प्रवीण गुगनानी, विदेश मंत्रालय में राजभाषा सलाहकार, guni.pra@gmail.com 9425002270 आ सिंधु-सिंधु पर्यन्ता, यस्य भारत भूमिका l पितृभू-पुण्यभू भुश्चेव सा वै हिंदू रीति स्मृता ll इस श्लोक के अनुसार “भारत के वह सभी लोग हिंदू हैं जो इस देश को पितृभूमि-पुण्यभूमि मानते हैं” वीर दामोदर सावरकर के इस दर्शन को राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ का मूलाधार […]
लेखक: प्रवीण गुगनानी
प्रवीण गुगनानी, विदेश मंत्रालय, भारत सरकार में सलाहकार, राजभाषा 9425002270 डॉक्टर भीमराव रामजी अम्बेडकर यानि बाबा साहेब केवल किसी एक समुदाय या जाति विशेष में व्याप्त रूढ़ियों, कुरीतियों और बुराइयों हेतु ही चिंतित नहीं थे। बाबा साहेब। समूचे भारत के सभी वर्गों में व्याप्त सामाजिक कुरीतियों के उन्मूलन हेतु प्रयासरत रहते थे। इस नाते ही […]
प्रवीण गुगनानी, विदेश मंत्रालय में राजभाषा सलाहकार, आ सिंधु-सिंधु पर्यन्ता, यस्य भारत भूमिका l पितृभू-पुण्यभू भुश्चेव सा वै हिंदू रीति स्मृता ll इस श्लोक के अनुसार “भारत के वह सभी लोग हिंदू हैं जो इस देश को पितृभूमि-पुण्यभूमि मानते हैं” वीर दामोदर सावरकर के इस दर्शन को राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ का मूलाधार बनाकर संघ […]
प्रवीण गुगनानी, विदेश मंत्रालय, भारत सरकार में राजभाषा सलाहकार विमर्श या नैरेटिव के नाम पर भारत में एक अघोषित युद्द चला हुआ है। इन दिनों भारत में चल रहा यह विमर्श शुद्ध राजनैतिक है। राजनीति और कुछ नहीं समाज का एक संक्षिप्त प्रतिबिंब ही है। विमर्श में यह प्रतिबिंब विषय व समयानुसार कुछ छोटा या […]
प्रवीण गुगनानी, सलाहकार, विदेश मंत्रालय, भारत सरकार, राजभाषा अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि के भव्य निर्माण से आनंदित हिंदुओं के उत्साह, उल्लास, उमंग को समाप्त करने के प्रयास हो रहे हैं! राममंदिर के हर्ष से निर्मित देश के प्रसन्नचित्त मानस का वध प्रयास हो रहा है!! अब इटली-रोम संचालित कांग्रेस को हिंदू होने का जज़िया कर […]
दो बंगाली लोकोक्तियाँ हैं – थेलाई ना पोरले बेरल गाछे ओथे ना -अर्थात् आपकी समस्याओं से पार पाने हेतु आपको उस समस्या का सामना करना ही होगा और दूजी कहावत है – किछुतेई किछु न फ़ेसतेई पोइसा- कुछ प्राप्त करने हेतु आलस्य छोड़कर कर्म करना ही होगा। आज की परिस्थिति में बंगाल में ममता व […]
प्रवीण गुगनानी श्री गुरुजी, माधव सदाशिव राव गोलवलकर शक्तिशाली भारत की अवधारणा के अद्भुत, उद्भट व अनुपम संवाहक थे। श्री गुरुजी के संदर्भ में “थे” शब्द कहना सर्वथा अनुचित होगा, वे आज भी पराक्रमी भारत, ओजस्वी भारत, अजेय भारत, निर्भय भारत, संपन्न-समृद्ध-स्वस्थ भारत व राष्ट्रवाद भाव के झर-झर बहते निर्झर झरने बने हुए हैं। वे […]
रामराज्य एक सनातनी शासन पद्धति है, इस तथ्य को गर्वपूर्वक स्वीकारना चाहिये। जब हेग कन्वेंशन में, युद्ध नियम हमारे सनातनी शास्त्रों से ग्रहण किए जा सकते हैं तो फिर रामराज्य को सनातनी मानने में संकोच क्यों?! यह सर्वसमावेशी, सर्वव्यापी, सर्वस्पर्शी शासन पद्धति है। (उपशीर्षक) भारतीय समाज में व भारतीय संविधान में “श्रीराम” का केवल नाम […]
प्रवीण गुगनानी, विदेश मंत्रालय, भारत सरकार में सलाहकार, राजभाषा guni.pra@gmail.com 9425002270 सुमन बृष्टि नभ संकुल भवन चले सुखकंद। चढ़ी अटारिन्ह देखहिं नगर नारि नर बृंद।। श्रीराम जन्मभूमि के भव्य निर्माण व उसके लोकार्पण को केवल मंदिर निर्माण व लोकार्पण का अवसर मात्र कहना, भारत को कतई व्यक्त नहीं कर पाएगा। इस जन्मभूमि निर्माण और उसकी भूमिका के […]
प्रवीण गुगनानी, विदेश मंत्रालय, भारत सरकार में सलाहकार गाजियाबाद।( ब्यूरो डेस्क ) हमारे विदेशमंत्री एस जयशंकर जी वर्ष दो हज़ार चौबीस की अपनी पहली यात्रा में नेपाल गये। समय बड़ा ही प्रासंगिक है, जिसे कि परफ़ेक्ट टाइमिंग कहा जाता है। इधर अयोध्या में नेपाल से आई शालिग्राम शिलाओं से शिल्पित मूर्तियों का पूजन प्रारंभ […]