ओ३म् ========== ऋग्वेद और अन्य तीन यजुर्वेद, सामवेद तथा अथर्ववेद संसार का आदि ज्ञान एवं विश्व की प्राचीनतम पुस्तकें हैं। चारों वेद ईश्वर से प्रादुर्भूत हुए हैं। वेदों की भाषा संस्कृत है जिसके शब्द रूढ़ न होकर नित्य एवं यौगिक हैं। वेद के पदों का अर्थ अष्टाध्यायी महाभाष्य तथा निरुक्त पद्धति से किया जाता है। […]
Author: मनमोहन कुमार आर्य
ओ३म् ============ हम मनुष्य कहलाते हैं। इसका कारण यह है कि परमात्मा ने हमें सत्य व असत्य का विचार करने के लिए बुद्धि दी है। परमात्मा ने ही मनुष्येतर सभी प्राणियों को बनाया है परन्तु उनको मनुष्यों जैसी सत्यासत्य का विवेचन करने वाली बुद्धि नहीं दी है। वह सत्य व असत्य का विचार नहीं कर […]
ओ३म् -मनमोहन कुमार आर्य, देहरादून। मनुष्य का कर्तव्य है कि वह अपनी आत्मा की उन्नति करे। आत्मा की उन्नति ज्ञान की प्राप्ति एवं तदवत् आचरण करने से होती है। शारीरिक उन्नति के पश्चात ज्ञान की प्राप्ति करना कर्तव्य है। सद्ज्ञान की प्राप्ति वेद व वैदिक शिक्षाओं को जानने वा पढ़ने से ही होती है। इसके […]
ओ३म् ============ महात्मा दयानन्द वानप्रस्थ (जन्म 18-1-1912 मृत्यु 20-1-1989) वैदिक धर्म, ऋषि दयानन्द और आर्यसमाज के निष्ठावान अनुयायी एवं वेद, यज्ञ एवं साधना के प्रचारक थे। उनका जीवन धर्म, संस्कृति के प्रचार एवं यज्ञ-योग-साधना को समर्पित था। उन्होंने वैदिक साधन आश्रम तपोवन, देहरादून के द्वारा देश के विभिन्न भागों में जाकर यज्ञ एवं योग आदि […]
ओ३म् ========== श्री वीरेन्द्र कुमार राजपूत जी आर्यसमाज के एक ऐसे प्रथम विद्वान हैं जिन्होंने चारों वेदों के प्रत्येक मन्त्र पर काव्यार्थ लिखने का कार्य आरम्भ किया है। वह यजुर्वेद, सामवेद, अथर्ववेद के लगभग दस सहस्र मन्त्रों का काव्यार्थ कर चुके हैं जो उनके प्रयत्नों एवं सहयोगी प्रकाशकों से समय समय पर अनेक खण्डों में […]
ओ३म् ========= हम अपने पूर्वजन्मों के अच्छे कर्मों के कारण इस जन्म में मनुष्य योनि में उत्पन्न हुए हैं। दो मनुष्यों व इनकी आत्माओं के कर्म समान नहीं होते। अतः सभी मनुष्यों के परिवेश व इनकी सामाजिक परिस्थितियां भिन्न-भिन्न देखने को मिलती हैं। वैदिक कर्म-फल सिद्धान्त के अनुसार मनुष्य योनि (कर्म करने व फल भोगने […]
यजुर्वेद और यज्ञों का महत्व
मनमोहन कुमार आर्य चार वेद, ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद एवं अथर्ववेद, ईश्वरीय ज्ञान है जिसे सर्वव्यापक, सर्वज्ञ व सर्वशक्तिमान सृष्टिकर्ता ईश्वर ने सृष्टि के आरम्भ में चार ऋषियों अग्नि, वायु, आदित्य और अंगिरा को दिया था। ईश्वर प्रदत्त यह ज्ञान सब सत्य विद्याओं का पुस्तक है। वेद सभी मनुष्यों के लिए यज्ञ करने का विधान करते […]
ओ३म् ========= दिनांक 8 अप्रैल, 2022 को सामवेद के संस्कृत और हिन्दी भाषा के प्रामाणिक भाष्यकार आचार्य डा. रामनाथ वेदालंकार जी की 8 वी पुण्य तिथि थी। 8 वर्ष पूर्व उन्होंने अपने पंचभौतिक शरीर का त्याग किया था। उन्होंने जीवन भर एक आचार्य, शिक्षक एवं वैदिक साहित्य के प्रणेता सहित उच्च कोटि के ग्रन्थकार के […]
ओ३म् ============= हमारे गुरुकुलों में बालक बालिकाओं को प्राचीन आर्ष संस्कृत व्याकरण अष्टाध्यायी-महाभाष्य पद्धति का ऋषि दयानन्द निर्दिष्ट पद्धति से अध्ययन कराया जाता है। अध्ययन करने के बाद कुछ प्रतिभाशाली विद्यार्थी शोध उपाधि पी.एच-डी. प्राप्त करने का प्रयत्न करते हैं। उनका प्रिय विषय वेद, दर्शन, उपनिषद, वैदिक साहित्य सहित व्याकरण आदि हुआ करते हैं। आर्यसमाज […]
========= योग एवं साधना विषयक साहित्य में एक लघु ग्रन्थ ‘‘क्रियात्मक योगाभ्यास” भी है। इस पुस्तक के लेखक है कीर्तिशेष आचार्य ज्ञानेश्वर आर्य, दर्शनाचार्य जी और इसका प्रकाशन वानप्रस्थ साधक आश्रम, आर्यवन, रोजड़, गुजरात से सन् 2016 में हुआ है। पुस्तक का मूल्य मात्र 15 रुपये है तथा इसकी पृष्ठ संख्या 64 है। पुस्तक की […]