ओ३म् स्वभाव से मनुष्य सुख प्राप्ति का इच्छुक रहता है। वह नहीं चाहता कि उसके जीवन में कभी किसी भी प्रकार का दुःख आये। सुख प्राप्ति के लिये सद्कर्म व धर्म के कार्य करने होते हैं। अतः सत्कर्मों से युक्त प्राचीन वेदों पर आधारित वैदिक धर्म का पालन करते हुए मनुष्य अपने जीवन में सुखों […]
Author: मनमोहन कुमार आर्य
ओ३म् स्वभाव से मनुष्य सुख प्राप्ति का इच्छुक रहता है। वह नहीं चाहता कि उसके जीवन में कभी किसी भी प्रकार का दुःख आये। सुख प्राप्ति के लिये सद्कर्म व धर्म के कार्य करने होते हैं। अतः सत्कर्मों से युक्त प्राचीन वेदों पर आधारित वैदिक धर्म का पालन करते हुए मनुष्य अपने जीवन में सुखों […]
ओ३म् वैदिक धर्म एवं संस्कृति के उन्नयन में स्वामी श्रद्धानन्द जी का महान योगदान है। उन्होंने अपना सारा जीवन इस कार्य के लिए समर्पित किया था। वैदिक धर्म के सभी सिद्धान्तों को उन्होंने अपने जीवन में धारण किया था। देश भक्ति से सराबोर वह विश्व की प्रथम धर्म-संस्कृति के मूल आधार ईश्वरीय ज्ञान ‘‘वेद” के […]
ओ३म् ========= देश भर में व विदेश में भी जहां भारतीय आर्य हिन्दू रहते हैं, वहां कार्तिक मास की अमावस्या के दिन दीपवली का पर्व मनाया जा जाता है। अमावस्या के दिन रात्रि में अन्धकार रहता है जिसे दीपमालाओं के प्रकाश से दूर करने का सन्देश दिया जाता है। इस दिन ऐसा क्यों किया जाता […]
[नोट- आज हम डा.रघुवीर वेदालंकार जी का दिनांक 1-8-2018 को देहरादून के गुरुकुल पौंधा में दिया गया व्याख्यान प्रस्तुत कर रहे हैं। यह व्याख्यान ज्ञानवर्धक, प्रेरक एवं कर्तव्य-बोध में सहायक है। हम आशा करते हैं कि हमारे मित्र व पाठक इसे पसन्द करेंगें। -मनमोहन आर्य।] श्रीमद्दयानन्द आर्ष ज्योतिर्मठ गुरुकुल, देहरादून के वार्षिकोत्सव में दिनांक 1 […]
ओ३म् हमारा यह संसार लाखों व करोड़ो वर्ष पूर्व बना है। यह अपने आप नहीं बना और न ही स्वमेव बिना किसी कर्ता के बन ही सकता है। इसका बनाने वाला अवश्य कोई है। जो भी चीज बनती है उसका बनने से पहले अस्तित्व नहीं होता। इस संसार का भी बनने से पहले इस दृश्यरूप […]
ओ३म् प्रत्येक वर्ष भारत व देशान्तरों में जहां भारतीय रहते हैं, आश्विन शुक्ल पक्ष की दशमी को दशहरा पर्व मनाते हैं। इस पर्व से यह घटना जोड़ी जाती है कि इस दिन मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम ने अधर्म के पर्याय लंका के राजा रावण का वध किया था। क्या यह तिथि वस्तुतः रावण वध की […]
ओ३म् ============ श्री वीरेन्द्र राजपूत जी देहरादून में निवास करते हैं। वह मुरादाबाद के रहने वाले हैं। देहरादून में वह अपनी पुत्री के साथ निवास करते हैं। उनके साथ उनकी धर्मपत्नी भी हैं। बहिन जी चल नहीं सकती। वह व्हीलचेयर पर रहती हैं और उस पर बैठ कर ही अपने आवश्यक कुछ कार्य कर लेती […]
ओ३म् =========== हम संसार में अनेक रचनायें देखते हैं। रचनायें दो प्रकार की होती हैं। एक पौरुषेय और दूसरी अपौरुषेय। पौरुषेय रचनायें वह होती हैं जिन्हें मनुष्य बना सकते हैं। हम भोजन में रोटी का सेवन करते हैं। यह रोटी आटे से बनती है। इसे मनुष्य अर्थात् स्त्री वा पुरुष बनाते हैं। मनुष्य द्वारा बनने […]
ओ३म् ========= हम संसार में हमने पूर्वजन्मों के कर्मों का फल भोगने तथा जन्म-मरण के चक्र से छूटने वा दुःखों से मुक्त होने के लिये आये हैं। मनुष्य जो बोता है वही काटता है। यदि गेहूं बोया है तो गेहूं ही उत्पन्न होता है। हमने यदि शुभ कर्म किये हैं तो फल भी शुभ होगा […]