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व्यक्तित्व

ओ३म् -स्वामी जी के 76-वे जन्म दिवस पर- ‘हम सबके प्रेरणास्रोत और श्रद्धास्पद स्वामी प्रणवानन्द सरस्वती’

=========== परम पिता परमात्मा ने सृष्टि के आरम्भ में संसार के सभी मनुष्यों के पूवर्जों को वेदों का ज्ञान दिया था और आज्ञा की थी कि जीवात्मा व जीवन के कल्याण के लिए संसार की प्रथम वैदिक संस्कृति को अपनाओं व धर्म, अर्थ, काम व मोक्ष के मार्ग का अनुसरण करो। इस मार्ग पर चलने […]

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हमारे क्रांतिकारी / महापुरुष

ओ३म् -आचार्य जी की ७ जुलाई को १०९-वी जयन्ती पर- “सामवेद भाष्यकार आचार्य रामनाथ वेदालंकार अपनी वेद-सेवा के लिए अमर हैं और सदा रहेंगे”

============ ऋषि दयानन्द की शिष्य मण्डली एवं विश्व के शीर्ष वैदिक विद्वानों में आचार्य डा. रामनाथ वेदालंकार जी का गौरवपूर्ण स्थान है। अपने पिता की प्रेरणा से गुरुकुल कागड़ी, हरिद्वार में शिक्षा पाकर, वहीं एक उपाध्याय व प्रोफेसर के रूप में अपनी सेवायें देकर तथा अध्ययन, अध्यापन, वेदों पर चिन्तन व मनन करके आपने देश […]

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आज का चिंतन

आर्यसमाज धामावाला-देहरादून का साप्ताहिक सत्संग- “दीपक की तरह ऋषि दयानन्द ने वेदज्ञान का प्रकाश विश्व में फैलायाः स्वामी योगेश्वरानन्द सरस्वती”

ओ३म् ========= आर्यसमाज, धामावाला-देहरादून के साप्ताहिक सत्संग में आज दिनांक 2-7-2023 को प्रातः 8.00 बजे से समाज के पुरोहित पं. विद्यापति शास्त्री के पौरोहित्य में यज्ञशाला में यज्ञ हुआ। यज्ञ के बाद शास्त्री जी ने एक भजन प्रस्तुत किया जिसके बोल थे ‘विषयों में फंस कर बन्दे हुआ तू बेखबर है, मानव का चोला पाया […]

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आज का चिंतन

ओ३म् “वेदों की रक्षा व प्रचार से ही विश्व में मानवता की रक्षा सम्भव है”

========= मनुष्य को दुर्गुणों व दुव्र्यसनों सहित अज्ञान, अन्धविश्वास, पाखण्ड, मिथ्या सामाजिक परम्पराओं सहित अन्याय व शोषण से रहित मनुष्य-जीवन की रक्षा के लिये सदाचारी विद्वानों, देवत्वधारी पुरुषों सहित वेदज्ञान की भी आवश्यकता होती है। यदि समाज में सच्चे ज्ञानी व परोपकारी मनुष्य न हों तो समाज में अज्ञान की वृद्धि होकर अन्याय, शोषण तथा […]

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आज का चिंतन

सर्वज्ञ ईश्वर से ही सर्गारम्भ में चार ऋषियों को चार वेद मिले थे”

ओ३म् हमारा यह संसार स्वतः नहीं बना अपितु एक पूर्ण ज्ञानवान सर्वज्ञ सत्ता ईश्वर के द्वारा बना है। ईश्वर सच्चिदानन्दस्वरूप, सर्वशक्तिमान, न्यायकारी, सर्वव्यापक, सर्वातिसूक्ष्म, एकरस, अखण्ड, सृष्टि का उत्पत्तिकर्ता, पालनकर्ता तथा प्रलयकर्ता है। जो काम परमात्मा ने किये हैं व वह करता है, उन कामों को करना किसी मनुष्य के वश की बात नहीं है। […]

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आज का चिंतन

पुष्पों को सुगन्ध प्रभु ने दी है। यह कार्य कोई मनुष्य नहीं कर सकताः शैलेश मुनि सत्यार्थी”

ओ३म् -आर्यसमाज धामावाला देहरादून का रविवारीय सत्संग- ========== आर्यसमाज धामावाला, देहरादून के साप्ताहिक सत्संग में आज रविवार दिनांक 18-6-2023 को हरिद्वार से पधारे आर्यविद्वान आचार्य शैलेश मुनि सत्यार्थी जी का ओजस्वी व्याख्यान हुआ। उनके व्याख्यान से से पूर्व यज्ञशाला में पं. विद्यापति शास्त्री के पौरोहित्य में वृहद यज्ञ हुआ। यज्ञ में अन्य बन्धुओं सहित आर्यसमाज […]

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आज का चिंतन

ओ३म् “ईश्वर निराकार एवं सर्वव्यापक है”

-मनमोहन कुमार आर्य, देहरादून। हम अपने शरीर व संसार को देखते हैं तो विवेक बुद्धि से यह निश्चय होता है कि यह अपौरुषेय रचनायें हैं जिन्हें ईश्वर नाम की एक सत्ता ने बनाया है। वह ईश्वर आकारवान या साकार तथा एकदेशी वा स्थान विशेष में रहने वाला कदापि नहीं हो सकता। ईश्वर सर्वज्ञ एवं सर्वशक्तिमान […]

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हमारे क्रांतिकारी / महापुरुष

“क्या संसार ऋषि दयानन्द के सत्य वैदिक सिद्धान्तों को समझ पाया है?” =

ओ३म् =========== महर्षि दयानन्द (1825-1883) ने देश व समाज सहित विश्व की सर्वांगीण उन्नति का धार्मिक व सामाजिक कार्य किया है। क्या हमारे देश और संसार के लोग उनके कार्यों को यथार्थ रूप में जानते व समझते हैं? क्या उनके कार्यों से मनुष्यों को होने वाले लाभों की वास्तविक स्थिति का ज्ञान विश्व व देश […]

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आज का चिंतन

स्वामी प्रणवानन्द सरस्वती एवं आचार्य धनंजय जी के सान्निध्य में- “श्रीमद् दयानन्द आर्ष गुरुकुल पौंधा-देहरादून का 23 वां वार्षिकोत्सव आरम्भ”

ओ३म् ========= श्रीमद् दयानन्द आर्ष ज्यातिर्मठ गुरुकुल, पौंधा-देहरादून आर्यसमाज वा आर्यजगत का प्रमुख एवं विशेष गुरुकुल है। इस गुरुकुल ने विगत 23 वर्षों में अनेक कीर्तिमान स्थापित किये हैं। इस गुरुकुल का 23 वां वार्षिकोत्सव आरम्भ हो गया है। मुख्य कार्यक्रम 2 जून से 4 जून 2023 के मध्य सम्पन्न किये जायेंगे। गुरुकुल में स्वाध्याय […]

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आज का चिंतन

क्या संसार ऋषि दयानन्द के सत्य वैदिक सिद्धान्तों को समझ पाया है?”

ओ३म् महर्षि दयानन्द (1825-1883) ने देश व समाज सहित विश्व की सर्वांगीण उन्नति का धार्मिक व सामाजिक कार्य किया है। क्या हमारे देश और संसार के लोग उनके कार्यों को यथार्थ रूप में जानते व समझते हैं? क्या उनके कार्यों से मनुष्यों को होने वाले लाभों की वास्तविक स्थिति का ज्ञान विश्व व देश के […]

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