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आज का चिंतन

ओ३म् “वैदिक धर्म ज्ञान-विज्ञान पर आधारित संसार का प्राचीनतम धर्म है”

========= वैदिक धर्म वेदों का आधारित संसार का ज्ञान व विज्ञान सम्मत प्राचीनतम धर्म है। वैदिक धर्म का आरम्भ सृष्टि के आरम्भ में परमात्मा द्वारा अमैथुनी सृष्टि में उत्पन्न आदि चार ऋषियों अग्नि, वायु, आदित्य तथा अंगिरा को वेदों का ज्ञान देने के साथ आरम्भ हुआ था। वेद के मर्मज्ञ ऋषियों सहित ऋषि दयानन्द के […]

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आज का चिंतन

ओ३म् -आर्यसमाज, धामावाला-देहरादून का साप्ताहिक सत्संग- “वेदों को स्वतः प्रमाण और इतर ग्रन्थों की वेदानुकूल बातों को परतःप्रमाण बताने वाले ऋषि दयानन्द प्रथम ऋषि हुए हैं : सत्यदेव निगमालंकार”

========= आर्यसमाज धामावाला-देहरादून के आज दिनांक 6-8-2023 को रविवारीय सत्संग में यज्ञ, भजन एवं वैदिक विद्वान डा. सत्यदेव निगमालंकार जी का व्याख्यान हुआ। यज्ञ आर्यसमाज के विद्वान पुरोहित पं. विद्यापति शास्त्री जी के पौरोहित्य में सम्पन्न हुआ। यज्ञ के बाद स्वामी श्रद्धानन्द बाल वनिता आश्रम के एक बालक ने कविता पाठ किया। एक कन्या का […]

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आज का चिंतन

ओ३म् “यज्ञ क्या होता है और कैसे किया जाता है?’’

========== यज्ञ सर्वश्रेष्ठ कार्य वा कर्म को कहते हैं। आजकल यज्ञ शब्द अग्निहोत्र, हवन वा देवयज्ञ के लिए रूढ़ हो गया है। अतः पहले अग्निहोत्र वा देवयज्ञ पर विचार करते हैं। अग्निहोत्र में प्रयुक्त अग्नि शब्द सर्वज्ञात है। होत्र वह प्रक्रिया है जिसमंत अग्नि में आहुत किये जाने वाले चार प्रकार के द्रव्यों की आहुतियां […]

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आज का चिंतन

जीवन की सफलता वेदों के स्वाध्याय, सद्व्यवहार एवं आचरण में है”

ओ३म् “ हम मनुष्य इस कारण से हैं कि हम अपने मन व बुद्धि से चिन्तन व मनन कर सत्यासत्य का निर्णय करने सहित सत्य का ग्रहण एवं असत्य का त्याग कर सकते हैं वा करते हैं। यह कार्य पशु व पक्षी योनि के जीवात्मा नहीं कर सकते। इसका कारण यह है कि पशु व […]

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पर्व – त्यौहार

श्रावणी व रक्षाबन्धन पर्व आगामी 30 अगस्त पर- “वेदों का स्वाध्याय एवं वैदिक जीवन जीने का पर्व है श्रावणी पर्व”

ओ३म् ========== श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन देश के आर्य व हिन्दू बन्धु श्रावणी पर्व को मनाते हैं। वैदिक धर्म तथा संस्कृति 1.96 अरब वर्ष पुरानी होने से विगत तीन-चार हजार वर्ष पूर्व उत्पन्न अन्य सब मत-मतान्तरों से प्राचीन है। वैदिक धर्म के दीर्घकाल के इतिहास में लगभग पांच हजार वर्ष पूर्व हुए महाभारत […]

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ओ३म् “वेद एवं सत्यार्थप्रकाश”

========= वेद सृष्टि के आद्य अर्थात् सबसे प्राचीन ग्रन्थ हैं। शास्त्रीय परम्परा में वेदों को ईश्वर का नित्य ज्ञान कहा गया है जिसमें न कभी, पूरी सृष्टि अवधि में, कमी होती है न वृद्धि होती हैं क्योंकि वह अन्तिम एवं पूर्ण हैं। वेदों का अध्ययन कर जब परीक्षा करते हैं तो वेद वस्तुतः सृष्टिकर्ता ईश्वर […]

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आज का चिंतन हमारे क्रांतिकारी / महापुरुष

ईमानदारी की मिसाल -आर्यसमाज

यह घटना सन् 1947 में भारत के विभाजन से पूर्व की है। आर्यसमाज के विद्वान एवं शास्त्रार्थ महारथी पं. लोकनाथ तर्कवाचस्पति एक गांव में प्रचारार्थ आये थे। वहां बिजली नहीं थी। पानी के लिए कुएं पर जाना होता था वा रहट चलते थे। उपदेश्क भी प्रातः निकल जाते थे। पंडित जी एक दिन रहट पर […]

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आज का चिंतन

आर्यसमाज धामावाला-देहरादून का साप्ताहिक सत्संग- “यज्ञ करने वाला व्यक्ति कभी निर्धन नहीं होताः आचार्य वीरेन्द्र शास्त्री”

ओ३म् =========== आज रविवार दिनांक 16-7-2023 को आर्यसमाज, धामावाला-देहरादून के सत्संग में यज्ञ, भजन, सामूहिक प्रार्थना एवं वैदिक विद्वान आचार्य वीरेन्द्र शास्त्री, सहारनपुर का व्याख्यान हुआ। सत्संग प्रातः 8.00 बजे से आरम्भ होकर दो घंटे बाद 10.00 बजे समाप्त हुआ। अपने व्याख्यान में आचार्य वीरेन्द्र शास्त्री जी ने कहा कि संसार में चारों तरफ अविद्या […]

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भारतीय संस्कृति

ओ३म् “ईश्वर का ध्यान करते हुए साधक को होने वाले कतिपय अनुभव”

========== मनुष्य का आत्मा चेतन सत्ता वा पदार्थ है। उसका कर्तव्य ज्ञान प्राप्ति व सद्कर्मों को करना है। ज्ञान ईश्वर व आत्मा संबंधी तथा संसार विषयक दो प्रकार का होता है। ईश्वर भी चेतन आत्मा की तरह से एक चेतन पदार्थ है जो सच्चिदानन्दस्वरूप, सर्वज्ञ, निराकार, सर्वव्यापक एवं सर्वान्तर्यामी सत्ता है। ईश्वर व आत्मा दोनों […]

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ओ३म् “ब्रह्मचर्यादि चार आश्रमों में गृहस्थ आश्रम ही ज्येष्ठ आश्रम है”

========== वैदिक धर्म वह धर्म है जिसका आविर्भाव ईश्वर प्रदत्त ज्ञान ‘वेद’ के पालन व आचरण से हुआ है। वैदिक धर्म के अनुसार मनुष्य को ईश्वर प्रदत्त शिक्षाओं को ही मानना व आचरण करना होता है। ऐसे ग्रन्थ वेद हैं जिसमें परमात्मा के सृष्टि की आदि में दिए गये सभी वचन व शिक्षायें विद्यमान है। […]

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