने की अनुमति दी थी। उस समय भी कोर्ट ने सरकार के तर्कों को ‘भेदभावपूर्ण’, परेशान करने वाले और रूढ़िवाद पर आधारित बताया था। हमारी सेनाओं में भी […]
🌼🌼हवन का महत्व 🌼🌼 फ़्रांस के ट्रेले नामक वैज्ञानिक ने हवन पर रिसर्च की। जिसमें उन्हें पता चला कि हवन मुख्यतः *आम की लकड़ी पर ही किया जाता है। जब आम की लकड़ी जलती है, तो फ़ॉर्मिक एल्डिहाइड नामक गैस उत्पन्न होती है। जो कि खतरनाक बैक्टीरिया और जीवाणुओं को मारती है तथा वातावरण को […]
हिन्दू नसीब सिंह महाभारत युद्ध समाप्त हो चुका था. युद्धभूमि में यत्र-तत्र योद्धाओं के फटे वस्त्र, मुकुट, टूटे शस्त्र, टूटे रथों के चक्के, छज्जे आदि बिखरे हुए थे और वायुमण्डल में पसरी हुई थी घोर उदासी …. ! गिद्ध , कुत्ते , सियारों की उदास और डरावनी आवाजों के बीच उस निर्जन हो चुकी […]
22 मार्च/पुण्य-तिथि भारत ही नहीं, तो विश्व भर में हिन्दू धर्मग्रन्थों को शुद्ध पाठ एवं छपाई में बहुत कम मूल्य पर पहुँचाने का श्रेय जिस विभूति को है, उन श्री हनुमान प्रसाद पोद्दार (भाई जी) का जन्म शिलांग में 17 सितम्बर, 1892 को हुआ था। उनके पिता श्री भीमराज तथा माता श्रीमती रिखीबाई थीं। […]
मिश्र की लोकमाता नदी का ‘नील’ नाम शुद्ध संस्कृत है, ऐसा पाश्चात्य अन्वेषक कहते हैं। प्राचीन काल के भारतीयों के भौगोलिक ज्ञान के विषय में जिन्होंने गहरा अध्ययन किया है, वह Francis Wilford (1761–1822) कहते हैं कि “भारतीय पुराणों में वर्णित शंख के आकारवाला द्वीप अफ्रीका ही है।’ नील नदी के उद्गम के विषय […]
डॉ. राजेन्द्र प्रसाद शर्मा कोरोना की वापसी के संकेत डरावने हो गए हैं। बड़ी मुश्किल से पटरी पर लौटती दिनचर्या पर कोरोना की मार भारी पड़ने वाली है। कोरोना के कारण प्रभावित आर्थिक गतिविधियों को लॉकडाउन के माध्यम से बंद करना अब सरकारों के लिए किसी दुश्वारी से कम नहीं है। पूरे एक साल बाद […]