ओ३म् -मनमोहन कुमार आर्य, देहरादून। वैदिक साधन आश्रम की स्थापना सन् 1949 में हुई थी। इसके संस्थापक बावा गुरुमुख सिंह जी और उनके श्रद्धास्पद आर्यसंन्यासी महात्मा आनन्द स्वामी थे। आश्रम में सभी प्रकार व श्रेणियों के साधक-साधिकायें आते रहे हैं। आश्रम में वर्ष में दो बार ग्रीष्मोत्सव एवं शरदुत्सव आयोजित किये जाते हैं। हम वर्ष […]
Author: मनमोहन कुमार आर्य
–मनमोहन कुमार आर्य वैदिक साधन आश्रम तपोवन, देहरादून के मंत्री श्री प्रेम प्रकाश शर्मा जी ने अपने निवास पर 5 दिवसीय ऋग्वेद यज्ञ एवं वेदकथा का आयोजन किया है। यह कार्यक्रम दिनांक 7-9-2022 को आरम्भ हुआ। इससे पूर्व देहरादून में जाखन स्थित दून विहार कालोनी में दिनांक 4-9-2022 को एक शोभायात्रा भी निकाली जा चुकी है जिससे सभी कालोनी निवासी इस आयोजन में उपस्थित होकर इसका लाभ ले सकें। आज दिनांक 7-9-2022 को प्रातः 8.00 बजे ऋग्वेद यज्ञ आरम्भ हुआ। यज्ञ के ब्रह्मा ऋषिभक्त आर्य विद्वान श्री शैलेश मुनि सत्यार्थी जी, हरिद्वार हैं। यज्ञ मे मंत्रोच्चार द्रोणस्थली कन्या गुरुकुल, देहरादून की छात्रायें एवं आचार्यायें कर रही हैं। यज्ञ के यजमान श्री प्रेम प्रकाश शर्मा जी व उनके पारिवारिकजन हैं। शर्मा जी प्रत्येक वर्ष अपने निवास पर सितम्बर महीने में वृहद यज्ञ एवं सत्संग का आयोजन करते हैं। इसी श्रृंखला में इस वर्ष का आयोजन किया गया है। यज्ञ की पूर्णाहुति आगामी रविवार दिनांक 11-7-2022 को दिन में लगभग 12.00 बजे […]
महर्षि दयानन्द एक पौराणिक पिता व परिवार में गुजरात प्रान्त के मौरवी जनपद के टंकारा नाम ग्राम में 12 फरवरी, सन् 1825 को जन्में थे। उनके पिता शिवभक्त थे। उनके परिवार के सभी सदस्य भी पौराणिक आस्थाओं में विश्वास रखने वाले जन्मना ब्राह्मण थे। स्वामी दयानन्द का बचपन का नाम मूलजी व मूलशंकर था। आपने […]
देहरादून का प्रसिद्ध वैदिक साधन आश्रम तपोवन, नालापानी रोड, देहरादून जब तक रहेगा, इसके संस्थापकबावा गुरमुख सिंह जी और उनके प्रेरक महात्मा आनन्दस्वामी जी के नाम को अमर रखेगा। बावा गुरमुख सिंह जीका जन्म अमृतसर में एक सिख परिवार में पिता प्रद्युम्न सिंहजी के यहां हुआ था। आपके जन्म का गांव अमृतसर सेलगभग 50 किमी. […]
क्या हम मनुष्य हैं?
मनमोहन कुमार आर्य हम मनुष्य कहलाते हैं परन्तु क्या हम वात्सव में मनुष्य हैं? हम मनुष्य क्यों कहलाते हैं? इस प्रश्न का उत्तर है कि हमारे पास मन व बुद्धि है जिससे हम विचार कर किसी वस्तु या पदार्थ आदि के सत्य व असत्य होने का निर्णय करते हैं। यदि मनुष्य किसी बात को मानता […]
हमें आज दिनांक 27-11-2022 को आर्यसमाज राजपुर, देहरादून के तीन दिवसीय वार्षिकोत्सव के समापन समारोह में उपस्थित होने का अवसर मिला। आयोजन का आरम्भ प्रातः यज्ञ से हुआ। यज्ञ में आचार्या डा. अन्नपूर्णा जी, आचार्य विष्णुमित्र वेदार्थी, आचार्य प्रदीप शास्त्री, श्री प्रेमप्रकाश शर्मा आदि ऋषिभक्त उपस्थित थे। यज्ञ की समाप्ति के बाद एक बड़े पण्डाल […]
हमें आज दिनांक 27-11-2022 को आर्यसमाज राजपुर, देहरादून के तीन दिवसीय वार्षिकोत्सव के समापन समारोह में उपस्थित होने का अवसर मिला। आयोजन का आरम्भ प्रातः यज्ञ से हुआ। यज्ञ में आचार्या डा. अन्नपूर्णा जी, आचार्य विष्णुमित्र वेदार्थी, आचार्य प्रदीप शास्त्री, श्री प्रेमप्रकाश शर्मा आदि ऋषिभक्त उपस्थित थे। यज्ञ की समाप्ति के बाद एक बड़े पण्डाल […]
महर्षि दयानंद ने जीवन भर हिन्दू समाज में फैली हुई जातिभेद की कुरीति का पुरजोर विरोध किया। उनके जीवन में से अनेक प्रसंग ऐसे मिलते हैं जिनसे जातिवाद को जड़ से मिटाने की प्रेरणा मिलती हैं। खेद है अपनी राजनैतिक महत्कांक्षा के चलते दलित समाज डॉ अम्बेडकर, ज्योति बा फुले आदि का नाम तो गर्व […]
मनुष्य को अपने पूर्वजन्म के शुभकर्मों के परिणामस्वरूप परमात्मा से यह श्रेष्ठ मानव शरीर मिला है। सब प्राणियों से मनुष्य का शरीर श्रेष्ठ होने पर भी यह प्रायः सारा जीवन दुःख व क्लेशों से घिरा रहता है। दूसरों लोगों को देख कर यह अपनी रुचि व सामथ्र्यानुसार विद्या प्राप्त कर धनोपार्जन एवं सुख-सुविधा की वस्तुओं […]
ओ३म् ========= ऋषि दयानन्द ने विश्व प्रसिद्ध ग्रन्थ ‘सत्यार्थप्रकाश’ में प्राचीन भारत में गुरुकुलीय शिक्षा पद्धति का उल्लेख कर उसके व्यापक प्रचार का मानचित्र प्रस्तुत किया था। यह गुरुकुलीय पद्धति प्राचीन भारत में सृष्टि के आरम्भ से महाभारत काल व उसके बाद भी देश व विश्व की एकमात्र शिक्षा पद्धति रही है। इसी संस्कृति में […]