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उगता भारत न्यूज़

वैदिक साधन आश्रम तपोवन, देहरादून में पन्द्रह दिवसीय सत्यार्थ प्रकाश स्वाध्याय शिविर एवं इसके पश्चात 16 दिवसीय संस्कृत पठन-पाठन शिविर का आयोजन’

ओ३म् ———– वैदिक साधन आश्रम तपोवन, देहरादून में आत्म-कल्याण की गतिविधियां संचालित होती रहती है। ऐसा ही एक आयोजन सत्यार्थप्रकाश स्वाध्याय शिविर के रूप में आगामी 1 अगस्त, 2022 से 15 अगस्त, 2022 तक किया जा रहा है। इस शिविर में प्रातः 10.30 से 12.30 बजे तक सत्यार्थप्रकाश का स्वाध्याय श्री महेन्द्र मुनि जी, आर्य […]

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धर्म-अध्यात्म

“जीवात्मा और मानव शरीर”

ओ३म् ======== मनुष्य को मनुष्य इस लिये कहते हैं क्योंकि यह मननशील प्राणी है। मनन का अर्थ है कि मन की सहायता से हम अपने कर्तव्यों व गुण-दोष को जानकर गुणों का ग्रहण व दोषों का त्याग करें। यदि हम मनन करना छोड़ देते हैं और काम, क्रोध, लोभ, मोह आदि में फंस कर स्वार्थ […]

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आज का चिंतन

वेदों ने विद्या प्राप्त मनुष्यों के लिये द्विज शब्द का प्रयोग किया है”

ओ३म् ========= संसार में दो प्रकार के लोग हैं जिन्हें हम शिक्षित एवं अशिक्षित तथा चरित्रवान एवं चारीत्रिक दृष्टि से दुर्बल कह सकते हैं। सृष्टि के आरम्भ में वेदोत्पत्ति से पूर्व न तो भाषा थी, न ज्ञान और न ही किसी प्रकार का शब्द भण्डार। यह सब वेदों की देन है। वेदों की रचना वा […]

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हमारे क्रांतिकारी / महापुरुष

स्वराज्य वा स्वतन्त्रता के प्रथम मन्त्र-दाता महर्षि दयानन्द” ============

ओ३म् ============ महाभारत काल के बाद देश में अज्ञानता के कारण अन्धविश्वास व कुरीतियां उत्पन्न होने से देश निर्बल हुआ जिस कारण समय समय पर उसके कुछ भाग पराधीन होते रहे। पराधीनता का शिंकजा दिन प्रतिदिन अपनी जकड़ बढ़ाता गया। देश अशिक्षा, अज्ञान, अन्धविश्वास, पाखण्ड व सामाजिक विषमताओं से ग्रस्त होने के कारण पराधीनता का […]

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आज का चिंतन

सत्याचरण से अमृतमय मोक्ष की प्राप्ति मनुष्य जीवन का लक्ष्य”

ओ३म् =============== हमारी जीवात्माओं को मनुष्य जीवन ईश्वर की देन है। ईश्वर सच्चिदानन्दस्वरूप, सर्वव्यापक, सर्वशक्तिमान होने के साथ सर्वज्ञ भी है। उससे दान में मिली मानव जीवन रूपी सर्वोत्तम वस्तु का सदुपयोग कर हम उसकी कृपा व सहाय को प्राप्त कर सकते हैं और इसके विपरीत मानव शरीर का सदुपयोग न करने के कारण हमें […]

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हमारे क्रांतिकारी / महापुरुष

आर्यसमाज के महाधन महात्मा दीपचन्द आर्य- “चंचला लक्ष्मी को वैदिक धर्म के प्रचार द्वारा श्री व यशस्वी रुप में बदलने का सत्कार्य करने वाले महात्मा दीपचन्द आर्य”

ओ३म् ======== भारत में मध्यकाल में देश में अविद्या छा जाने के कारण जो नाना अन्धविश्वास एवं कुरीतियां उत्पन्न हुईं उससे कई मत-मतान्तर उत्पन्न हुए और इनसे परस्पर वैर भावना में वृद्धि हुई। ऋषि दयानन्द ने अपने अथक परिश्रम से इसका कारण जाना और पाया कि वेदों में निहित सत्यज्ञान को भूल जाने के कारण […]

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धर्म-अध्यात्म

“ईश्वर स्थूल पदार्थ न होकर सूक्ष्मतम सत्ता होने के कारण आंखों से दिखाई नहीं देती”

ओ३म् ========= हमें किसी बात को सिद्ध करना हो तो हमें लिखित व दृश्य प्रमाण देने होते हैं। ईश्वर है या नहीं, इसका लिखित प्रमाण हमारे पास वेद के रुप में विद्यमान है। वेद ईश्वरीय ज्ञान है अर्थात् वेद ईश्वरप्रोक्त व ईश्वर के कहे हुए हैं। वेदों का ज्ञान ईश्वर से मनुष्यों तक कैसे आया, […]

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हमारे क्रांतिकारी / महापुरुष

ऋषि दयानन्द का भक्तिवाद -स्मृतिशेष डॉ० भवानीलाल भारतीय

ऋषि दयानन्द के धार्मिक तथा सामाजिक सुधार कार्य में अधिक समय रहने तथा उनके राष्ट्रीय जागरण के प्रथम पुरोधा होने के कारण अनेक लोगों में यही धारणा बन गई है कि भारत की आध्यात्मिक चेतना को जगाने तथा भगवत् भक्ति के प्रसार में उनका योगदान अल्प है। ऐसा विचार उन लोगों का है जिन्होंने दयानन्द […]

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हमारे क्रांतिकारी / महापुरुष

“महर्षि दयानन्द की प्रमुख देन चार वेद और उनके प्रचार का उपदेश”

ओ३म् ======== महर्षि दयानन्द ने वेद प्रचार का मार्ग क्यों चुना? इसका उत्तर है कि उनके समय में देश व संसार के लोग असत्य व अज्ञान के मार्ग पर चल रहे थे। उन्हें यथार्थ सत्य का ज्ञान नहीं था जिससे वह जीवन के सुखों सहित मोक्ष के सुख से भी सर्वथा अपरिचित व वंचति थे। […]

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आज का चिंतन

“सृष्टि में ईश्वर का अस्तित्व सत्य व यथार्थ है”

ओ३म् ========= हम जिस संसार को देखते हैं वह अति प्राचीन काल से विद्यमान है। यह कब बना, इसका प्रमाण हमें वेद, वैदिक साहित्य एवं इतिहास आदि परम्पराओं से मिलता है। आर्य लोग जब भी कोई पुण्य व शुभ कार्य करते हैं तो वह संकल्प पाठ का उच्चारण करते हैं। इसमें कर्मकत्र्ता यजमान का नाम, […]

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