Categories
पर्व – त्यौहार

आगामी श्रावणी में रक्षाबंधन पर्व 3 अगस्त पर विशेष : वेदों का स्वाध्याय और वैदिक जीवन जीने का पर्व है श्रावणी पर्व

ओ३म् ============ श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन देश के आर्य व हिन्दू बन्धु श्रावणी पर्व को मनाते हैं। वैदिक धर्म तथा संस्कृति 1.96 अरब वर्ष पुरानी होने से विगत दो ढाई हजार वर्ष पूर्व उत्पन्न अन्य सब मत-मतान्तरों से प्राचीन हैं। वैदिक धर्म के दीर्घकाल के इतिहास में लगभग पांच हजार वर्ष हुए महाभारत […]

Categories
धर्म-अध्यात्म

ईश्वर और वेद ही संसार में सच्चे अमृत हैं

ओ३म् =========== संसार में तीन सनातन, अनादि, अविनाशी, नित्य व अमर सत्तायें हैं। यह हैं ईश्वर, जीव और प्रकृति। अमृत उसे कहते हैं जिसकी मृत्यु न हो तथा जिसमें दुःख लेशमात्र न हों और आनन्द भरपूर हो। ईश्वर अजन्मा अर्थात् जन्म-मरण धर्म से रहित है। अतः ईश्वर मृत्यु के बन्धन से मुक्त होने के कारण […]

Categories
धर्म-अध्यात्म

ईश्वर का ध्यान करते हुए साधक को होने वाले कतिपय अनुभव

ओ३म् =========== मनुष्य का आत्मा चेतन सत्तस वा पदार्थ है। उसका कर्तव्य ज्ञान प्राप्ति व सद्कर्मों को करना है। ज्ञान ईश्वर व आत्मा संबंधी तथा संसार विषयक दो प्रकार का होता है। ईश्वर भी आत्मा की ही तरह से चेतन पदार्थ है जो सच्चिदानन्दस्वरूप, सर्वज्ञ, निराकार, सर्वव्यापक एवं सर्वान्तर्यामी सत्ता है। ईश्वर व आत्मा दोनों […]

Categories
धर्म-अध्यात्म

ईश्वर का ध्यान करते हुए साधक को होने वाले कतिपय अनुभव

ओ३म् =========== मनुष्य का आत्मा चेतन सत्तस वा पदार्थ है। उसका कर्तव्य ज्ञान प्राप्ति व सद्कर्मों को करना है। ज्ञान ईश्वर व आत्मा संबंधी तथा संसार विषयक दो प्रकार का होता है। ईश्वर भी आत्मा की ही तरह से चेतन पदार्थ है जो सच्चिदानन्दस्वरूप, सर्वज्ञ, निराकार, सर्वव्यापक एवं सर्वान्तर्यामी सत्ता है। ईश्वर व आत्मा दोनों […]

Categories
धर्म-अध्यात्म

दुष्ट व्यक्ति यदि विद्वान भी है तो भी उसका संग नहीं करना चाहिए

ओ३म् =========== वैदिक साहित्य में वेद से इतर ऋषियों व विद्वानों के अनेक ग्रन्थ उपलब्ध हैं जिनमें जीवन को अपने लक्ष्य आनन्द व मोक्ष तक पहुंचाने के लिये उत्तम विचार व शिक्षायें दी गई हैं। ऐसी ही एक शिक्षा है कि मनुष्य को दुष्ट व्यक्तियों की संगति नहीं करनी चाहिये। इसका परिणाम यह होता है […]

Categories
भारतीय संस्कृति

असली निर्धन वह है जो श्रद्धा से विद्वान का सेवा सत्कार नहीं करता

ओ३म् =========== मनुष्य समाज में शिक्षित, अशिक्षित, संस्कारित-संस्कारहीन तथा धनी व निर्धन कई प्रकार के लाग देखने को मिलते हैं। सभी सोचते हैं कि धनवान वह होता है जिसके पास प्रचुर मात्रा में चल व अचल धन-सम्पत्ति होती है। निर्धन उसे माना जाता है जो आर्थिक दृष्टि से कमजोर होता है। यह बात पूरी तरह […]

Categories
व्यक्तित्व

कीर्तिशेष महात्मा चैतन्य मुनि जी आर्य समाज की अनमोल निधि थे

ओ३म् =========== हमने कल वयोवृद्ध आर्यविद्वान पं. इन्द्रजित् देव, यमुनानगर से बातचीत की। उनसे महात्मा चैतन्य स्वामी जी के विषय में बातें हुईं। पंडित जी सन् 1965 से सन् 1969 तक चार वर्ष अपने सरकारी सेवाकाल में हिमाचल प्रदेश के मण्डी जिले के सुन्दरनगर स्थान पर रहे। इन्हीं दिनों लगभग 18 वर्ष के किशोर भगवान […]

Categories
धर्म-अध्यात्म

सर्गारम्भ में सर्वज्ञ और सर्व जीवन -आधार ईश्वर से ही 4 ऋषियों को चार वेद मिले थे

ओ३म् =========== हमारा यह संसार स्वतः नहीं बना अपितु एक पूर्ण ज्ञानवान सर्वज्ञ सत्ता ईश्वर के द्वारा बना है। ईश्वर सच्चिदानन्दस्वरूप, सर्वशक्तिमान, न्यायकारी, सर्वव्यापक, सर्वातिसूक्ष्म, एकरस, अखण्ड, सृष्टि का उत्पत्तिकर्ता, पालनकर्ता तथा प्रलयकर्ता है। जो काम परमात्मा ने किये हैं व करता है, वह काम किसी मनुष्य के वश की बात नहीं है। संसार में […]

Categories
धर्म-अध्यात्म

मैं ईश्वर को जानता हूं वह आदित्य वर्ण और अंधकार से दूर है

ओ३म् =========== ईश्वर है या नहीं? इस प्रश्न का उत्तर ‘ईश्वर है’ शब्दों से मिलता है। ईश्वर होने के अनेक प्रमाण हैं। वेद सहित हमारे सभी ऋषि आप्त पुरुष अर्थात् सत्य ज्ञान से युक्त थे। सबने वेदाध्ययन एवं अपनी ऊहापोह शक्ति से ईश्वर को जाना तथा उसका साक्षात्कार किया था। यजुर्वेद 31.18 मन्त्र ‘वेदाहमेतं पुरुषं […]

Categories
धर्म-अध्यात्म

आत्मा एक अनादि द्रव्य है जिसकी सिद्धि उसके गुणों से होती है

ओ३म् ========== संसार में अनश्वर एवं नश्वर अनेक पदार्थ हैं जिनकी सिद्धि उनके निज-गुणों से होती है। वह गुण सदा उन पदार्थों में रहते हैं, उनसे कभी पृथक नहीं होते। अग्नि में जलाने का गुण है। वायु में स्पर्श का गुण है, जल में रस है जिसे हमारी रसना व जिह्वा अनुभव करती है। इसी […]

Exit mobile version