अंततः भारत चल पड़ा है विश्व गुरु बनने की राह पर। परंतु, पश्चिमी देशों में कुछ विघनसंतोषी जीवों को शायद यह रास नहीं आ रहा है क्योंकि भारत, ब्रिटेन का कभी औपनिवेशिक देश रहा है और इन देशों की नजर में यह कैसे हो सकता है कि ब्रिटेन के चन्द्रमा पर पहुंचने के पूर्व ही […]
लेखक: प्रहलाद सबनानी
लेखक भारतीय स्टेट बैंक से सेवा निवर्त उप-महाप्रबंधक हैं।
प्रह्लाद सबनानी पश्चिमी देशों द्वारा सबसे पहले तो कई अंतरराष्ट्रीय संस्थानों, जैसे विश्व बैंक, अंतरराष्ट्रीय मुद्रा फंड, संयुक्त राष्ट्र, विश्व स्वास्थ्य संगठन, विश्व व्यापार संगठन आदि का गठन किया गया। पूर्व के उपनिवेश देशों सहित अन्य छोटे छोटे देशों को भी इन समस्त संस्थानों का सदस्य बनाया गया। अमेरिकी महाद्वीप की खोज के साथ ही […]
भारत में लगातार मजबूत हो रही आर्थिक स्थिति का असर अब देश के नागरिकों की औसत आय में वृद्धि के रूप में भी देखने को मिल रहा है। गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाले नागरिक मध्यम वर्ग की श्रेणी में एवं मध्यम वर्ग की श्रेणी के नागरिक उच्च वर्ग की श्रेणी में स्थानांतरित […]
भारतीय यूनीफाईड पेमेंट इंटरफेस को कई देश अपनाने को तैयार हो गए हैं। भारत के पड़ौसी देश श्रीलंका ने भी अभी हाल ही में यूपीआई को अपना लिया है। पूर्व में, भारत और श्रीलंका की सरकारों के बीच इस सम्बंध में सहमति बन गई थी। फ्रान्स, संयुक्त अरब अमीरात और सिंगापुर ने पहिले ही भारतीय […]
प्रह्लाद सबनानी ब्याज दरों को और अधिक नहीं बढ़ाए जाने के कारण ही देश में आर्थिक विकास की गतिविधियों में गतिशीलता बनी हुई है। अन्यथा, विश्व बैंक, अंतरराष्ट्रीय मौद्रिक फंड एवं अन्य वित्तीय संस्थानों द्वारा वैश्विक स्तर पर कई अन्य देशों के वर्ष 2023 के आर्थिक विकास के अनुमान को घटाया गया है। आज विश्व […]
भारत ने जब से ‘आत्मनिर्भर भारत अभियान’ की शुरुआत की है, वैश्विक स्तर पर कई देशों, विशेष रूप से चीन, को भारत का यह अभियान रास नहीं आ रहा है क्योंकि अब भारत कई क्षेत्रों में तेजी से आत्मनिर्भर बनता जा रहा है जबकि पूर्व में विभिन्न उत्पादों का आयात इन देशों से किया जाता […]
आज विश्व के समस्त देश आर्थिक विकास के एजेंडा पर कम ध्यान देते हुए मुद्रा स्फीति को नियंत्रित करने के प्रयासों पर अधिक ध्यान दे रहे हैं। हालांकि मुद्रा स्फीति को नियंत्रित करने के लिए आपूर्ति के साधनों में सुधार करने पर पूरा ध्यान होना चाहिए परंतु बाजार में उत्पादों की मांग कम करने के […]
भारतीय सनातन संस्कृति की अपनी कुछ विशेषताएं हैं, जिनके पालन से भारत आर्थिक क्षेत्र में चंहुमुखी विकास करता दिखाई दे रहा है। परंतु, कुछ देश भारत की आर्थिक प्रगति को प्रतिस्पर्धा के नजरिए से देखते हुए इसे पचा नहीं पा रहे हैं क्योंकि आज भारत की विकास दर इन देशों से कहीं आगे निकल गई […]
हाल ही में कई अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों ने भारत के भविष्य में होने वाले आर्थिक विकास को लेकर प्रतिवेदन जारी किए हैं। वैश्विक स्तर पर विभिन्न देशों की अर्थव्यवस्थाओं में आने वाली आर्थिक मंदी की आशंकाओं के बीच इन प्रतिवेदनों में भारतीय अर्थव्यवस्था को पूरे विश्व के लिए भविष्य का एक चमकता सितारा बताया गया […]
किसी भी देश के लिए स्टॉक (पूंजी) बाजार में हो रहा उतार चढ़ाव उस देश की अर्थव्यवस्था में भविष्य में होने वाले परिवर्तनों को दर्शाता है। यदि स्टॉक बाजार में तेजी दिखाई देती है तो इसका आशय सामान्यतः यह लगाया जाता है कि उस देश की अर्थव्यवस्था में सुधार दृष्टिगोचर है। इसके विपरीत यदि स्टॉक […]