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आज का चिंतन

जीवात्मा एक स्वतंत्र एवं अन्य अनादि तत्वों से पृथक सत्ता व पदार्थ है

ओ३म् ========= हमारा यह संसार ईश्वर, जीव तथा प्रकृति, इन तीन सत्ताओं व पदार्थों से युक्त है। अनन्त आकाश का भी अस्तित्व है परन्तु यह कभी किसी विकार को प्राप्त न होने वाला तथा किसी प्रकार की क्रिया न करने वाला व इसमें क्रिया होकर कोई नया पदार्थ बनने वाला पदार्थ है। ईश्वर, जीव तथा […]

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आज का चिंतन

सृष्टि में नियम और व्यवस्था ईश्वर के होने का संकेत करते हैं

ओ३म् ============ संसार में स्थूल व सूक्ष्म दो प्रकार के पदार्थ होते हैं। स्थूल पदार्थों को सरलता से देखा जा सकता है। इसी से उनका प्रत्यक्ष भी हो जाता है। किसी पदार्थ का ज्ञान उसके गुणों को समग्रता से जानने पर होता है। सूक्ष्म पदार्थों नेत्रों से तो दिखाई नहीं देते परन्तु वह अपने लक्षणों […]

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आज का चिंतन

अविद्या से सर्वथा रहित और सद्ज्ञान से युक्त ग्रंथ है सत्यार्थ प्रकाश

ओ३म् ============== मनुष्य चेतन एवं अल्पज्ञ सत्ता है। इसका शरीर जड़ पंच-भौतिक पदार्थों से परमात्मा द्वारा बनाया व प्रदान किया हुआ है। परमात्मा को ही मनुष्य शरीर व उसके सभी अवयव बनाने का ज्ञान है। उसी के विधान व नियमों के अन्तर्गत मनुष्य का जन्म होता तथा मनुष्य के शरीर में वृद्धि व ह्रास का […]

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आज का चिंतन

मनुष्य को सद्धर्म और देशहित का विचार करके ही सब काम करने चाहिए

ओ३म् ========== हम मनुष्य कहलाते हैं। हमारी पहचान दो पैर वाले पशु के रूप में होती है। परमात्मा ने पशुओं को चार पैर वाला बनाया है। उन पशुओं से हम भिन्न प्राणी हैं। हमारे पास दो पैरों पर आसानी से खड़ा होने की सामर्थ्य होती है। हम दो पैरों से चल सकते हैं। हम अपने […]

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धर्म-अध्यात्म

जीवात्मा का जन्म मरण और आवागमन अनादि काल से चला आ रहा है

ओ३म् ========= मनुष्य जन्म व मरण भोग एवं अपवर्ग की प्राप्ति के लिए प्राप्त एक सुअवसर होता है। यह अवसर सनातन, शाश्वत, अनादि व नित्य आत्मा को परमात्मा प्रदान करते हैं। मनुष्य योनि में जन्म लेकर चेतन व अल्पज्ञ जीवात्मा को अपने माता, पिता, आचार्यों सहित परमात्मा के अपौरुषेय ज्ञान चार वेदों की सहायता तथा […]

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धर्म-अध्यात्म

स्वाध्याय से जीवन की उन्नति सहित अनेक रहस्यों का ज्ञान होता है

ओ३म् =========== मनुष्य जीवन में सबसे अधिक महत्व ज्ञान का बताया जाता है और यह बात है भी सत्य। हम चेतन आत्मा हैं। हमारा शरीर जड़ है। जड़ वस्तु में ज्ञान प्राप्ति व उसकी वृद्धि की सम्भावना नहीं होती। जड़ वा निर्जीव वस्तुयें सभी ज्ञानशून्य होती हैं। इनको किसी भी प्रकार की सुख व दुःख […]

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भारतीय संस्कृति

वेदर्षि दयानन्द द्वारा स्थापित आर्य समाज हमें प्रिय क्यों है

–मनमोहन कुमार आर्य संसार में अनेक संस्थायें एवं संगठन हैं। सब संस्थाओं एवं संगठनों के अपने अपने उद्देश्य एवं उसकी पूर्ति की कार्य-पद्धतियां है। सभी संगठन अपने अपने उद्देश्यों को पूरा करने के किये कार्य करते हैं। आर्यसमाज भी विश्व का अपनी ही तरह का एकमात्र अनूठा संगठन है। हमें लगता है कि आर्यसमाज के समान संसार […]

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Uncategorised

मनुष्य को अपने लाभ के लिए ईश्वर की उपासना करनी चाहिए

ओ३म् ========== मनुष्य मननशील प्राणी है। वह अपनी रक्षा एवं हित के कार्यों में संलग्न रहता है। अपनी रक्षा के लिए वह अपने स्वास्थ्य पर ध्यान देता है तथा सज्जन पुरुषों से मित्रता करता है जिससे असुरक्षा एवं विपरीत परिस्थितियों में वह उसके सहायक हो सकें। मनुष्य अपनी सुख सुविधाओं का भी ध्यान रखता है। […]

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पर्यावरण भारतीय संस्कृति

देवयज्ञ अग्निहोत्र का करना मनुष्य का पुनीत सर्वहितकारी कर्तव्य

ओ३म् ========== मनुष्य मननशील प्राणी को कहते हैं। मननशील होने से ही दो पाये प्राणी की मनुष्य संज्ञा है। मननशीलता का गुण जीवात्मा के चेतन होने से मनुष्य रूपी प्राणी को प्राप्त हुआ है। जड़ पदार्थों को सुख व दुख तथा शीत व ग्रीष्म का ज्ञान नहीं होता। मनुष्य का आत्मा ज्ञान प्राप्ति तथा कर्म […]

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धर्म-अध्यात्म

मानव जाति की सबसे उत्तम संपत्ति ईश्वर और वेद

ओ३म ========== वर्तमान समय में मनुष्य का उद्देश्य धन सम्पत्ति का अर्जन व उससे सुख व सुविधाओं का भोग बन गया है। इसी कारण से संसार में सर्वत्र पाप, भ्रष्टाचार, अन्याय, शोषण, अभाव, भूख, अकाल मृत्यु आदि देखने को मिलती हैं। इसके अतिरिक्त अविद्यायुक्त मत-मतान्तर अपने प्रसार की योजनायें बनाकर भारत जैसे देश की सत्ता […]

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