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भारतीय संस्कृति

ओ३म् “ऋषि दयानन्द ने मत-मतान्तरों की परीक्षा कर वेदानुकूल  सत्य के ग्रहण का सिद्धान्त दिया”

  –मनमोहन कुमार आर्य, देहरादून।   ऋषि दयानन्द ने अपने ज्ञान व ऊहा से वेदों को सृष्टि के आरम्भ में चार ऋषियों को सर्वव्यापक परमात्मा से प्राप्त सत्य ज्ञान के ग्रन्थ स्वीकार किया था। इस सिद्धान्त व मान्यता की उन्होंने डिण्डिम घोषणा की है। इसके पक्ष में उन्होंने उदाहरणों सहित अनेक तर्क युक्त बातें विस्तार […]

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आज का चिंतन

ओ३म् “मनुष्य धर्मानुसार तथा सत्य असत्य को विचार कर ही आचरण करें”

============ परमात्मा ने मनुष्य को सबसे मूल्यवान् वस्तु उसके शरीर में बुद्धि के रूप में दी है। बुद्धि से हम ज्ञान को प्राप्त कर उसके अनुसार आचरण करते है। जिस मनुष्य की बुद्धि जितनी विकसित व शुद्ध होती है, वह उतना ही अधिक ज्ञानी कहा जाता है। सत्य ज्ञान के अनुरूप आचरण करना ही मनुष्य […]

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आज का चिंतन

ओ३म् “मनुष्य धर्मानुसार तथा सत्य असत्य को विचार कर ही आचरण करें”

============ परमात्मा ने मनुष्य को सबसे मूल्यवान् वस्तु उसके शरीर में बुद्धि के रूप में दी है। बुद्धि से हम ज्ञान को प्राप्त कर उसके अनुसार आचरण करते है। जिस मनुष्य की बुद्धि जितनी विकसित व शुद्ध होती है, वह उतना ही अधिक ज्ञानी कहा जाता है। सत्य ज्ञान के अनुरूप आचरण करना ही मनुष्य […]

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हमारे क्रांतिकारी / महापुरुष

ओ३म् “देश की आजादी में ऋषि दयानन्द और आर्यसमाज का योगदान”

============= माना जाता है कि देश 15 अगस्त, 1947 को अंग्र्रेजों की दासता से मुक्त हुआ था। तथ्य यह है कि सृष्टि के आरम्भ से पूरे विश्व पर आर्यों का चक्रवर्ती राज्य रहा। आर्यों वा उनके पूर्वजों ने ही समस्त विश्व को बसाया है। सभी देशों के आदि पूर्वज आर्यावर्तीय आर्यों की ही सन्तानें व […]

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पर्व – त्यौहार

ओ३म् -आगामी श्रावणी व रक्षाबन्धन पर्व 19 अगस्त पर- “वेदों का स्वाध्याय एवं वैदिक जीवन जीने का पर्व है श्रावणी पर्व”

======== श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन देश के आर्य व हिन्दू बन्धु श्रावणी पर्व को मनाते हैं। वैदिक धर्म तथा संस्कृति 1.96 अरब वर्ष पुरानी होने से विगत दो ढाई हजार वर्ष पूर्व उत्पन्न अन्य सब मत-मतान्तरों से प्राचीन है। वैदिक धर्म के दीर्घकाल के इतिहास में लगभग पांच हजार वर्ष हुए महाभारत युद्ध […]

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भारतीय संस्कृति

ओ३म् -आगामी कृष्ण जन्माष्टमी पर्व दिनांक 26 अगस्त, 2024 पर- “अद्वितीय महापुरुष योगेश्वर कृष्ण जिनका जीवन अनुकरणीय है”

========== मनुष्य का जन्म आत्मा की उन्नति के लिये होता है। आत्मा की उन्नति में गौण रूप से शारीरिक उन्नति भी सम्मिलित है। यदि शरीर पुष्ट और बलवान न हो तो आत्मा की उन्नति नहीं हो सकती। आत्मा के अन्तःकरण में मन, बुद्धि, चित्त एवं अहंकार यह चार अवयव व उपकरण होते हैं। इनकी उन्नति […]

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पर्व – त्यौहार

ओ३म् -आगामी श्रावणी व रक्षाबन्धन पर्व 19 अगस्त पर- “वेदों का स्वाध्याय एवं वैदिक जीवन जीने का पर्व है श्रावणी पर्व”

======== श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन देश के आर्य व हिन्दू बन्धु श्रावणी पर्व को मनाते हैं। वैदिक धर्म तथा संस्कृति 1.96 अरब वर्ष पुरानी होने से विगत दो ढाई हजार वर्ष पूर्व उत्पन्न अन्य सब मत-मतान्तरों से प्राचीन है। वैदिक धर्म के दीर्घकाल के इतिहास में लगभग पांच हजार वर्ष हुए महाभारत युद्ध […]

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विश्वगुरू के रूप में भारत

ओ३म् “ईश्वराधीन कर्म-फल व्यवस्था व उससे मिलने वाले सुख व दुःखों पर विचार”

=========== संसार में मनुष्य ही नहीं अपितु समस्त जड़-चेतन जगत क्रियाशील हैं। सृष्टि पंचभौतिक पदार्थों से बनी है जिसकी ईकाई सूक्ष्म परमाणु है। यह परमाणु सत्व, रज व तम गुणों का संघात है। इन्हीं परमाणुओं से अणु और अणुओं से मिलकर त्रिगुणात्मक प्रकृति व सृष्टि का अस्तित्व विद्यमान है। परमाणु में इलेक्ट्रान कण भी निरन्तर […]

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भारतीय संस्कृति

ओ३म् “ईश्वर और वेद ही संसार में सच्चे अमृत हैं”

========== संसार में तीन सनातन, अनादि, अविनाशी, नित्य व अमर सत्तायें हैं। यह हैं ईश्वर, जीव और प्रकृति। अमृत उसे कहते हैं जिसकी मृत्यु न हो तथा जिसमें दुःख लेशमात्र न हो और आनन्द भरपूर हो। ईश्वर अजन्मा अर्थात् जन्म-मरण धर्म से रहित है। अतः ईश्वर मृत्यु के बन्धन से मुक्त होने के कारण अमृत […]

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पर्यावरण

ओ३म् “मनुष्य की ही तरह पशु-पक्षियों को भी जीनें का अधिकार है”

============ परमात्मा ने संसार में जीवात्माओं के कर्मों के अनुसार अनेक प्राणी-योनियों को बनाया है। हमने अपने पिछले जन्म में आधे से अधिक शुभ व पुण्य कर्म किये थे, इसलिये ईश्वर की व्यवस्था से इस जन्म में हमें मनुष्य जन्म मिला है। जिन जीवात्माओं के हमसे अधिक अच्छे कर्म थे, उन्हें अच्छे माता-पिता व परिवार […]

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