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मेरे मानस के राम , अध्याय – 55 : सीता जी की अग्नि परीक्षा

सीता जी ने उस समय अपने आंसुओं को पोंछते हुए लक्ष्मण जी की ओर देखा और अत्यंत उदास होकर एकाग्र मन से कुछ सोचते हुए उनसे कहा कि इस मिथ्यापवाद से पीड़ित हो मैं जीना नहीं चाहती । अतः तुम मेरे लिए चिता तैयार करो। क्योंकि ऐसे रोग की एकमात्र औषधि यही है। लक्ष्मण जी […]

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विश्वगुरू के रूप में भारत

मेरे मानस के राम : अध्याय , 54 – अग्नि परीक्षा और सीता जी

सीता जी ने उपस्थित महानुभावों के समक्ष अपनी पीड़ा को व्यक्त करते हुए रामचंद्र जी से कहा कि जिस समय रावण ने मुझे पकड़ा था, उस समय उसने मेरा शरीर अवश्य स्पर्श किया था, परंतु तब मैं विवश थी। मेरी इच्छा से उसने मेरा शरीर नहीं छुआ था। इसमें मेरा कोई दोष नहीं था। यह […]

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मेरे मानस के राम : अध्याय – 53 , सीता का राम के पास आना

अयोध्या नगरी लौटने के लिए व्याकुल श्री रामचंद्र जी ने हनुमान जी को आदेश दिया कि वह सीता जी को यथाशीघ्र हमारे पास ले आएं। हनुमान जी ने रामचंद्र जी के आदेश का पालन किया और कुछ समय पश्चात ही वे सीता जी को अपने साथ लेकर रामचंद्र जी के समक्ष उपस्थित हो गए। तब […]

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मेरे मानस के राम : अध्याय – 52 , रावण का अंतिम संस्कार और विभीषण का राज्याभिषेक

संकेत किया श्री राम ने , विभीषण जी की ओर। वीर हित नहीं शोभता, ऐसा बिरथा शोक।। महिलाओं को दूर कर , करो दाह संस्कार। धर्म आपका है यही , याद करे संसार।। विभीषण बोले – “राम जी ! क्या कहते हो आप ?” उसका ना सम्मान हो , किया हो जिसने पाप।। ( विभीषण […]

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मेरे मानस के राम अध्याय 51 मंदोदरी का विलाप

रामचंद्र जी विभीषण को पूर्व में ही यह वचन दे चुके थे कि लंका की जीत के पश्चात वह रावण के स्थान पर उन्हें लंका का राजा बनाएंगे। आज वह घड़ी आ गई थी, जब लंका के राजा रावण का अंत हो गया था। उसका राज्यसिंहासन खाली पड़ा था। जिस पर अब विभीषण का राजतिलक […]

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मेरे मानस के राम अध्याय 50 विभीषण जी का विलाप

कहा जाता है कि:- खून आखिर खून है यह बेवफा होता नहीं। वक्त के तूफान में रिश्ता जुड़ा होता नहीं।। बस, यही वह बात थी, जिसने विभीषण जी को इस समय रोने के लिए विवश कर दिया। अपने सहोदर रावण के धरती पर पड़े शव को देखकर उनके आंसू रुक नहीं पा रहे थे। पीछे […]

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कविता

पिता एक बगिया, पिता है सहारा।

तुम ही मेरे मंदिर तुम ही मेरी पूजा….. पिता एक बगिया, पिता है सहारा। कुशल शिल्पकार बन हमको संवारा।।…… ज्योति अलौकिक होता पिता है, हमारे सभी दुख खोता पिता है। नभ से भी ऊंची पिता की मुरादें, जिसने भी समझा चमका सितारा……..१ श्रवण कुमार ने करी थी साधना, राम ने पूरी समझी भावना। चक्र सुदर्शन […]

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संपादकीय

अलोकतांत्रिक व्यवस्था का नाम है – वक्फ बोर्ड

हमारे देश का संविधान पंथनिरपेक्ष राज्य की अवधारणा को स्थापित करता है। इसका अभिप्राय है कि राज्य नागरिकों के मध्य किसी मजहब के आधार पर भेदभाव नहीं करेगा। भेदभाव नहीं करने का अभिप्राय है कि किसी एक पंथ के लोगों का तुष्टिकरण नहीं किया जाएगा। परंतु देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के शासनकाल […]

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पुस्तक समीक्षा

डॉ राकेश कुमार आर्य की पुस्तकों की सूची, भाग 3

56 – इतनी शक्ति हमें देना दाता … ( मूल्य : , पृष्ठ : ) प्रकाशक : डायमंड पॉकेट बुक्स, दिल्ली संपर्क सूत्र: 98 1000 8004 57 – भारतीय इतिहास के कुछ स्वर्णिम पृष्ठ ( मूल्य : 300 , पृष्ठ : 128 ) प्रकाशन : साहित्यागार जयपुर प्राप्ति हेतु संपर्क सूत्र: 0141- 40 22 382 […]

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पुस्तक समीक्षा

डॉ राकेश कुमार आर्य द्वारा लिखी गई पुस्तकों की सूची भाग 1

1 . भारतीय क्षात्र धर्म और अहिंसा पुस्तक का मूल्य : 300 रुपए प्रकाशन : साहित्यागार जयपुर प्राप्ति हेतु संपर्क सूत्र: 0141- 40 22 382 , 2310 785 2 – भारतीय संस्कृति में साम्यवाद के मूल तत्व इस पुस्तक का मूल्य : 260 रुपये है। प्रकाशन : सनातन प्रकाशन जयपुर संपर्क सूत्र : 99 280 […]

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