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भयानक राजनीतिक षडयंत्र

डीलिस्टिंग: सामाजिक न्याय के मार्ग मे मील का पत्थर

जनजातीय मुद्दों पर प्रतिदिन अपने स्वार्थ की रोटियां सेंकने वाले विभिन्न संगठन व राजनैतिक दल डिलिस्टिंग जैसे संवेदनशील मुद्दे पर चुप क्यों हैं? स्पष्ट है कि वे कथित धर्मान्तरित होकर जनजातीय समाज के साथ छलावा और धोखा देनें वाले लोगों के साथ खड़े हैं. ये कथित दल, संगठन और एनजीओ भोले भाले वनवासी जनजातीय समाज […]

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मप्र मे धर्मांतरण कानून और समाज दोनों को और सख्त होने की आवश्यकता

प्रवीण गुगनानी, विदेश मंत्रालय, भारत सरकार मे राजभाषा सलाहकार यदि मध्यप्रदेश के सामाजिक ताने बाने, अर्थव्यवस्था, राजनैतिक वातावरण, व्यापार वयवसाय के पिछड़े होने की और इन सबसे धर्मांतरण के संबंध की चर्चा करें तो एक जनजातीय कहावत स्मरण मे आती है – तेंदू के अंगरा बरे के न बुताय के अर्थात दुष्ट व्यक्ति न स्वयं […]

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महत्वपूर्ण लेख

संघप्रमुख का कहा सज्जन राष्ट्रवादी मुस्लिमों को तो सदा से स्वीकार है

प्रवीण गुगनानी, विदेश मंत्रालय, भारत सरकार मे राजभाषा सलाहकार   “तोड़ दूंगा ये सारे बुत ए खुदा पहले यह तो बता तुझको इनसे इतनी जलन क्यों है।  आए हैं कहां से ये बुत तेरे ही बनाए हुए पत्थरों और मिट्टियों से  पहले यह तो बता की उन पत्थरों और मिट्टियों में क्या तू नही है?” किसी […]

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भयानक राजनीतिक षडयंत्र

धर्मांतरण से उबलता छत्तीसगढ़ का शांत जनजातीय समाज

प्रवीण गुगनानी, —————– छत्तीसगढ़ राज्य का बस्तर संभाग विशेषतः नारायणपुर जिला पुनः अस्थिर, अशांत और अनमना सा है। सदा की तरह कारण वही है, धर्मांतरण! वैसे तो समूचा छत्तीसगढ़ ही धर्मांतरण और मसीही आतंक से पीड़ित है किंतु बस्तर संभाग में यह दंश कुछ अधिक है। सदा की तरह कारण स्थानीय जनजातीय समाज की परम्पराओं, […]

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कृषि जगत हमारे क्रांतिकारी / महापुरुष

सुपर कृषक बनने का मार्ग: सुपर फ़ूड मोटे अनाज की प्राकृतिक कृषि

23 दिसंबर: राष्ट्रीय किसान दिवस पर विशेष प्रवीण गुगनानी देश में मोटे अनाजों की कृषि, उत्पादन व उपभोग को पर केंद्रित इस लेख के पूर्व यह कविता पढ़िए – यह रागी हुई अभागी क्यों? चावल की किस्मत जागी क्यों? जो ‘ज्वार’ जमी जन-मानस में, गेहूँ के डर से यह भागी क्यों? यूँ होता श्वेत ‘झंगोरा’ […]

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हमारे क्रांतिकारी / महापुरुष

विवेकानंद स्मारक के शिल्पी एकनाथ रानाडे 

राम रूप सर्वत्र समाना। देखत रहत सदा हर्षाना।। विधि शारदा सहित दिनराती। गावत कपि के गुन बहु भाँति।। प्रभु श्रीराम के कृतित्व हेतु हनुमान जी का जो महत्त्व था वही महत्त्व स्वामी विवेकानंद के कृतित्व को प्रस्तुत करने हेतु एकनाथ जी रानाडे का रहा है. यद्दपि भगवान् श्रीराम व राम भक्त हनुमान जी समकालिक रहे […]

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महत्वपूर्ण लेख

राष्ट्ररक्षा का भाव ही वनवासी समाज का मूल स्वभाव है

स्वतंत्रता के अमृत महोत्सव अर्थात 75 वीं गौरवशाली वर्षगाँठ पर स्वाभाविक ही है हम जनजातीय समाज का भी स्मरण करें। जनजातीय समाज का भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में अपना व्यापक, विस्तृत व विशाल योगदान रहा है। विदेशी आक्रान्ताओं के विरुद्ध वर्ष 812 से लेकर 1947 तक भारत की अस्मिता के रक्षण हेतु इस  समाज के हजारों […]

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विविधा

मध्यप्रदेश: भारत का सांस्कृतिक तिलक 

मध्यप्रदेश: भारत का सांस्कृतिक तिलक  मध्यप्रदेश वस्तूतः केवल भौगोलिक ह्रदयस्थली नही बल्कि भारत का मानसस्थल है। यहीं से संपूर्ण भारत में जागरण, चैतन्यता व सांस्कृतिक तेज का भाव संचारित होता है। यह प्रदेश एक तरफ़ से उत्तरप्रदेश, दूसरी तरफ़ से झारखण्ड, तीसरी तरफ़ से महाराष्ट्र, चौथी तरफ़ से राजस्थान, पाँचवी तरफ़ से गुजरात और छठवीं […]

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भयानक राजनीतिक षडयंत्र

जनसंख्या पर संघप्रमुख का कथन और प्यु रिसर्च सेंटर की रिपोर्ट   

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का प्रतिवर्ष दशहरे पर नागपुर मुख्यालय में आयोजित होने वाला प्रबोधन उत्सव संपन्न हुआ. संघ के परमपूजनीय सरसंघचालक मोहनराव जी भागवत ने अपने उद्बोधन में कहा कि किसी भी देश में जनसंख्या असंतुलन उस देश के विभाजन का कारण बन सकता है. ऊन्होने कहा- हमें समझना होगा कि जब-जब जनसांख्यिकीय असंतुलन होता […]

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आतंकवाद

भीम मीम की राजनीति और आतंकी पीएफआई का मिशन 2047

गाजियाबाद। ( प्रवीण गुगनानी ) भीम मीम की राजनीति का षड़यंत्र भारत में शताधिक वर्षों से किया जा रहा है। जोगेंद्रनाथ मंडल, इस कुत्सित राजनीति का एक पठनीय व स्मरणीय अध्याय है, दलित बंधुओं को अवश्य पढ़ना चाहिए। आज भी दलितों पर सर्वाधिक अत्याचार मुस्लिमों द्वारा किए जाते हैं। ये अत्याचार केवल सामाजिक प्रकार के […]

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