एक महान चिकित्सक ऋषि वृंद वृंद की प्रमुख कृति का नाम है ‘सिद्धयोग’। इस ग्रंथ को पढ़ने से या भली प्रकार स्पष्ट हो जाता है कि चिकित्साशास्त्र के इतिहास में वृंद का नाम सदा अमर रहेगा। मनुष्य रसायन चिकित्सा के माध्यम से किस प्रकार अपने आप को निरोग और स्वस्थ रख सकता है ?- इस […]
Author: डॉ॰ राकेश कुमार आर्य
मुख्य संपादक, उगता भारत
जैन धर्म के प्रवर्तक महावीर स्वामी महावीर स्वामी ने मानव के जीवन का अंतिम उद्देश्य मोक्ष की प्राप्ति को स्वीकार किया है । अपने ज्ञान किरणों के द्वारा महावीर स्वामी ने जैन धर्म का प्रवर्तन किया। इस धर्म के पांच मुख्य सिद्धान्त हैं-सत्य, अहिंसा, चोरी न करना, आवश्यकता से अधिक संग्रह न करना और जीवन […]
प्रस्तावना आज हम इतिहास के यात्रा पथ पर इतनी दूर निकल आए हैं कि अपना गौरवपूर्ण अतीत भी हमें अविश्वसनीय सा लगता है। बड़े शोधपूर्ण परिश्रम के पश्चात हमारे अनेक विद्वानों ने इन बातों को स्पष्ट किया है कि किस क्षेत्र का भौगोलिक नाम हमारे किस महापुरुष, राजा , सम्राट या ऋषि के नाम पर […]
प्रस्तावना प्रस्तुत पुस्तक उन योद्धाओं के लिए समर्पित है, जिन्होंने भारतीय स्वाधीनता आंदोलन के लिए मुगलकाल में अपने अनुपम बलिदान दिए। निश्चित रूप से अपने उन बलिदानियों को किसी एक ग्रंथ में समाविष्ट नहीं किया जा सकता, यह भी नहीं कहा जा सकता कि उनकी संख्या कितनी रही होगी ? कितने लोगों ने अपने बलिदान […]
प्रस्तावना : नेहरू बोले : मुसलमान तो मैं भी हूं … हम सभी जानते हैं कि पंडित जवाहरलाल नेहरू स्वाधीनता के पश्चात देश के पहले प्रधानमंत्री बने थे। उन्हें देश की स्वाधीनता के पश्चात लोगों की प्राण रक्षा की कोई चिंता नहीं थी। उन्हें प्रधानमंत्री पद पाने की चिंता थी। जिसके चलते उस समय लाखों […]
शान निराली मेरे देश की कितने वीर सपूत हुए।
तर्ज -देहाती टेक: अरे शान निराली मेरे देश की कितने वीर सपूत हुए। दे देकर बलिदान चले गए, इतिहासों में अमर हुए।। अरे राणा प्रताप ,शिवा, शेखर का नाम हमें मिलता प्यारे, देश – धर्म के रहे पुजारी, किए खून के थे गारे। केसरिया की शान के कारण कितने ही दुश्मन मारे, बलिदान हो गए […]
हमारी राष्ट्रभाषा हिंदी और देश के राजनीतिज्ञ
विदेशी भाषा ‘अंग्रेजी’ हमारी शिक्षा पद्घति का आधार बनी बैठी है। जो हमारी दासता रूपी मानसिकता की प्रतीक है। यदि राष्ट्रभाषा हिंदी को प्रारंभ से ही फलने फूलने का अवसर दिया जाता तो आज भारत में ये भाषाई दंगे कदापि न हो रहे होते। वास्तव में क्षेत्रवाद और भाषावाद को हमारे नेतागण निहित स्वार्थ में […]
मेरा भारत कितना महान है? तनिक इस पर विचार कीजिए- ‘झुकता सारा विश्व था अपने भारतवर्ष को। ज्ञान प्राप्ति के लिए था पुकारता भारतवर्ष को ।। उसे शांति मिलती थी सदा हिंद की आगोश में। किंचित नैराश्य भाव था नहीं जिसके शब्दकोश में।।’ भारत के इतिहास के साथ छेड़छाड़ करने का कार्य कांग्रेस और कम्युनिस्ट […]
कुम्भलगढ़ का दुर्ग भारत के गौरवशाली इतिहास को अपने अंक में समाहित करने वाले महान् किलों में से एक है। इसका गौरवशाली इतिहास भारत के स्वर्णिम इतिहास एक उज्ज्वल पृष्ठ है। विदेशी तुर्क आक्रमणकारियों से भारत की स्वाधीनता के लिए संघर्ष करने की कहानी की साक्षी देता यह किला राजस्थान के राजसमंद जिले में स्थित […]
भारत ने धर्मनिरपेक्षता की राह पकड़ कर आत्मघाती निर्णय लिया था। धर्मनिरपेक्षता की इसी मूर्खतापूर्ण अवधारणा को पड़कर भारत में भगवा आतंकवाद की भी परिकल्पना की गई। यह नाम उन राष्ट्रवादियों को दिया गया जो देश विरोधियों का किसी न किसी प्रकार सामना कर रहे थे या उनकी देश विरोधी मानसिकता और कार्यशैली का कहीं ना […]