संसद में शोर-शराबा, वेल में जाकर नारेबाज़ी करना, एक-दूसरे पर निजी कटाक्ष करना यहां तक कि कई बार हाथापाई पर उतारू हो जाना आज संसद की आम तस्वीर है। आखिर सियासी पार्टियों और सांसदों का बर्ताव इतना अराजक क्यों हो गया है? क्या आज पार्टियों के निहित स्वार्थों ने संसद को मज़ाक बनाकर रख दिया […]
Author: प्रियंका सौरभ
रिसर्च स्कॉलर इन पोलिटिकल साइंस,
कवयित्री, स्वतंत्र पत्रकार एवं स्तंभकार,
उब्बा भवन, आर्यनगर, हिसार (हरियाणा)-127045
(मो.) 7015375570 (वार्ता+वाट्स एप)
भौतिकता की चाह में पीछे छूटते रिश्ते
एक अजीब सी दौड़ है ये ज़िन्दगी, जीत जाओ तो कई अपने पीछे छूट जाते हैं और हार जाओ तो अपने ही पीछे छोड़ जाते हैं। रिश्तों के प्रति इंसान को जागरूक होना चाहिए तथा रिश्तों की अहमियत को पहचाना चाहिए। जो रिश्तों के अर्थ को समझ सकता है। वहीं रिश्तों को निभा सकता है। […]
संबंधों के बीच पिसते खून के रिश्ते
आज हम में से बहुतों के लिए खून के रिश्तों का कोई महत्त्व नहीं। ऐसे लोग संबंधों को महत्त्व देने लगे हैं। और आश्चर्य की बात ये कि ऐसा उन लोगों के बीच भी होने लगा है जिनका रिश्ता पावनता के साथ आपस में जोड़ा गया है। वैसे तो हमारे सामाजिक संबंधों और सगे रिश्तों […]
अपना राष्ट्रीय ध्वज यानी तिरंगा। इसको लहराते देख गर्व से सीना चौड़ा हो जाता है। इस के सम्मान में इसे सैल्यूट करने का मन चाहता है। हमारे राष्ट्रीय प्रतीकों का कोई दुरुपयोग ना करे, कोई इनका अपमान न करे। झंडों को फेंके नहीं, कूड़ेदान में भी नहीं डालें। घर पर लगे झंडों को तह बनाकर […]
यहां बात सिर्फ आरोप-प्रत्यारोपों की नहीं है। सवाल सिस्टम के बड़े फेलियर का है। क्या सिर्फ वीडियो वायरल होने के बाद सरकार के संज्ञान में कोई घटना आएगी? उसका तंत्र क्या कर रहा है? क्यों दो महीने तक कोई कार्रवाई नहीं हुई? क्या लोगों की निशानदेही नहीं की जा सकती थी? ऐसे कई बड़े सवाल […]
आज एकल परिवार और महिलाओं की नौकरी पर जाने से दांपत्य सुख के साथ-साथ पारिवारिक सुख जो होना चाहिए वह नहीं है। बच्चे किसी और पर आश्रित होने के कारण टीवी मोबाइल में घुसे रहते हैं। कामकाजी पति-पत्नी के मामलों में यह बात सामने आ रही है कि दोनों ऑफिस के बाद घर में मोबाइल […]
आज पेड न्यूज, मीडिया ट्रायल, गैर-मुद्दों को वास्तविक समाचार के रूप में प्रस्तुत किया जा रहा है, जबकि वास्तविक मुद्दों को दरकिनार किया जा रहा है, वास्तविक और समाज हित के समाचार को नजरअंदाज किया जा रहा है और मुनाफे और राजनीतिक पक्ष के लिए तथ्य विरूपण, फर्जी समाचार, पीत पत्रकारिता की जा रही है […]
महिलाओं की राजनीति में बाधा बनते सरपंचपति
चुनाव में खड़े होने और जीतने के बाद महिला प्रधानों के परिवार के सदस्यों से प्रभावित होने की संभावना अधिक होती है; अधिकांश कार्य परिवार के पुरुष सदस्यों द्वारा नियंत्रित किया जाता है। देखने में तो महिलाओं ने चुनाव जीत लिया लेकिन परोक्ष रूप से पुरुष सदस्यों द्वारा नियंत्रित किया जा रहा है। पुरुष सदस्यों […]
कृषि रोबोट: किसानों का किफायती दोस्त
कृषि क्षेत्र में भारत में किसान घट रहे हैं। कुछ सामान्य वाक्यों को दोहराकर खेती के पेशे को छोड़ रहे हैं कि यह अब लाभदायक नहीं है, दिन-ब-दिन जोखिम भरा होता जा रहा है। इसके नुकसान युवाओं को भी इसमें रुचि नहीं लेने देते हैं। रोबोटिक्स निश्चित रूप से कृषि क्रांति लाएगा। हालांकि आगे की […]
नौ दिन कन्या पूजकर, सब जाते है भूल देवी के नवरात्र तब, लगते सभी फिजूल क्या हमारा समाज देवी की लिंग-संवेदनशील समझ के लिए तैयार है? नवरात्रों में भारत में कन्याओं को देवी तुल्य मानकर पूजा जाता है। पर कुछ लोग नवरात्रि के बाद यह सब भूल जाते हैं। बहुत जगह कन्याओं का शोषण होता […]