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हमारे क्रांतिकारी / महापुरुष

ओ३म् “ऋषिभक्त हुतात्मा ठाकुर रोशन सिंह का देश की आजादी में योगदान”

============ देश की आजादी के लिये अपने जीवन का बलिदान देने वाले ठाकुर रोशन सिंह जी का जन्म बसन्त पंचमी सन् 1891 को ग्राम नवादा जिला शाहजहांपुर, उत्तर प्रदेश के एक राजपूत जागीरदार परिवार में हुआ था। सन् 1901 में उन्होंने ग्राम में ही कक्षा चार पास कर ली थी। रोशन सिंह जी का 13 […]

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धर्म-अध्यात्म

ओ३म् “सर्गारम्भ से वेद बिना भेदभाव मनुष्यों की अविद्या दूर कर रहे हैं”

============= हमारी यह सृष्टि सर्वव्यापक, सर्वशक्तिमान, सर्वज्ञ, सच्चिदानन्दस्वरूप, अनादि व नित्य परमात्मा से बनी है। ईश्वर, जीव तथा प्रकृति तीन अनादि व नित्य सत्तायें हैं। सृष्टि प्रवाह से अनादि है। इसमें सृष्टि की उत्पत्ति, स्थिति तथा प्रलय का क्रम अनादि काल से चला आ रहा है और अनन्त काल तक चलता रहा है। सभी अनन्त […]

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Uncategorised इतिहास के पन्नों से

ओ३म् “महाभारत के बाद विश्व में वेदों के प्रचार का श्रेय ऋषि दयानन्द और आर्यसमाज को है”

============ पांच हजार वर्ष पूर्व हुए महाभारत युद्ध के बाद वेदों का सत्यस्वरूप विस्मृत हो गया था। वेदों के विलुप्त होने के कारण ही संसार में मिथ्या अन्धविश्वास, पक्षपात व दोषपूर्ण सामाजिक व्यवस्थायें फैली हैं। इससे विद्या व ज्ञान में न्यूनता तथा अविद्या व अज्ञानयुक्त मान्यताओं में वृद्धि हुई है। आश्चर्य होता है कि सत्य […]

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व्यक्तित्व

भजनोपदेशक पं. ओमप्रकाश वर्मा के जीवन का कश्मीर में प्रचार विषयक एक रोचक प्रसंग

============= पं. ओमप्रकाश वर्मा आर्यसमाज की पिछली कुछ पीढ़ियों से परिचित एकमात्र ऐसे आर्योपेदेशक थे जिन्हें आर्यसमाज के वरिष्ठ संन्यासियों, भजनोपदेशकों, आर्यविद्वानों के साथ कार्य करने का अनुभव था। उनके स्मृति-संग्रह में आर्यसमाज के गौरव को बढ़ाने वाली अनेक ऐतिहासिक घटनायें हैं जिन्हें आर्यजन एवं इसके शीर्ष विद्वान भी उनसे लेखबद्ध करने का आग्रह करते […]

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भारतीय संस्कृति

ओ३म् “ईश्वर के सत्यस्वरूप और ज्ञान का प्रकाश सर्वप्रथम वेदों द्वारा किया गया”

============ संसार की अधिकांश जनसंख्या ईश्वर के अस्तित्व को स्वीकार करती है। बहुत बड़े-बड़े वैज्ञानिक भी किसी न किसी रूप में इस सृष्टि को बनाने व चलाने वाली सत्ता के होने का संकेत करते हुए उसे दबी जुबान से स्वीकार करते हैं। हमारा अनुमान व विचार है कि यदि यूरोप के वैज्ञानिकों ने वेदों को […]

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धर्म-अध्यात्म

ओ३म् “ईश्वर के सत्यस्वरूप और ज्ञान का प्रकाश सर्वप्रथम वेदों द्वारा किया गया”

============ संसार की अधिकांश जनसंख्या ईश्वर के अस्तित्व को स्वीकार करती है। बहुत बड़े-बड़े वैज्ञानिक भी किसी न किसी रूप में इस सृष्टि को बनाने व चलाने वाली सत्ता के होने का संकेत करते हुए उसे दबी जुबान से स्वीकार करते हैं। हमारा अनुमान व विचार है कि यदि यूरोप के वैज्ञानिकों ने वेदों को […]

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आज का चिंतन

ओ३म् “मनुष्य जीवन की सार्थकता वेदाध्ययन एवं वेदानुकूल आचरण में है”

=========== हम मनुष्य हैं और अपनी बुद्धि व ज्ञान का उपयोग कर हम सत्य और असत्य का निर्णय करने में समर्थ हो सकते हैं। परमात्मा ने सृष्टि के आरम्भ में चार वेद ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद तथा अथर्ववेद का ज्ञान दिया था। यह ज्ञान सभी मनुष्यों के लिए दिया गया था। यह ज्ञान सभी श्रेणी के […]

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विविधा

ओ३म् “मृतक श्राद्ध विषयक भ्रान्तियां: विचार और समाधान”

============ हिन्दू समाज आज कल अन्धविश्वासों का पर्याय बन गया है। श्राद्ध शब्द को पढ़कर धर्म-कर्म में रूचि न रखने वाला एक अल्प ज्ञानी सामान्य व्यक्ति भी समझता है कि श्राद्ध अवश्य ही श्रद्धा से सम्बन्ध रखता है। जिस प्रकार से देव से देवता शब्द बनता है उसी प्रकार से श्रद्धा से श्राद्ध बनता है। […]

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हमारे क्रांतिकारी / महापुरुष

ओ३म् “भारत भाग्य विधाता ऋषि दयानन्द”

-मनमोहन कुमार आर्य, देहरादून। ऋषि दयानन्द जी का बलिदान 141 वर्ष पूर्व हुआ था। इस अवधि में उनके अनुयायियों एवं आर्यसमाज ने अनेक कार्य किये हैं जिनसे समाज एवं राष्ट्र को लाभ पहुंचा है। ऋषि दयानन्द को हम इसलिये भी स्मरण करते हैं कि उन्होंने हमें असत्य का परिचय कराकर सत्य ज्ञान, सत्य सिद्धान्त व […]

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भाषा

ओ३म् -हिन्दी दिवस 14 सितम्बर 2024 पर- “स्वामी दयानन्द और हिन्दी”

============ भारतवर्ष के इतिहास में महर्षि दयानन्द पहले व्यक्ति हैं जिन्होंने पराधीन भारत में सबसे पहले राष्ट्रीय एकता एवं अखण्डता के लिए हिन्दी को सर्वाधिक महत्वपूर्ण जानकर मन, वचन व कर्म से इसका प्रचार-प्रसार किया। उनके प्रयासों का ही परिणाम था कि हिन्दी शीघ्र लोकप्रिय हो गई। यह ज्ञातव्य है कि हिन्दी को स्वामी दयानन्द […]

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