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महत्वपूर्ण लेख

किसान वर्ग ही अर्थव्यवस्था को दे सकता है सहारा : सरकार को दिखानी होगी किसान के प्रति पूरी हमदर्दी

  गाजियाबाद। ( ब्यूरो डेस्क ) अब जबकि गाँव गांव, गली गली और खेतोखेत खरीफ फसल बुआई की तैयारी हो रही है और देश में लाकडाऊन का दौर ढलान पर है तब सभी को खरीफ कृषि के संदर्भ यह कहावत स्मरण कर लेना चाहिए – असाड़ साउन करी गमतरी, कातिक खाये, मालपुआ। मांय बहिनियां पूछन […]

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मोदी के सात वर्ष ….

मोदी_के_सात_वर्ष -कविता- मोदी तुम सात वर्ष  में इक आस भरी कविता से लगते हो। बस कमी यही कि नही लगते हो शासक से कुछ संत संत से लगते हो। माँ भारती के आराधक भ्रष्टाचारों के संहारक तुम इस घुटन भरे वातावरण मे वातायन से लगते हो मोदी तुम श्वांस श्वांस से लगते हो। ऐसा नहीं […]

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महत्वपूर्ण लेख

बंगाल : राम पंथ या वामपंथ या खेला होबे

बंगाली में एक कहावत है – डूबे डूबे झोल खाबा इसी भावार्थ की एक हिंदी कहावत है – ऊँट की चोरी नेवड़े नेवड़े नहीं हो सकती. दोनों ही कहावतो का एक सा अर्थ है कि बड़ी चोरी आज नहीं तो कल पकड़ी ही जायेगी. पश्चिम बंगाल में हिंदू हितों की चोरी भी ममता दीदी का […]

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व्यक्तित्व

प्रकृति की हानि कोरोना जैसी आपदा को जन्म देगी यह जानते थे – अनिल दवे

अनिल माधव दवे, एक ऐसा नाम जो गड्ढा खोदकर पौधा लगाने से लेकर वायुयान उड़ाने तक के कार्य को पूर्ण विशेषज्ञता के साथ ही नहीं अपितु नवाचार के साथ करने में सक्षम हो! एक ऐसा नाम जो सादगी को भी फैशन बना देने में सक्षम हो!! और सबसे बड़ी बात जो वैदिक काल के नायकों […]

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आतंकवाद महत्वपूर्ण लेख

तुष्टीकरण की राजधानी में अब भाजपा सशक्त विपक्ष

  पिछले वर्षों में संपूर्ण भारत में तुष्टिकरण की राजनीति की राजधानी बनकर कोई राज्य उभरकर आया है तो वह राज्य है पश्चिम बंगाल! तुष्टिकरण की राजनीति की प्रयोगशाला या राजधानी बनकर उभरा पश्चिम बंगाल इस घृणित राजनीति की एक बड़ी कीमत चुका बैठा है व आगामी दिनों में भी चुकाएगा यह स्पष्ट दिख गया […]

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राजनीति

बंगाल: रामपंथ या वामपंथ या खेला होबे

प्रवीण गुगनानी बंगाली में एक कहावत है – डूबे डूबे झोल खाबा इसी भावार्थ की एक हिंदी कहावत है – ऊँट की चोरी नेवड़े नेवड़े नहीं हो सकती। दोनों ही कहावतो का एक सा अर्थ है कि बड़ी चोरी आज नहीं तो कल पकड़ी ही जायेगी। पश्चिम बंगाल में हिंदू हितों की चोरी भी ममता […]

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राजनीति

जय श्री राम बोलना ‘पाप’हो गया था दीदी के शासन मे !

प्रवीण गुगनानी दीदी राम विरोधी निकलीं और चलती गाड़ी से स्वयं निकल कर जय श्रीराम के नारे लगाते बच्चों को बड़ी ही निर्लज्जता से डांटने लगी थीं। बच्चों को श्रीराम का नारा लगाने पर डांटना एक छोटी किंतु प्रतीकात्मक बड़ी घटना है जिसके बड़े ही विशाल अर्थ निकलते हैं। बंगाली में एक कहावत है- डूबे […]

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इतिहास के पन्नों से

भीम और मीम की राजनीति : बाबासाहेब और जोगेंद्र मंडल की दृष्टि में

भारतीय दलित राजनीति वर्तमान समय में सर्वाधिक दिग्भ्रमित दौर में है। दुर्भाग्य से वर्तमान समय ही इतिहास का वह संधिकाल या संक्रमणकाल है जबकि दलित राजनीति को एक दिशा की सर्वाधिक आवश्यकता है। भीम मीम के नाम का सामाजिक जहर बाबासाहेब अम्बेडकर के समूचे चिंतन को लील रहा है।भीम मीम के इतिहास को देखना, पढ़ना […]

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इतिहास के पन्नों से

भारत के स्पार्टाकस तिलक मांझी

  प्रवीण गुगनानी वैसे तो विधर्मी आक्रांताओं के विरुद्ध भारत भूमि ने हजारों-लाखों लाल जन्मे हैं किंतु औपनिवेशिक आक्रांताओं के विरुद्ध जो आदि विद्रोही हुये  या प्रथम लड़ाके हुये उस वीर को  तिलका मांझी के नाम से जाना जाता है। तिलका मांझी को जबरा पहाड़िया नाम से भी जाना जाता है। ऐसा निस्संकोच कहा जा […]

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व्यक्तित्व

भारत के स्पार्टाकस तिलका मांझी

वैसे तो विधर्मी आक्रांताओं के विरुद्ध भारत भूमि ने हजारों-लाखों लाल जन्मे हैं किंतु औपनिवेशिक आक्रांताओं के विरुद्ध जो आदि विद्रोही हुये या प्रथम लड़ाके हुये उस वीर को तिलका मांझी के नाम से जाना जाता है। तिलका मांझी को जबरा पहाड़िया नाम से भी जाना जाता है। ऐसा निस्संकोच कहा जा सकता है कि […]

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