ओ३म् ========== हमें जो सुख व दुःख की अनुभूति होती है वह शरीर व इन्द्रियों के द्वारा हमारी आत्मा को होती है। आत्मा चेतन पदार्थ होने से ही सुख व दुःख की अनुभूति करता है। प्रकृति व सृष्टि जड़ सत्तायें हैं। इनको किसी प्रकार की अनुभूतियां वा सुख व दुःख नहीं होते। आत्मा से इतर […]
Author: मनमोहन कुमार आर्य
ओ३म् =========== मनुष्य एक चेतन प्राणी है। मनुष्य का आत्मा चेतन अनादि व नित्य पदार्थ है। मनुष्य का शरीर जड़ प्राकृतिक तत्वों से बना हुआ नाश को प्राप्त होने वाला होता है। शरीर की उन्नति मनुष्य आसन, व्यायाम, सात्विक भोजन तथा संयम आदि गुणों को धारण कर करते हैं। आत्मा की उन्नति शरीर की उन्नति […]
ओ३म् ========== हमारा जन्म भारत में हुआ है। भारत ही वह देश है जो धर्म एवं संस्कृति के सृजन का केन्द्र वा उत्पत्ति स्थान है। सृष्टि के आरम्भ में वेदों का आविर्भाव इसी प्राचीन देश आर्यावर्त के तिब्बत में परमात्मा से हुआ था। समस्त वेद ही धर्म का मूल एवं आधार है। वेद की भाषा […]
ओ३म् ========= हम मनुष्य हैं। हमें यह मनुष्य जन्म परमात्मा ने दिया है। जन्म व मृत्यु के मध्य की हमारी अवस्था जीवात्मा वा जीव कहलाती है। इस सृष्टि में हमारे जैसे जीव अनन्त संख्या में हैं। सभी जीव अणु परिमाण युक्त अल्पज्ञ चेतन सत्तायें हैं तथा सभी एकदेशी, ससीम, अनादि, नित्य, जन्म-मरण धर्मा तथा कर्म […]
ओ३म् ========== वैदिक धर्म ही मनुष्य का सत्य व यथार्थ धर्म है। इसका कारण वैदिक धर्म का ईश्वरीय ज्ञान वेदों पर आधारित होना है। वेदों को हमारे ऋषि मुनियों ने सब सत्य विद्याओं का पुस्तक बताया है। वेद सब सत्य विद्याओं की पुस्तक इसलिये है कि वेदों का प्रादुर्भाव सृष्टिकर्ता ईश्वर से हुआ है। संसार […]
ओ३म् ========== संसार में किस सत्ता से ज्ञान उत्पन्न व प्राप्त हुआ है? इस विषय का विचार करने पर ज्ञात होता है कि ज्ञान का प्रकाश ज्ञानस्वरूप, सर्वज्ञ, सर्वव्यापक, सर्वशक्तिमान तथा सृष्टिकर्ता परमात्मा से सृष्टि के आरम्भ में हुआ है। परमात्मा ही ने अपनी सर्वज्ञता, सर्वव्यापकता तथा सर्वशक्तिमान स्वरूप से असंख्य चेतन जीवात्माओं को उनके […]
ओ३म् ========= महाभारत युद्ध के बाद न केवल देश में अपितु विश्व में अज्ञान छा गया था। महाभारत का युद्ध लगभग पांच हजार वर्ष पूर्व हुआ। महाभारत के बाद यज्ञों में पशु हिंसा आरम्भ हुई थी। समय के साथ यज्ञों में विकृतियों में वृद्धि होती गई। वेदों के अध्ययन-अध्यापन की परम्परा भी धीरे-धीरे समाप्त होती […]
ओ३म् =============== श्री दौलत सिह राणा जी देहरादून के अग्रणीय ऋषि दयानन्द जी के भक्तों में से एक हैं। आप देहरादून के रैफल होम की कालोनी ‘शिव-सदन’ में अपनी पत्नी श्रीमती उषा राणा जी के साथ निवास करते हैं। आपकी एक पुत्री है जो पीएनबी बैंक में अधिकारी है। वह देहरादून से लगभग100 किमी. दूर […]
ओ३म् ============ एक अदृश्य सत्ता से यह जगत बना है। उसी सत्ता ने हम जीवात्माओं के शरीर भी बनायें हैं और इस सृष्टि को देखने व भोग करने में सहायक हमें दो आंखे प्रदान की हैं। इस सृष्टि को देखकर विचारशील मनुष्यों के मन, मस्तिष्क तथा बुद्धि में इस सृष्टि के कर्ता वा रचयिता को […]
ओ३म् ========= संसार में अनेक मत-मतान्तर हैं। विचार करने पर यह विदित होता है कि ऐसा मनुष्यों व आचार्यों की अल्पज्ञता व अविद्या के कारण हुआ करता है। संसार में तीन अनादि व नित्य पदार्थों वा सत्ताओं का अस्तित्व है। ये सत्तायें हैं ईश्वर, जीव व प्रकृति। ईश्वर व जीव चेतन सत्तायें हैं तथा प्रकृति […]