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पुस्तक समीक्षा

भारत के शौर्य की गौरव गाथा ( मुगल काल के भूले बिसरे हिंदू योद्धा ) भाग 2

प्रस्तावना आज हम इतिहास के यात्रा पथ पर इतनी दूर निकल आए हैं कि अपना गौरवपूर्ण अतीत भी हमें अविश्वसनीय सा लगता है। बड़े शोधपूर्ण परिश्रम के पश्चात हमारे अनेक विद्वानों ने इन बातों को स्पष्ट किया है कि किस क्षेत्र का भौगोलिक नाम हमारे किस महापुरुष, राजा , सम्राट या ऋषि के नाम पर […]

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पुस्तक समीक्षा

भारत के शौर्य की गौरव गाथा ( मुगल काल के भूले बिसरे हिंदू योद्धा )

प्रस्तावना प्रस्तुत पुस्तक उन योद्धाओं के लिए समर्पित है, जिन्होंने भारतीय स्वाधीनता आंदोलन के लिए मुगलकाल में अपने अनुपम बलिदान दिए। निश्चित रूप से अपने उन बलिदानियों को किसी एक ग्रंथ में समाविष्ट नहीं किया जा सकता, यह भी नहीं कहा जा सकता कि उनकी संख्या कितनी रही होगी ? कितने लोगों ने अपने बलिदान […]

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संपादकीय

इतिहास का विकृतिकरण और नेहरू ( डिस्कवरी ऑफ इंडिया की डिस्कवरी )

प्रस्तावना : नेहरू बोले : मुसलमान तो मैं भी हूं … हम सभी जानते हैं कि पंडित जवाहरलाल नेहरू स्वाधीनता के पश्चात देश के पहले प्रधानमंत्री बने थे। उन्हें देश की स्वाधीनता के पश्चात लोगों की प्राण रक्षा की कोई चिंता नहीं थी। उन्हें प्रधानमंत्री पद पाने की चिंता थी। जिसके चलते उस समय लाखों […]

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कविता

शान निराली मेरे देश की कितने वीर सपूत हुए।

तर्ज -देहाती टेक: अरे शान निराली मेरे देश की कितने वीर सपूत हुए। दे देकर बलिदान चले गए, इतिहासों में अमर हुए।। अरे राणा प्रताप ,शिवा, शेखर का नाम हमें मिलता प्यारे, देश – धर्म के रहे पुजारी, किए खून के थे गारे। केसरिया की शान के कारण कितने ही दुश्मन मारे, बलिदान हो गए […]

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भाषा

हमारी राष्ट्रभाषा हिंदी और देश के राजनीतिज्ञ

विदेशी भाषा ‘अंग्रेजी’ हमारी शिक्षा पद्घति का आधार बनी बैठी है। जो हमारी दासता रूपी मानसिकता की प्रतीक है। यदि राष्ट्रभाषा हिंदी को प्रारंभ से ही फलने फूलने का अवसर दिया जाता तो आज भारत में ये भाषाई दंगे कदापि न हो रहे होते। वास्तव में क्षेत्रवाद और भाषावाद को हमारे नेतागण निहित स्वार्थ में […]

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संपूर्ण भारत कभी गुलाम नही रहा

भारत के 1235 वर्षीय स्वतंत्रता संग्राम का इतिहास भाग – 408[हिंदवी स्वराज के संस्थापक शिवाजी और उनके उत्तराधिकारी पुस्तक से ….] इतिहास, इतिहासकार और छत्रपति शिवाजी – अध्याय- 6

मेरा भारत कितना महान है? तनिक इस पर विचार कीजिए- ‘झुकता सारा विश्व था अपने भारतवर्ष को। ज्ञान प्राप्ति के लिए था पुकारता भारतवर्ष को ।। उसे शांति मिलती थी सदा हिंद की आगोश में। किंचित नैराश्य भाव था नहीं जिसके शब्दकोश में।।’ भारत के इतिहास के साथ छेड़छाड़ करने का कार्य कांग्रेस और कम्युनिस्ट […]

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इतिहास के पन्नों से

इतिहास की पड़ताल पुस्तक से -अजेय रहा है कुंभलगढ़ का किला (अध्याय – 6)

कुम्भलगढ़ का दुर्ग भारत के गौरवशाली इतिहास को अपने अंक में समाहित करने वाले महान् किलों में से एक है। इसका गौरवशाली इतिहास भारत के स्वर्णिम इतिहास एक उज्ज्वल पृष्ठ है। विदेशी तुर्क आक्रमणकारियों से भारत की स्वाधीनता के लिए संघर्ष करने की कहानी की साक्षी देता यह किला राजस्थान के राजसमंद जिले में स्थित […]

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विशेष संपादकीय संपादकीय

भारत में राष्ट्र की अवधारणा और धर्मनिरपेक्षता का सिद्धांत

भारत ने धर्मनिरपेक्षता की राह पकड़ कर आत्मघाती निर्णय लिया था। धर्मनिरपेक्षता की इसी मूर्खतापूर्ण अवधारणा को पड़कर भारत में भगवा आतंकवाद की भी परिकल्पना की गई। यह नाम उन राष्ट्रवादियों को दिया गया जो देश विरोधियों का किसी न किसी प्रकार सामना कर रहे थे या उनकी देश विरोधी मानसिकता और कार्यशैली का कहीं ना […]

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हमारे क्रांतिकारी / महापुरुष

ऋषि वाल्मीकि जी को उन की जयंती पर शत-शत नमन

आज हम वाल्मीकि जी की जयंती मना रहे हैं । जिन्हें संसार का आदि कवि कहा जाता है। इन्होंने रामायण जैसा पवित्र ग्रंथ लिखकर मानवता की अपूर्व सेवा की। कालांतर में जब हमारे देश में छुआछूत की बीमारी बढ़ी तो एक वर्ग विशेष को हमने अछूत मान लिया। यद्यपि उसे वर्ग के लोग भारतीय धर्म […]

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इतिहास के पन्नों से

क्या श्री राम ने दशहरा के दिन रावण को मारा था ?

हमारे यहां दीपावली का पर्व सृष्टि के प्रारंभ से ही मनाया जाता रहा है। इस पर्व का विशेष महत्व है। दीपों का यह प्रकाश पर्व हमारे अंत: करण में व्याप्त अज्ञान अंधकार को मिटाकर ज्ञान का प्रकाश करने का प्रतीक पर्व है। हमारे यहां पर प्रत्येक सद्गृहस्थ के लिए आवश्यक था कि घर में अग्नि […]

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