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धर्म-अध्यात्म

पाप कर्मों का त्याग तथा वेद धर्म आचरण ही जन्म जन्मांतर में सुख व समृद्धि का आधार है

ओ३म् ============ मनुष्य को यह जन्म उसके पूर्वजन्मों के पाप-पुण्यरूपी कर्मों के आधार पर मिला है। वह इस जन्म में जो पाप व पुण्य कर्म करेगा, उससे उसका भावी जन्म निर्धारित होगा। जिस प्रकार फल पकने के बाद वृक्ष से अलग होता है, इसी प्रकार हम भी ज्ञान प्राप्ति और शुभ कर्मों को करके ही […]

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धर्म-अध्यात्म

ईश्वर निराकार और सर्व व्यापक है

ओ३म् ========= हम अपने शरीर व संसार को देखते हैं तो विवेक बुद्धि से यह निश्चय होता है कि यह अपौरुषेय रचनायें हैं जिन्हें ईश्वर नाम की एक सत्ता ने बनाया है। वह ईश्वर आकारवान या साकार तथा एकदेशी वा स्थान विशेष में रहने वाला कदापि नहीं हो सकता। ईश्वर सर्वज्ञ एवं सर्वशक्तिमान सिद्ध होता […]

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धर्म-अध्यात्म

ईश्वर की उपासना मनुष्य का प्रमुख कर्तव्य क्यों है ?

ओ३म् ============ मनुष्य के अनेक कर्तव्य होते हैं। जो मनुष्य अपने सभी आवश्यक कर्तव्यों का पालन करता है वह समाज में प्रतिष्ठित एवं प्रशंसित होता है। जो नहीं करता वह निन्दा का पात्र बनता है। मनुष्य का प्रथम कर्तव्य स्वयं को तथा परमात्मा को जानना होता है। हम स्वयं को व परमात्मा को कैसे जान […]

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धर्म-अध्यात्म

मुक्ति में आत्मा को जन्म मरण से अवकाश और अलौकिक सुखों की प्राप्ति

ओ३म् ============ मनुष्य दुःख से घबराता है तथा सुख की प्राप्ति के लिये ही कर्मों में प्रवृत्त होता है। वह जो भी कर्म करता है उसके पीछे उसकी सुख प्राप्ति की इच्छा व भावना निहित होती है। मनुष्यों को दुःख प्राप्त न हो तथा अपनी क्षमता के अनुरूप सुख प्राप्त हो, इसके लिये उसे क्या […]

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भारतीय संस्कृति

वैदिक धर्म के प्रचार में बाधक अविद्यायुक्त बातें और संगठन

ओ३म् ============== वैदिक धर्म सत्य ज्ञान ‘चार-वेदों’ पर आधारित मानव धर्म है। वैदिक धर्म का आरम्भ ईश्वर से प्राप्त चार वेदों की शिक्षाओं के जन-जन में प्रचार से हुआ था। हमारे वेदों के ज्ञानी ऋषि व आचार्य ही हमारे धर्म के प्रचारक व उसके संवाहक होते थे। सद्ज्ञान से युक्त ऋषियों व विद्वानों के होते […]

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भारतीय संस्कृति

अपनी संतानों को वैदिक संस्कार देकर उनकी रक्षा व उन्नति कीजिए

ओ३म्============= मनुष्य को जीवन में सुख व शान्ति प्राप्त हो, वह उत्तम कार्यों को करे, उसका समाज व देश में यश हो, वह स्वाधीन, सुखी, समृद्ध, ज्ञानी, सदाचारी, धार्मिक, स्वाध्यायशील, विद्वानों का सत्संगी, ऋषि दयानन्द, स्वामी श्रद्धानन्द, पं. लेखराम, पं. गुरुदत्त विद्यार्थी, वीर सावरकर आदि महापुरुषों के जीवन को पढ़ा हुआ हो, वैदिक विधि से […]

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धर्म-अध्यात्म

ओ३म् ‘धर्म का सत्यस्वरूप एवं मनुष्य के लिये धर्म पालन का महत्व’

ओ३म् ‘धर्म का सत्यस्वरूप एवं मनुष्य के लिये धर्म पालन का महत्व’ =========== संसार में धर्म एवं इसके लिये मत शब्द का प्रयोग भी किया जाता है। यदि प्रश्न किया जाये कि संसार में कितने धर्म हैं तो इसका एक ही उत्तर मिलता है कि संसार में धर्म एक ही है तथा मत-मतान्तर अनेक हैं। […]

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हमारे क्रांतिकारी / महापुरुष

ऋषि दयानंद का उद्देश्य वेद तथा देशभक्ति का प्रचार था

ओ३म् ============= ऋषि दयानन्द वेदों के अपूर्व ऋषि थे। उनके जैसे ऋषि का इतिहास में वर्णन नहीं मिलता। सृष्टि के आरम्भ से देश में ऋषि परम्परा चली जो महाभारत के कुछ समय बाद तक चलकर समाप्त हो गई थी। इस दीर्घ अवधि में देश में बड़ी संख्या में ऋषि व महर्षि उत्पन्न हुए परन्तु वर्तमान […]

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समाज

वेदों की रक्षा और प्रचार से ही संसार में मानवता की रक्षा संभव है

ओ३म् ========= मनुष्य को दुर्गुणों व दुव्र्यसनों सहित अज्ञान, अन्धविश्वास, पाखण्ड, मिथ्या सामाजिक परम्पराओं सहित अन्याय व शोषण से रहित मनुष्य जीवन की रक्षा के लिये सदाचारी विद्वानों, देवत्वधारी पुरुषों सहित वेदज्ञान की भी आवश्यकता होती है। यदि समाज में सच्चे ज्ञानी व परोपकारी मनुष्य न हों तो समाज में अज्ञान की वृद्धि होकर अन्याय, […]

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भारतीय संस्कृति

आश्चर्य है कि हम मनुष्य कहलाते हैं पर मनुष्य बनने के काम नहीं करते

ओ३म् ============ मनुष्य स्वयं को मनुष्य कहता है परन्तु मनुष्य किसे कहते हैं, इस पर वह कभी विचार नहीं करता। हमारे वैदिक विद्वान बताते हैं कि मनुष्य को मनुष्य विचारशील तथा सत्य व असत्य का मनन करने के कारण से कहते हैं। मनुष्य के पास बुद्धि होती है जिससे वह उचित-अनुचित, सत्य-असत्य, कर्तव्य-अकर्तव्य, धर्म-अधर्म, न्याय-अन्याय, […]

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