कटक । ( संवाददाता) कार्यक्रम में वीर सावरकर फाउंडेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रह्लाद खंडेलवाल ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि भारत की बलिदानी परंपरा को जीवित रखकर वीर सावरकर फाउंडेशन एक महानतम कार्य को संपादित कर रहा है। उन्होंने कहा कि फाउंडेशन के लोग राष्ट्रवाद का संचार कर लोगों में नवजागरण का भाव […]
लेखक: श्रीनिवास आर्य
कटक। (विशेष संवाददाता) यहां स्थित क्रांति उड़ीसा न्यूज़ सभागार मारवाड़ी क्लब के सामने माणिक घोष बाजार में वीर सावरकर फाउंडेशन द्वारा मदनलाल धींगड़ा राष्ट्रीय पुरस्कार वितरण समारोह संपन्न हुआ। 2021 के लिए इस पुरस्कार को कोठारी बंधु द्वय राम-शरद कोठारी को मरणोपरांत दिया गया। जिसे उनकी बहन पूर्णिमा कोठारी द्वारा कोलकाता से आकर प्राप्त किया […]
जवाहरलाल कौल आधुनिकता का चोला ओढ़े हमारे इतिहासकार और बुद्धिजीवी अकसर यह कहते फिरते हैं कि भारतीय समाज आरम्भ से ही धर्म और शास्त्रों के बनाए नियमों कायदों में जकड़ा रहा है और आज भी इन्हीं में फंसा हुआ है। हमारे शास्त्रों का सही मायने में मूल्यांकन तो हुआ ही नही, समाज में उनकी साधारण […]
पूनम नेगी एक रोचक पौराणिक कथानक है। कहा जाता है कि सृष्टि के प्रारंभ में जब ब्रह्मा जी ने मनुष्य की रचना की तो धरती पर उसे अनेक अभाव, अशक्ति और कष्ट की अनुभूति हुई। पीडि़त मनुष्य पितामह ब्रह्मा के पास गये और अपनी व्यथा कही। इस पर ब्रह्माजी ने उन्हें यज्ञ करने का सुझाव […]
डॉ. जितेंद्र बजाज यह प्रश्न करना कि अपनी प्राचीन ज्ञान परंपरा पर हमें क्यों चर्चा करनी चाहिए, स्वयं में एक विलक्षण प्रश्न है। दुनिया में किसी भी देश में इस प्रकार का प्रश्न नहीं पूछा जाता। यूरोप में यदि आप किसी से पूछें कि ग्रीक और लैटिन पढऩा क्यों आवश्यक है, तो वह आप पर […]
राजीव रंजन प्रसाद हमें तो वास्कोडिगामा ने खोजा है, भारतीय उससे पहले थे ही कहाँ? पढाई जाने वाली पाठ्यपुस्तकों का सरलीकरण करें तो महान खोजी-यात्री वास्कोडिगामा ने आबरा-कडाबरा कह कर जादू की छडी घुमाई और जिस देश का आविष्कार हुआ उसे हम आज भारत के नाम से जानते हैं? माना कि देश इसी तरह खोजे […]
दिनेश चमोला ‘शैलेश’ जीवन के विकास तथा व्यक्तित्व के निर्माण में परिवेश एवं सामाजिक स्थितियों की महती भूमिका होती है। जिस परिवेश में मनुष्य बचपन से जीवनयापन करता चलता है, संस्कारों से, उस उर्वरा भूमि से ही वह जहां कुछ न कुछ सीखता है, वहीं सक्षम होने पर कुछ न कुछ नैसर्गिक रूप से उसे […]
राजशेखर व्यास भारतर्वा में ग्राम सभा का विकास बहुत पुराने जमाने में हो गया था। देश के अधिकांश भाग पर यही सभा अपना वर्चस्व रखती थी। इसकी शासन पद्धति बड़ी सुव्यवस्थित थी। वेद, ब्राह्मण और उपनिाद काल में गा्रम-सभा, उसके प्रमुख और अधिठाता का सम्मानपूर्वक उल्लेख है। ग्रामाध्यक्ष को वैदिक काल में ग्रामजी कहा जाता […]
रवि शंकर हाल ही में केंद्र सरकार द्वारा सर्वोच्च न्यायालय के एक निर्णय के विरुद्ध संसद में लाए गए अनुसूचित जाति/जनजाति विधेयक के बाद देश में भूचाल जैसा आ गया है। सही बात तो यह है कि जातीय घृणा और विद्वेष का भाव भारतीय, वैदिक अथवा सनातनी भाव नहीं है। जातीय घृणा और भेदभाव का […]
रवि शंकर दलितों और स्त्रियों की बात करते ही एक बात बड़े ही जोर शोर से कही जाती है कि मनु स्मृति में कहा गया है कि वेदों को सुनने पर शूद्रों और स्त्रियों के कानों में पिघला हुआ सीसा उड़ेल दिया जाना चाहिए, ताकि वे हमेशा के लिए बहरे हो जाएं। हमें यह जान […]