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संपादकीय

क्या है महिला सशक्तिकरण?

राकेश कुमार आर्य महिला सशक्तिकरण की बात समाज में रह रहकर उठती रही है। महिला सशक्तिकरण का अर्थ कुछ इस प्रकार लगाया जाता है कि जैसे महिलाओं को किसी वर्ग विशेषकर पुरूष वर्ग का सामना करने के लिए सुदृढ किया जा रहा है। भारतीय समाज में प्राचीनकाल से ही नारी को पुरूष के समान अधिकार […]

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संपादकीय

ममता बनर्जी और नारी शक्ति

राकेश कुमार आर्य पश्चिमी बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बैनर्जी अपने ‘हठीले’ स्वभाव के कारण चर्चा में बनी रहती हैं। हठीले व्यक्ति के विषय में यह सर्वमान्य सत्य होता है कि वह विवेकहीन होता है, वह स्वार्थी होता है और अपने ‘स्वार्थ’ के सामने उसे और कुछ भी नहीं दिखता है। कहने के लिए वह स्वयं […]

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इतिहास के पन्नों से

भारत के 1235 वर्षीय स्वतंत्रता संग्राम का इतिहास भाग – 406 [हिंदवी स्वराज के संस्थापक शिवाजी और उनके उत्तराधिकारी पुस्तक से ..]

शिवाजी महाराज का शासन और व्यक्तित्व (अध्याय-04) 16 74 तक छत्रपति शिवाजी महाराज अपने लिए पर्याप्त क्षेत्र को जीत चुके थे। जिसके आधार पर वह अपने आप को राजा घोषित कर सकते थे और अब उन्होंने इसी दिशा में सोचना आरंभ भी कर दिया था। उधर मुगल सत्ता उन्हें राजा मानने को तैयार नहीं थी। […]

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आधुनिक बिहार के निर्माता और जननायक डॉ श्री कृष्ण सिंह

बिहार की धरती प्राचीन काल से ही विश्व समाज का बौद्धिक और राजनीतिक नेतृत्व करने में समर्थ रही है। भारत की सांस्कृतिक संपदा को समृद्ध करने में इस प्रांत का विशेष योगदान रहा है। इसके साथ ही साथ विश्व को राजनीतिक नेतृत्व के माध्यम से भारत के वसुधैव कुटुंबकम के शाश्वत संदेश को दूर-दूर तक […]

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हमारे क्रांतिकारी / महापुरुष

शास्त्री जी की जयंती पर विशेष : गोदी मीडिया, नेहरू ,शास्त्री और इंदिरा गांधी

नेहरू जी के समर्थक उनको ‘बेताज का बादशाह’ कहा करते थे। उनके समर्थक ‘गोदी मीडिया’ के पत्रकारों ने उन्हें इसी प्रकार स्थापित भी किया था। तब कहीं किसी ने यह नहीं कहा था कि ‘ बेताज का बादशाह ’ शब्द अपने आप में तानाशाही प्रवृत्ति को प्रकट करता है। जिसमें शासक की स्वेच्छाचारिता ,निरंकुशता और […]

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इतिहास के पन्नों से

इतिहास की पड़ताल पुस्तक से …. अर्जुन की चिता और जयद्रथ वध [अध्याय-4]

डॉ राकेश कुमार आर्य गतांक से आगे .. जयद्रथ वध के संबंध में हमारे समाज में कई प्रकार की भ्रांतियाँ बनी हुई हैं। इस संबंध में अज्ञानतावश लोगों का मानना है कि श्री कृष्ण ने दिन में ही अपनी माया से सूर्य को अस्त कर दिया था। जब अर्जुन जयद्रथ को मारने की प्रतिज्ञा पूर्ण […]

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ढाई हजार वर्ष पहले था भारत के इतिहास का अंधकार काल ?

भारत के इतिहास के बारे में जब हम पढ़ना आरंभ करते हैं तो भारत से द्वेष रखने वाले इतिहासकारों के द्वारा ऐसा आभास कराया जाता है कि जैसे पिछले 2000 वर्ष से पूर्व का भारत का सारा अतीत अंधकार का है। पढ़ने से कुछ ऐसा लगता है कि जैसे भारत के पास ऐसा कुछ भी […]

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विश्वगुरू के रूप में भारत

मेरे मानस के राम अध्याय- 57 : रामचंद्र जी का अयोध्या आगमन

श्री राम जी की आज्ञा पाकर हंसों से युक्त वह उत्तम पुष्पक विमान बड़ा शब्द करते हुए उड़कर आकाश में पहुंचा । उस समय उन्होंने लंका नगरी को बड़े ध्यान से देखा। तब रामचंद्र जी सीता जी से कहने लगे कि देखो! यह समर भूमि है। जहां पर असंख्य राक्षसों और वानरों का वध हुआ […]

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विश्वगुरू के रूप में भारत

मेरे मानस के राम अध्याय 56 श्री राम का अयोध्या के लिए प्रस्थान

रावण वध, विभीषण राज्याभिषेक और सीता जी की अग्नि परीक्षा के पश्चात जब वह रात्रि व्यतीत हुई और प्रात:काल हुआ तब शत्रु नाशक श्री राम सुखपूर्वक उठे। उस समय विभीषण हाथ जोड़ तथा ‘आपकी जय हो’ ऐसा कह कर बोले – आपके स्नान के लिए उत्तम अंगराग (उबटन) विविध प्रकार के वस्त्र और आभूषण तथा […]

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इतिहास के पन्नों से

भारत के 1235 वर्षीय स्वतंत्रता संग्राम का इतिहास भाग – 405 (हिंदवी स्वराज के संस्थापक शिवाजी और उनके उत्तराधिकारी पुस्तक से ..) *छत्रपति शिवाजी महाराज की नेतृत्व क्षमता, अध्याय – 3*

डॉ राकेश कुमार आर्य *कि* सी भी व्यक्ति का व्यक्तित्व उसके अपने निजी गुणों से ही नापा जाता है। जैसे गुणावगुण उसके भीतर होते हैं और उनमें से जिसका अधिक अनुपात होता है, वैसा ही उस व्यक्ति का व्यक्तित्व होता है। यदि कोई व्यक्ति अवगुणों से भरा हुआ है तो उसका व्यक्तित्व भी अवगुण से […]

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