ओ३म् ========= मनुष्य के जीवन वेदाध्ययन का क्या महत्व है? उसे वेदाध्ययन क्यों करना चाहिये? मनुष्य जीवन में यह एक महत्वपूर्ण प्रश्न है जिस पर सबको विचार करके सार्थक व लाभप्रद निष्कर्ष निकाल कर उसे अपने जीवन में धारण कर लाभ उठाना चाहिये। वेदों का महत्व अन्य सभी सांसारिक ग्रन्थों से सर्वाधिक है। इसका कारण […]
Author: मनमोहन कुमार आर्य
ओ३म् ============= मनुष्य वा इसकी आत्मा एक यात्री के समान हैं जो किसी लक्ष्य की ओर बढ़ते हुए अपने वर्तमान जन्म व जीवन में यहां तक पहुंची हैं। मनुष्यों की अनेक श्रेणियां होती हैं। कुछ ज्ञानी व बुद्धिमान होते हैं। वह अपने सब काम सोच विचार कर तथा विद्वानों की सम्मति सहित ऋषियों व विद्वानों […]
ओ३म् =========== परमात्मा ने हमें मनुष्य जीवन दिया है। हमारा सौभाग्य है कि हम भारत में जन्में हैं जो सृष्टि के आरम्भ से वेद, ऋषियों व देवों की भूमि रही है। मानव सभ्यता का आरम्भ इस देवभूमि आर्यावर्त वा भारत से ही हुआ था। मनुष्य जीवन की उन्नति व कल्याण के लिए परमात्मा ने सृष्टि […]
ओ३म् ============ माना जाता है कि देश 15 अगस्त, 1947 को अंग्रेज़ों की दासता से मुक्त हुआ था। तथ्य यह है कि सृष्टि के आरम्भ से पूरे विश्व पर आर्यों का चक्रवर्ती राज्य रहा। आर्यों वा उनके पूर्वजों ने ही समस्त विश्व को बसाया है। सभी देशों के आदि पूर्वज आर्यावर्तीय आर्यों की ही सन्तानें […]
ओ३म् ============= हमारा यह संसार मनुष्यों वा जीवात्माओं के सुख के लिये बनाया गया है। बनाने वाली सत्ता को हम ईश्वर के नाम से जानते हैं। ईश्वर ने इस संसार को बनाया भी है और वही इसको व्यवस्थित रूप से चला भी रहा है। सूर्य समय पर उदय होता है। सूर्य अपनी धूरी पर घूमता […]
आत्मनिर्भर भारत समय की आवश्यकता है
ओ३म् ======= आजकल देश में आत्मनिर्भरता की बात हो रही है। आत्मनिर्भरता का अर्थ है स्वावलम्बी होना तथा दूसरों पर आश्रित व निर्भर न होना। हम जब आत्मनिर्भर नहीं होते तो जिन लोगों से हम अपनी आवश्यकता की वस्तुयें प्राप्त करते हैं, वह लोग हमसे अनुचित मूल्य लेने सहित हमारे हितों की अनदेखी कर हमें […]
ओ३म् ========== सृष्टि के आरम्भ में परमात्मा ने चार ऋषियों अग्नि, वायु, आदित्य तथा अंगिरा को एक-एक वेद का ज्ञान दिया था। यह चार वेद हैं ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद एवं अथर्ववेद। इन वेदों में इस सृष्टि के प्रायः सभी रहस्य एवं सभी विद्याओं का ज्ञान व भण्डार है। वेदों का यह ज्ञान सर्वान्तर्यामी एवं सर्वव्यापक […]
ओ३म् ======== संसार में हम चेतन जीवात्माओं के अनेक योनियों में जन्मों को देखते हैं। मनुष्य जन्म में उत्पन्न दो जीवात्माओं की भी सुख व दुःख की अवस्थायें समान नहीं होती। मनुष्य योनि तथा पशु-पक्षी की सहस्रों जाति प्रजातियों में जीवात्मायें एक समान हैं जिनके सुख दुःख अलग-अलग हैं। इसका कोई तो कारण होगा? वैदिक […]
ओ३म् ========== ऋषि दयानन्द का सत्यार्थप्रकाश ग्रन्थ विश्व प्रसिद्ध ग्रन्थ है। इसके चौथे अध्याय में समावर्तन, विवाह तथा गृहाश्रम पर उपदेश प्रस्तुत किये गये हैं। जैसा उपदेश ऋषि दयानन्द जी ने सत्यार्थप्रकाश में प्रस्तुत किया है वैसा उनके समय व पूर्वकाल में अन्यत्र प्राप्त होना दुर्लभ था। इसका दिग्दर्शन कराने के लिये हम इस अध्याय […]
ओ३म् =========== हम मनुष्य कहलाते हैं। मनुष्य कहलाने का कारण परमात्मा द्वारा हमें बुद्धि व ज्ञान का दिया जाना तथा हमें उस ज्ञान को प्राप्त होकर मननपूर्वक अपने कर्तव्यों का निर्धारणकर उन्हें करना होता है। सभी मनुष्य ऐसा नहीं करते। देश व विश्व की अधिकांश जनता को यही नही पता कि मनुष्य, मनुष्य क्यों कहलाता […]