शरद पवार को महाराष्ट्र में सरकार बनाना भारी पड़ गया शरद पवार सरकार नहीं बनाता तब भी भारी पड़ता शरद पवार इन्हीं मुसीबतों से बचने के लिए सरकार बनाई पर भूल गया राज्य से ज्यादा केन्द्र की पावर होती है और केन्द्र में हैड नरेंद्र मोदी है। शरद पवार की यही दाल नहीं गली आज […]
लेखक: श्रीनिवास आर्य
आचार्य अनूपदेव संसार में प्रायः अवतारवाद को लेकर यह अवधारणा बनी हुई है कि भगवान या ईश्वर अवतार यानी कि जन्म लेता है। यहाँ विचार करने वाली बात यह है कि, यदि कहा जाये कि मनुष्य अवतार लेता है, तो यह सम्भव है, क्योकि अवतार तो केवल वही ले सकता है जो एकदेशी अणु हो, […]
राजेंद्र सिंह कदाचित् मध्यकालीन भारत के सन्तों और सिद्धों की श्रेणी में गुरु नानकदेव अकेली ऐसी विभूति हैं जिन्होंने इस प्राचीन राष्ट्र को एक सांस्कृतिक और राजनैतिक इकाई के रूप में देखा। उल्लेखनीय है कि आदि श्री गुरु ग्रन्थ साहिब जी में जिन तीस से अधिक जिन महापुरुषों की वाणी संकलित है, उनमें से केवल […]
राजीव चौधरी एक समय वो भी आया जब वामपंथ का समाजवाद का नशा कई देशों में फैला, राजतन्त्र के खिलाफ क्रांतियाँ हुई। किसान गरीब समाजवाद के पैरोकार बने वामपंथी कई देशों में सत्तासीन भी हुए क्यूबा भी एक देश था। प्रमुख कम्युनिष्ट नेता फ़िदेल कास्त्रो यहाँ के राष्ट्राध्यक्ष थे। बताया जाता है 1993 में फिदेल […]
विनय आर्य आखिर जब जेएनयु विवाद फीस को लेकर था तो इस विवाद को मूलनिवासी से क्यों जोड़ दिया गया। फीस में मनुवाद कहाँ से आया और फीस में राम मंदिर कहाँ से आया? शायद ये चीजें आई नहीं बल्कि लाई गयी क्योंकि आजकल आपने एक शब्द सुना होगा मूलनिवासी। इस शब्द के साथ भारतीय […]
देश को अपने झूठ की भांग पिलाने, अफीम चटाने में जुटे धूर्त ध्यान दें। कल धनतेरस के पर्व पर राजधानी लखनऊ के बाजारों में 100 करोड़ रुपये का मिष्ठान्न और लगभग 100 करोड़ के ही ड्राई फ्रूट बिके। बाजार में कुल लगभग 2 हजार करोड़ रुपयों की बिक्री कल हुई। यह तो आंकड़ा लगभग 50 […]
राजीव चौधरी भारत में जब-जब अपराध की बात आती है, तो सारे मोलवी, मोलाना क सवर में कहते है की सारे अपराध ख़तम करने है तो शरियत कानून लाग करो तब मेरे मन में क विचार आता है। कि बहत पहले हमारेमोहलले में साईकल पर क चूरन बेचने वाला आता था। जो हर मरज का […]
ममता रानी जी हाँ, प्रकृति की गोद में कई सारे ऐसे स्वादिष्ट खाद्य पदार्थ हैं, जो हमें बड़ी सहजता से अनेक असाध्य रोगों से बचाते हैं। ऐसा ही एक खाद्य पदार्थ है कुलथी। कुलथी लाल-भूरे रंग का एक दलहन है जिसे दाल के रूप में खाने की परंपरा रही है। मकर संक्रांति के दूसरे दिन […]
आनंद कुमार सन 1850 के दौर में जब अंग्रेजों को भयानक भारतीय प्रतिरोध का सामना करना पड़ा तो धीरे से उन्होंने एक आर्म्स एक्ट लागु कर दिया। इसका उन्हें फायदा ये हुआ कि भारतीय हथियार रखेंगे नहीं तो यहाँ कि शास्त्रों की परंपरा जाती रहेगी। फिर एक प्रशिक्षित सिपाही भी बिना प्रशिक्षण वाली सौ-दो सौ […]
डॉ. श्रीकृष्ण ‘जुगनू’ महाराणा कुंभा को कला प्रेमी और विद्यागुरु शासक कई अर्थों में कहा जा सकता है। वास्तु, शिल्प, संगीत, नाटक, नृत्य, चित्र जैसी अनेक भागों वाली कृतियां और कला मूलक रचनात्मक प्रवृत्तियां कुंभा की अद्भुत देन और देश की दिव्य निधि है। भूलोकमल्ल सोमेश्वर और परमार कुलावतंस भोज की तरह कुंभा ने भी […]