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आज का चिंतन

ओ३म् “यदि ऋषि दयानन्द न आते तो क्या हो सकता था?”

========= ऋषि दयानन्द का जन्म 12 फरवरी, 1825 को गुजरात राज्य के मोरवी जिले के टंकारा कस्बे में हुआ था। उनके पिता का नाम श्री कर्षनजी तिवारी था। जब उनकी आयु का चैदहवां वर्ष चल रहा था तो उन्होंने अपने शिवभक्त पिता के कहने पर शिवरात्रि का व्रत रखा था। शिवरात्रि को अपने कस्बे के […]

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आज का चिंतन

ओ३म् “विश्व में वेदों के प्रचार का श्रेय ऋषि दयानन्द और आर्यसमाज को है”

-मनमोहन कुमार आर्य, देहरादून। लगभग पांच हजार वर्ष पूर्व हुए महाभारत युद्ध के बाद वेदों का सत्यस्वरूप विस्मृत हो गया था। वेदों के सत्य अर्थों के विलुप्त होने के कारण ही संसार में मिथ्या अन्धविश्वास तथा पक्षपात व दोषपूर्ण सामाजिक व्यवस्थायें फैली हैं। इससे विद्या व ज्ञान में न्यूनता तथा अविद्या व अज्ञानयुक्त मान्यताओं में […]

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हमारे क्रांतिकारी / महापुरुष

ओ३म् “यदि ऋषि दयानन्द न आते?”

-मनमोहन कुमार आर्य, देहरादून। ऋषि दयानन्द का जन्म 12 फरवरी, 1825 को गुजरात राज्य के मोरवी जिले के टंकारा कस्बे में हुआ था। उनके पिता का नाम श्री कर्षनजी तिवारी था। जब उनकी आयु का चैदहवां वर्ष चल रहा था तो उन्होंने अपने शिवभक्त पिता के कहने पर शिवरात्रि का व्रत रखा था। शिवरात्रि को […]

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आज का चिंतन हमारे क्रांतिकारी / महापुरुष

ओ३म् “पिछले पांच हजार वर्षों में दयानन्द के समान ऋषि नहीं हुआ”

========= महाभारत का युद्ध पांच हजार वर्ष से कुछ वर्ष पहले हुआ था। महाभारत युद्ध के बाद भारत ज्ञान-विज्ञान सहित देश की अखण्डता व स्थिरता की दृष्टि से पतन को प्राप्त होता रहा। महाभारत काल के कुछ ही समय बाद ऋषि जैमिनी पर आकर देश से ऋषि परम्परा समाप्त हो गई थी। ऋषि परम्परा का […]

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आज का चिंतन

ओ३म् “ईश्वर और वेद का परस्पर सम्बन्ध और वेदज्ञान की महत्ता”

======== ईश्वर और वेद शब्दों का प्रयोग तो आर्यसमाज के विद्वानों व सदस्यों को करते व देखते हैं परन्तु इतर सभी मनुष्यों को चार वेदों और ईश्वर का परस्पर क्या संबंध है, इसका यथोचित ज्ञान नहीं है। इस ज्ञान के न होने से हम वेदों की महत्ता को यथार्थरूप में नहीं जान पाते। वेद अन्य […]

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ओ३म् “ईश्वर और वेद का परस्पर सम्बन्ध और वेदज्ञान की महत्ता”

======== ईश्वर और वेद शब्दों का प्रयोग तो आर्यसमाज के विद्वानों व सदस्यों को करते व देखते हैं परन्तु इतर सभी मनुष्यों को चार वेदों और ईश्वर का परस्पर क्या संबंध है, इसका यथोचित ज्ञान नहीं है। इस ज्ञान के न होने से हम वेदों की महत्ता को यथार्थरूप में नहीं जान पाते। वेद अन्य […]

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ओ३म् “प्रसिद्ध भजनोपदेशक पं. ओम्प्रकाश वर्मा जी का सम्पूर्ण ऋग्वेद कण्ठस्थ किए हुए एक सनातनी विद्वान विषयक महत्वपूर्ण संस्मरण”

=============== पं. ओम्प्रकाश वर्मा जी आर्यसमाज के सुप्रसिद्ध भजनोपदेशक थे। विगत वर्ष उनका देहावसान हुआ है। उनकी धर्मपत्नी एवं परिवार के सदस्य हरयाणा के यमुनानगर में निवास करते हैं। वर्मा जी ने यमुनानगर के प्रसिद्ध विद्वान पं. इन्द्रजित् देव जी को अपने जीवन के कुछ महत्वपूर्ण संस्मरण सुनाये व लिखाये थे। उन संस्मरणों को लेखबद्ध […]

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ओ३म् “वैदिक धर्म के कुछ मुख्य सिद्धान्त जिनका प्रचार आर्यसमाज करता है”

========== वैदिक धर्म विश्व का सबसे प्राचीन धर्म व मत है। वैदिक धर्म का प्रचलन वेदों से हुआ है। वेद सृष्टि के आरम्भ में अन्य सांसारिक पदार्थों की ही तरह ईश्वर से उत्पन्न हुए। परमात्मा सत्य, चित्त व आनन्द स्वरूप है। ईश्वर के इस स्वरूप को सच्चिदानन्दस्वरूप कहा जाता है। चेतन पदार्थ ज्ञान व क्रिया […]

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ओ३म् “आर्यसमाज की ईश्वरीय ज्ञान वेदों के सम्बन्ध में कुछ प्रमुख मान्यतायें”

=========== हमारा यह संसार किससे बना और कौन इसे संचालित कर रहा है, इसका उत्तर खोजते हुए हम इसके कर्ता व पालक ईश्वर तक पहुंचते हैं। सौभाग्य से हमें सृष्टि के आदि में उत्पन्न व प्रचारित चार वेद आज भी अपने मूल स्वरूप तथा शुद्ध अर्थों सहित प्राप्त व विदित हैं। इन वेदों का अध्ययन […]

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ओ३म् “वैदिक धर्म के कुछ मुख्य सिद्धान्त जिनका प्रचार आर्यसमाज करता है”

-मनमोहन कुमार आर्य, देहरादून। वैदिक धर्म विश्व का सबसे प्राचीन धर्म व मत है। वैदिक धर्म का प्रचलन वेदों से हुआ है। वेद सृष्टि के आरम्भ में अन्य सांसारिक पदार्थों की ही तरह ईश्वर से उत्पन्न हुए। परमात्मा सत्य, चित्त व आनन्द स्वरूप है। ईश्वर के इस स्वरूप को सच्चिदानन्दस्वरूप कहा जाता है। चेतन पदार्थ […]

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