जब भारत स्वतन्त्र होने की प्रक्रिया से निकल रहा था तभी भारत के लिए संविधान निर्माण हेतु संविधान सभा का गठन हो गया था। 9 दिसम्बर 1946 से 26 नवम्बर 1949 तक 2 साल 11 महीने 18 दिन में बनकर यह संविधान तैयार हुआ था। हमारे संविधान निर्माताओं के सामने देश में द्विराष्ट्रवाद के सिद्घान्त […]
Author: डॉ॰ राकेश कुमार आर्य
मुख्य संपादक, उगता भारत
लेखक सुप्रसिद्ध इतिहासकार और भारत को समझो अभियान समिति के राष्ट्रीय प्रणेता है
राम अयोध्या कब लौटे?
हमारे यहां दीपावली का पर्व सृष्टि के प्रारंभ से ही मनाया जाता रहा है। इस पर्व का विशेष महत्व है। दीपों का यह प्रकाश पर्व हमारे अंत: करण में व्याप्त अज्ञान अंधकार को मिटाकर ज्ञान का प्रकाश करने का प्रतीक पर्व है। हमारे यहां पर प्रत्येक सद्गृहस्थ के लिए आवश्यक था कि घर में अग्नि […]
राम अयोध्या कब लौटे?
हमारे यहां दीपावली का पर्व सृष्टि के प्रारंभ से ही मनाया जाता रहा है। इस पर्व का विशेष महत्व है। दीपों का यह प्रकाश पर्व हमारे अंत: करण में व्याप्त अज्ञान अंधकार को मिटाकर ज्ञान का प्रकाश करने का प्रतीक पर्व है। हमारे यहां पर प्रत्येक सद्गृहस्थ के लिए आवश्यक था कि घर में अग्नि […]
भारत में अल्पसंख्यकों की समस्या
हमारे देश में अल्पसंख्यक शब्द का बार बार प्रयोग होता है विशेषत: चुनावी मौसम में तो कितने ही नेता वर्षाती मेढक की भांति अल्पसंख्यक अल्पसंख्यक टर्रा टर्राकर चुनावी वैतरणी से पार उतरने का प्रयास करते हैं। भारत में यह समस्या स्वतंत्रता के पश्चात अधिक विकट हुई है। भारत में इन अल्पसंख्यकों की समस्या के कारण […]
भारत में अल्पसंख्यकों की समस्या
हमारे देश में अल्पसंख्यक शब्द का बार बार प्रयोग होता है विशेषत: चुनावी मौसम में तो कितने ही नेता वर्षाती मेढक की भांति अल्पसंख्यक अल्पसंख्यक टर्रा टर्राकर चुनावी वैतरणी से पार उतरने का प्रयास करते हैं। भारत में यह समस्या स्वतंत्रता के पश्चात अधिक विकट हुई है। भारत में इन अल्पसंख्यकों की समस्या के कारण […]
इतिहास के साथ क्रूर उपहास
ईसाईयत और इस्लाम विश्व इतिहास को बीते हुए पांच सात हजार वर्ष में समेटकर चलते हैं। इसका कारण ये है कि ईसाईयत और इस्लाम को अपनी जड़ों के स्रोत इतने समय से पूर्व के दिखाई ही नही देते। इसलिए इन विचारधाराओं ने विश्व में सैमेटिक (ईसाईयत और इस्लाम जैसे मजहब) और नॉन सैमेटिक (वैदिक धर्म […]
यह केवल भारत के राजनीतिज्ञों का राजनीतिक चिंतन हो सकता है कि इस देश में गरीबी भी जाति देखकर आती है, इसलिए यहां जातिगत आरक्षण दिया जाता है। इसीलिए भारत में एक गरीब केवल एक व्यक्ति नही होता है अपितु वह एक जाति विशेष का व्यक्ति होता है। कानून उससे जाति नही पूछता लेकिन भारत […]
तलाक : एक सामाजिक विकृति
खुलेपन और आधुनिकता के नाम पर भारत में नित्य प्रति कुछ ऐसी घटनायें घटित हो रही हैं कि जो भारतीयता के लिए ही नही अपितु वैश्विक समाज के लिए भी संकटप्रद सिद्घ होंगी। खुलेपन और आधुनिकता को मानवाधिकारों के साथ कुछ इस प्रकार जोड़कर दिखाने का प्रयास किया जाता है कि उनसे मानवाधिकारों का मानो […]
शराबी लोकतंत्र की खराबी का राज
पुरोहित कपिल दो सोने की मोहरें पाने के लिए राजा को आशीर्वाद देने गये। राजा ने कहा-”जितना चाहिए मांग लो।” कपिल के मन में लोभ आ गया। वे बोले-”राज सोचकर आता हूं।” कपिल सोचने लगे-दो सोने की मोहरों से क्या होगा? चार मांग लूं? अरे, जब राजा ही मनमानी इच्छा पूरी कर रहा है, तो […]
राष्ट्र भाषा हिंदी की दुर्दशा
आज हम स्वतंत्र देश के स्वतंत्र नागरिक हैं। हमारी राष्ट्र भाषा हिंदी है, इस भाषा को बोलने वाले विश्व में सबसे अधिक लोग हैं। अंग्रेजी को ब्रिटेन के लगभग दो करोड़ लोग मातृ भाषा के रूप में प्रयोग करते हैं, जबकि हिंदी को भारत वर्ष में उत्तर प्रदेश, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, दिल्ली, बिहार, मध्य […]