============ संसार में मनुष्य वा इसकी आत्मा एक यात्री के समान हैं जो किसी लक्ष्य की ओर बढ़ते हुए अपने वर्तमान जन्म व जीवन में यहां तक पहुंची हैं। मनुष्यों की अनेक श्रेणियां होती हैं। कुछ ज्ञानी व बुद्धिमान होते हैं। वह अपने सब काम सोच विचार कर तथा विद्वानों की सम्मति सहित ऋषियों व […]
Author: मनमोहन कुमार आर्य
=========== हमारा यह संसार मनुष्यों वा जीवात्माओं के सुख के लिये बनाया गया है। अन्य जो प्राणी योनियां हैं उनके जीव अपने पूर्व जन्मों के कर्मों का भोग करते हैं। उन्हें भी सुख तथा दुःख दोनों होते हैं। मनुष्य जाति व इतर प्राणियों को उत्पन्न करने वाली सत्ता को हम ईश्वर के नाम से जानते […]
============ परमात्मा ने हमें मनुष्य जीवन दिया है। हमारा सौभाग्य है कि हम भारत में जन्में हैं जो सृष्टि के आरम्भ से वेद, ऋषियों व देवों की भूमि रही है। मानव सभ्यता का आरम्भ इस देवभूमि आर्यावर्त वा भारत से ही हुआ था। मनुष्य जीवन की उन्नति व कल्याण के लिए परमात्मा ने सृष्टि के […]
============ सृष्टि के आरम्भ में परमात्मा ने चार ऋषियों अग्नि, वायु, आदित्य तथा अंगिरा को एक-एक वेद का ज्ञान दिया था। यह चार वेद हैं ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद एवं अथर्ववेद। इन वेदों में इस सृष्टि के प्रायः सभी रहस्यों सहित सभी विद्याओं का भण्डार है। वेदों का यह ज्ञान सर्वान्तर्यामी एवं सर्वव्यापक परमात्मा ने ऋषियों […]
============ हमें अपने जीवन में कीर्तिशेष महात्मा दयानन्द वानप्रस्थ जी के दर्शन करने, उनके वृहद वेद पारायण यज्ञों में भाग लेने तथा उनके तपोवन आश्रम, देहरादून में यज्ञ की वेदी व आश्रम के मंच से विचारों को सुनने का अवसर मिला है। उनकी पुत्री श्रीमती सुरेन्द्र अरोड़ा जी यज्ञ पारायण महिला हैं। वह देहरादून में […]
=========== संसार में हम चेतन जीवात्माओं के अनेक योनियों में जन्मों को देखते हैं। मनुष्य जन्म में उत्पन्न दो जीवात्माओं की भी सुख व दुःख की अवस्थायें समान नहीं होती। मनुष्य योनि तथा पशु-पक्षी की सहस्रों जाति प्रजातियों में जीवात्मायें एक समान हैं जिनके सुख दुःख अलग-अलग हैं। इसका कोई तो कारण होगा? वैदिक धर्म […]
=========== संसार में हम चेतन जीवात्माओं के अनेक योनियों में जन्मों को देखते हैं। मनुष्य जन्म में उत्पन्न दो जीवात्माओं की भी सुख व दुःख की अवस्थायें समान नहीं होती। मनुष्य योनि तथा पशु-पक्षी की सहस्रों जाति प्रजातियों में जीवात्मायें एक समान हैं जिनके सुख दुःख अलग-अलग हैं। इसका कोई तो कारण होगा? वैदिक धर्म […]
============ महान् व्यक्तित्व के धनी स्वामी श्रद्धानन्द जी (पूर्व आश्रम का नाम महात्मा मुंशीराम जी) (1856-1926) का जीवन एवं व्यक्तित्व कैसा था इसका अनुमान हम शायद नहीं लगा सकते। गुरुकुल के स्नातक, देशभक्त, स्वतन्त्रता सेनानी एवं प्रसिद्ध पत्रकार पं0 सत्यदेव विद्यालंकार जी ने स्वामी श्रद्धानन्द जी का जीवन चरित्र लिखा है। इस पुस्तक में उन्होंने […]
============ महान् व्यक्तित्व के धनी स्वामी श्रद्धानन्द जी (पूर्व आश्रम का नाम महात्मा मुंशीराम जी) (1856-1926) का जीवन एवं व्यक्तित्व कैसा था इसका अनुमान हम शायद नहीं लगा सकते। गुरुकुल के स्नातक, देशभक्त, स्वतन्त्रता सेनानी एवं प्रसिद्ध पत्रकार पं0 सत्यदेव विद्यालंकार जी ने स्वामी श्रद्धानन्द जी का जीवन चरित्र लिखा है। इस पुस्तक में उन्होंने […]
========== महर्षि दयानन्द एक पौराणिक पिता व परिवार में गुजरात प्रान्त के मौरवी जनपद के टंकारा नामक ग्राम में 12 फरवरी, सन् 1825 को जन्में थे। उनके पिता शिव भक्त थे। उनके परिवार के सभी सदस्य भी पौराणिक आस्थाओं में विश्वास रखने वाले जन्मना ब्राह्मण थे। स्वामी दयानन्द का बचपन का नाम मूलजी व मूलशंकर […]