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महत्वपूर्ण लेख

जब रिश्ते हैं टूटते, होते विफल विधान….

जब रिश्ते हैं टूटते, होते विफल विधान। गुरुवर तब सम्बल बने, होते बड़े महान।। बच्चों के विकास में, शिक्षकों की आदर्श भूमिका सही मूल्यों और गुणों के प्रवर्तक और प्रेरक की होनी चाहिए। इस प्रकार, छात्रों को ज्ञान सीधे चम्मच खिलाने के बजाय, उन्हें बच्चों में पूछताछ, तर्कसंगतता की भावना विकसित करने का प्रयास करना […]

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मुद्दा

बेरोजगारी में नंबर वन हरियाणा: युवाओं के साथ खेलती सरकार, क्यों नहीं हो रही भर्तियां?

 अगर सरकार की मंशा ही है तो आखिर क्यों राज्य में लाखों पदों के खाली होने के बावजूद यहां के औद्योगिक प्रशिक्षण विभाग में आईटीआई  इंस्ट्रक्टर के पदों पर भर्ती नहीं होती? शिक्षकों के खाली पदों को क्यों नहीं भरा जाता? एचएसआईआईडीसी एवं पुलिस  के चयनित उम्मीदवारों को जॉइनिंग क्यों नहीं दी जाती? सरकार को […]

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पर्व – त्यौहार

भाई-बहन के अटूट रिश्ते के क्या हैं मायने ?

– -प्रियंका सौरभ भाई-बहन का रिश्ता दुनिया के सभी रिश्तों में सबसे ऊपर है। हो भी न क्यों, भाई-बहन दुनिया के सच्चे मित्र और एक-दूसरे के मार्गदर्शक होते है। जब बहन शादी करके ससुराल चली जाती है और भाई नौकरी के लिए घर छोड़कर किसी दूसरे शहर चला जाता है तब महसूस होता है कि […]

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आखिर खेतों में किसान कब तक मरते रहेंगे करंट से ?

कारण जो भी हो, यह बहुत दुखद है कि हमारे किसान, हमारे देश के खाद्य प्रदाता, अपनी दैनिक दिनचर्या को ईमानदारी से निभाने में मर रहे हैं। नयी योजनाओं के साथ-साथ बिजली के ढीले तार ठीक करना, हाईवोल्टेज बिजली पोल का समाधान ढूंढना, खेत में लगाई जाली से बचना, रात को पानी चलाते समय सावधानी […]

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महत्वपूर्ण लेख

सेक्स ऑब्जेक्ट’ जमाने में महिला सशक्तिकरण

(सोशल मीडिया पर पाया गया है कि लड़कियों को लड़कों की तुलना में अधिक बार यौन रूप से चित्रित किया जाता है। सोशल मीडिया ने “किशोर लड़कियों के लिए कुछ यौन कथाओं के अनुरूप होने के लिए सदियों पुराने दबावों को बढ़ाया है। यह दर्शाता है कि महिलाओं के साथ एक ऐसी वस्तु के रूप […]

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आज का चिंतन

आखिर नसबंदी की जिम्मेवारी भी महिलाओं पर क्यों ?

( पुरुष नसबंदी की कम लागत और सुरक्षित प्रक्रिया के बावजूद, भारत की एक तिहाई से अधिक यौन सक्रिय आबादी में महिला नसबंदी को क्यों अपनाया जा रहा है ? पुरुष नसबंदी का विकल्प नगण्य-सा है। हमारे राष्ट्रीय परिवार और स्वास्थ्य सर्वेक्षण में इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि वर्तमान में 15-49 वर्ष […]

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विविधा स्वास्थ्य

सोच बदल कर ही मासिक धर्म की गरिमा बढ़ सकती है

  (मासिक धर्म के कलंक को तोड़ने और मासिक धर्म अपशिष्ट कार्यशालाओं और शौचालय डिजाइनों को बढ़ावा देने जैसी पहल के साथ शिक्षा और व्यवहार परिवर्तन के माध्यम से राष्ट्रीय नीति को बदलने की आवश्यकता है।) महिलाओं के लिए मासिक धर्म एक प्राकृतिक और स्वस्थ जैविक प्रक्रिया है, इसके बावजूद, यह अभी भी भारतीय समाज […]

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समाज

क्या महिलाओं को घरेलू काम के लिए वेतन दिया जाना चाहिए ?

  प्रियंका सौरभ (भारत में घरेलू श्रम के सवाल पर एक महत्वपूर्ण अभियान चल रहा है। ये मुख्य रूप से महिलाएं हैं जो ‘महिलाओं के काम’ करती हैं, लेकिन अन्य लोगों के घरों में। वो मांग करते हैं कि उनकी शर्तों को परिभाषित किया जाए, न्यूनतम मजदूरी की गारंटी दी जाए, और श्रमिकों की स्थिति […]

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आर्थिकी/व्यापार कृषि जगत

हमारी आर्थिक तस्वीर को बदल सकते हैं मछली और पशुपालन

( हरियाणा जैसे छोटे राज्य द्वारा पशु क्रेडिट कार्ड योजना इस क्षेत्र को आर्थिक तौर पर मजबूत बनाते है. फिर भी कुछ अन्य कदम इस क्षेत्र में किसानों को अपनी तरफ आकर्षित कर सकते है. यह लाखों लोगों को विशेष रूप से ग्रामीण लोगों को स्वरोजगार प्रदान करता है. इसने महिलाओं के सशक्तिकरण में महत्वपूर्ण […]

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शिक्षा/रोजगार

खुलने लगे स्कूल, हो न जाए भूल

( बिना परीक्षा कॉलेजों और स्कूलों की बड़ी कक्षाओं के छात्रों को ‘कोरोना सर्टिफिकेट’ देना कोई बेहतर कदम नहीं है।  कोरोना काल में वर्चुअल कक्षाओं ने इंटरनेट को भी शिक्षा की महत्वपूर्ण कड़ी बना दिया है लेकिन हमने ये भी जाना कि देश में एक बड़े वर्ग के पास न तो स्मार्ट फोन है और […]

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