*__________________ लेखक आर्य सागर खारी 🖋️ हमारे शरीर का निर्माण जिन पंचतत्व से हुआ है उन में सर्वाधिक प्रधानता पृथ्वी तत्व अर्थात मिट्टी की है यही कारण है इस शरीर को माटी का पुतला कहा गया है| अर्थववेद में अनेक सूक्त में मिट्टी के आयुरविज्ञान सम्मत ,रोग नाशक गुणों का उल्लेख किया गया है| लोक […]
Author: आर्य सागर खारी
लेख संख्या 26 लेखक आर्य सागर खारी 🖋️ (जगत-गुरु महर्षि दयानंद सरस्वती जी की 200 वी जयंती के उपलक्ष्य में 200 लेखों की लेखमाला के क्रम में आर्य जनों के अवलोकनार्थ लेख संख्या 26) जिस कालखंड में महर्षि दयानन्द सरस्वती जी का प्रवास जयपुर में हुआ उस समय भी जयपुर के राजा राम सिंह थे, […]
* लेखक आर्य सागर खारी 🖋️। पीपल का यह 200 वर्ष से अधिक पुराना वृक्ष ग्राम अमरपुर ग्रेटर नोएडा में है। जितना अधिक पुराना यह वृक्ष है उतना ही अनूठा इस वृक्ष के संरक्षण के पीछे का ग्रामीणों का भाव है। यह वृक्ष सार्वजनिक लोक मार्ग से होते हुए एक निजी चार दिवारी पर इसकी […]
महर्षि दयानन्द का आगरा निवास
लेखक आर्य सागर खारी 🖋️ (जगतगुरु महर्षि दयानंद सरस्वती की 200 वीं जयंती के उपलक्ष्य में 200 लेखों की लेखमाला के क्रम में आर्य जनों के अवलोकनार्थ लेख संख्या 21) आगरा में अपने जिन प्रौढ़ विद्यार्थियों को स्वामी दयानन्द अष्टाध्यायी पढ़ाते थे उनमें से कुछ कभी-कभी रात्रि में उनके पास ही रुक जाते थे उनमें […]
अन्नागार बनते अजायब घर*।
* लेखक आर्य सागर खारी 🖋️ बस किसी तरह यह अन्न छानने, कूटने,पकाने के विविध मानव श्रमचालित पात्र उपकरण पुनः हमारे घर में स्थान पाकर प्रयोग में आ जाए तो मधुमेह ,अवसाद,ह्रदय पेट रोगों से धीमी व तेज मौत मरते लोगों को पुनर्जीवन स्वास्थ्य मिल जाएगा। पहले प्राचीन भारतीय घरों में अन्नागार बनता था। जहां […]
लेख संख्या 18* लेखक आर्य सागर खारी 🖋️। महर्षि दयानंद सरस्वती की 200 वीं जयंती के उपलक्ष्य में 200 लेखों की लेखमाला के क्रम में आर्य जनों के अवलोकनार्थ लेख संख्या 18। गुरु के पास से विदा होने के समय स्वामी दयानंद के पास यह वस्तुएं थी।1) उनके पास संस्कृत व्याकरण दर्शनों का पांडित्य था। […]
11 लेखक आर्य सागर खारी 🖋️ (जगतगुरु महर्षि दयानंद सरस्वती जी की 200 वी जयंती के उपलक्ष्य में 200 लेखों की लेखमाला के क्रम में आर्य जनों के अवलोकनार्थ लेख संख्या11) दंडी जी के द्वारा सार्वभौम सभा की स्थापना के वैचारिक आग्रह , पाठशाला में अध्यापन कराने, पंडितों के साथ शास्त्रार्थ करने देशी राजाओं से […]
(जगतगुरू महर्षि दयानंद सरस्वती जी की 200 वी जयंती के उपलक्ष्य में 200 लेखों की लेखमाला के क्रम में आर्य जनों के अवलोकनार्थ लेख संख्या 9) प्रज्ञा चक्षु दंडी स्वामी विरजानन्द जी को ‘सार्वभौम सभा’ के गठन व उसके प्रथम विद्ववत सम्मेलन का आश्वासन देकर जयपुरपति राम सिंह द्वितीय ने गंभीर ध्यान आश्वासन को कार्य […]
* (महर्षि दयानंद सरस्वती जी की 200 वीं जयंती के उपलक्ष्य में 200 लेखो की लेखमाला के क्रम में आर्य जनों के अवलोकनार्थ लेख संख्या 8) दंडी जी ने आर्ष ग्रंथों के प्रचार अनार्ष ग्रन्थों के समूल उच्छेद की प्रतिज्ञा ली थी। यद्यपि वृद्धावस्था ने धीरे-धीरे उन्हें मृत्यु का निकटवर्ती बना दिया था लेकिन अपने […]
* (जगतगुरु महर्षि दयानंद सरस्वती जी की 200 वीं जयंती के उपलक्ष्य में 200 लेखों की लेखमाला के क्रम में आर्य जनों के अवलोकनार्थ लेख संख्या 7) प्रज्ञा चक्षु विरजानन्द जी अपने प्रत्येक विद्यार्थी को अपूर्व व अभिनव प्रणाली से पढ़ाते थे। जैसे अध्यापक गण सब छात्रों को एकत्रित करके उनका विभाग करके एक-एक श्रेणी […]