ओ३म् ========== संसार में अनेक संगठन एवं संस्थायें हैं। इन सबमें आर्यसमाज ही एकमात्र ऐसा संगठन है जो मनुष्य मात्र के हित को ध्यान में रखकर ज्ञान व विज्ञान से पोषित सत्य सनातन वैदिक धर्म का प्रचार करता है। आर्यसमाज धर्म के नाम पर देश देशान्तर में फैले अज्ञान, अन्धविश्वास, पाखण्ड तथा कुरीतियों का सुधारक […]
Author: मनमोहन कुमार आर्य
ओ३म् ========= अधिकांश लोग ईश्वर की सत्ता को तो मानते हैं परन्तु उन्हें ईश्वर के सत्यस्वरूप तथा उसके गुण, कर्म व स्वभाव का पर्याप्त ज्ञान नहीं है। ईश्वर के सत्यस्वरूप का ज्ञान वेद और वेदों पर आधारित ऋषियों के ग्रन्थ उपनिषद एवं दर्शन सहित सत्यार्थप्रकाश, ऋग्वेदादिभाष्यभूमिका आदि ग्रन्थों से भी प्राप्त होता है। वैदिक विद्वानों […]
ओ३म् =========== मनुष्य के जीवन व कार्यों पर दृष्टि डालते हैं तो वह अनेकानेक प्रकार के कार्य करते हुए दृष्टिगोचर होते हैं। वह जो कार्य करते हैं, उन कार्यों से यदि उनके जीवन उच्च व श्रेष्ठ बनते हैं, तो वह कार्य उन्हें अवश्य ही करने भी चाहियें। परन्तु हम पाते हैं कि मनुष्य बिना किसी […]
ओ३म् “अग्निहोत्र यज्ञ विषयक पठनीय एक पुस्तक ‘यज्ञ एक परिचय” =========== गुरुकुल पौंधा-देहरादून ब्रह्मचारियों को वेद वेदांग का अध्ययन कराने के साथ वैदिक साहित्य का प्रकाशन भी करता है। इस कार्य के लिये गुरुकुल ने ‘आचार्य प्रणवानन्द विश्वनीड़-न्यास’ नाम से एक संस्था का गठन किया हुआ है। इस न्याय का नवीनतम प्रकाशन है ‘यज्ञ एक […]
मनमोहन कुमार आर्य आज एक आर्य मित्र से प्रातः गंगा स्नान की चर्चा चली तो हमने इस पर उनके साथ विचार किया और हमारे मन में जो जो विचार आये उसे अपने मित्रों से साझा करने का विचार भी आया। हमारी धर्म व संस्कृति संसार के सभी मतों व पन्थों में सबसे प्राचीन व […]
ओ३म् ========== हमें जो सुख व दुःख की अनुभूति होती है वह शरीर व इन्द्रियों के द्वारा हमारी आत्मा को होती है। आत्मा चेतन पदार्थ होने से ही सुख व दुःख की अनुभूति करता है। प्रकृति व सृष्टि जड़ सत्तायें हैं। इनको किसी प्रकार की अनुभूतियां वा सुख व दुःख नहीं होते। आत्मा से इतर […]
ओ३म् =========== मनुष्य एक चेतन प्राणी है। मनुष्य का आत्मा चेतन अनादि व नित्य पदार्थ है। मनुष्य का शरीर जड़ प्राकृतिक तत्वों से बना हुआ नाश को प्राप्त होने वाला होता है। शरीर की उन्नति मनुष्य आसन, व्यायाम, सात्विक भोजन तथा संयम आदि गुणों को धारण कर करते हैं। आत्मा की उन्नति शरीर की उन्नति […]
ओ३म् ========== हमारा जन्म भारत में हुआ है। भारत ही वह देश है जो धर्म एवं संस्कृति के सृजन का केन्द्र वा उत्पत्ति स्थान है। सृष्टि के आरम्भ में वेदों का आविर्भाव इसी प्राचीन देश आर्यावर्त के तिब्बत में परमात्मा से हुआ था। समस्त वेद ही धर्म का मूल एवं आधार है। वेद की भाषा […]
ओ३म् ========= हम मनुष्य हैं। हमें यह मनुष्य जन्म परमात्मा ने दिया है। जन्म व मृत्यु के मध्य की हमारी अवस्था जीवात्मा वा जीव कहलाती है। इस सृष्टि में हमारे जैसे जीव अनन्त संख्या में हैं। सभी जीव अणु परिमाण युक्त अल्पज्ञ चेतन सत्तायें हैं तथा सभी एकदेशी, ससीम, अनादि, नित्य, जन्म-मरण धर्मा तथा कर्म […]
ओ३म् ========== वैदिक धर्म ही मनुष्य का सत्य व यथार्थ धर्म है। इसका कारण वैदिक धर्म का ईश्वरीय ज्ञान वेदों पर आधारित होना है। वेदों को हमारे ऋषि मुनियों ने सब सत्य विद्याओं का पुस्तक बताया है। वेद सब सत्य विद्याओं की पुस्तक इसलिये है कि वेदों का प्रादुर्भाव सृष्टिकर्ता ईश्वर से हुआ है। संसार […]