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संपादकीय

भारतीय साम्यवाद और कम्युनिस्ट विचार धारा में मौलिक अंतर है

पिछले अंक का शेष … सारे संसार को एक विश्व संस्था के रूप में शासित करके चक्रवर्ती राज्य स्थापित करने की भावना में इसके लिए कोई स्थान नही है। यहां व्यष्टि से समष्टिï की ओर दृष्टिïपात करना है। समष्टिï में प्राणिमात्र का भला करना है। अपने विचार में बाधक लोगों को सही रास्ते पर लाना […]

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संपादकीय

मोहन की बंसरी पर मोदी की तान

नरेन्द्र मोदी के समर्थन में जिस प्रकार भाजपा और संघ उतरकर मैदान में आये हैं उससे मोदी की प्रधानमंत्री पद की दावेदारी मजबूत हुई है। आर. एस. एस. के सरसंघचालक मोहन भागवत ने लातूर में स्पष्ट कह दिया है कि एक हिन्दुत्ववादी व्यक्ति प्रधानमंत्री क्यों नही हो सकता? बात सही भी है क्योंकि हिन्दुत्व एक […]

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संपादकीय

कांग्रेस और जद (यू) की बिछती शतरंजी चालों के चलते लंगर कसे मोदी को देखकर भागते नितीश

नई दिल्ली। नितीश राजग क्यों छोडऩा चाहते हैं? यह बात आज की तारीख में बड़ी अहम हो गयी है कि इस प्रश्न का उत्तर खोजा जाये। ऊपरी तौर पर वह नरेन्द्र मोदी से खिन्न और उनके जातीय विरोधी नजर आते हैं। लेकिन भीतर ही भीतर उनके दिल में भी एक नई महत्वाकांक्षा जन्म ले चुकी […]

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संपादकीय

सर्वधर्म-समभाव का भ्रम

मजहबों को धर्म मानने वाले भारत पर्याप्त में हैं। उनमें इतना साहस नहीं है कि वे मजहब को सम्प्रदाय मान सकें। इसलिए (सर्वधर्म-समभाव) की एक बे सिर पैर की परिकल्पना, भारत में आविष्कृत कर ली गयी है। इस अवधारणा के पीछे बड़ा गम्भीर षडय़न्त्र कार्य कर रहा है। अत: साम्प्रदायिकता की जिस विषबेल को समाप्त […]

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संपादकीय

कम्युनिस्ट अपराध और उपकार के अंतर को समझें

साम्यवाद की विचारधारा क्या भारतीय संस्कृति के अनुकूल है? या साम्यवाद का भारतीय संस्कृति, धर्म और इतिहास से भी कोई संबंध है? यदि इन जैसे प्रश्नों के उत्तर खोजे जाऐं तो ज्ञात होता है कि वास्तविक साम्यवाद भारतीय संस्कृति में ही है। संसार का कम्युनिस्ट समाज भारतीय साम्यवाद को समझ नहीं पाया है और ना […]

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संपादकीय

कलाम के इस कलाम को सलाम

–राकेश कुमार आर्यनई दिल्ली। पूर्व राष्ट्रपति ए.पी.जे. अब्दुल कलाम एक अप्रतिम प्रतिभा के धनी और नितांत मानवतावादी विचारों के देशभक्त व्यक्ति हैं। सोनिया गांधी को प्रधानमंत्री न बनने की सलाह उन्होंने बड़े ही विनम्र शब्दों में दी थी, ऐसी शालीनता उनमें है कि सोनिया को अपने द्वारा दी गयी सलाह की डींग उन्होंने न तो […]

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जोशी बड़े हैं या भाजपा की भूलें

भाजपा का अन्तर्कलह अपने उफान पर है। पार्टी के दिग्गजों का अहंकार पार्टी में धीरे-धीरे एक फोड़ा बनता जा रहा है। नरेन्दमोदी और संजय जोशी की टकरार में यह फोड़ा पकता हुआ नजर आया। आडवाणी जैसे राजनीति के चतुर खिलाड़ी ने समझ लिया कि फोड़ा पक रहा है और इसकी मवाद में चीरा लगते ही […]

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संपादकीय

जानिये अब तक के प्रधानमंत्रियों के बारे में

स्वतंत्रता के लम्बे और रोमांचकारी क्रांतिकारी आंदोलन के परिणामस्वरूप देश 15 अगस्त 1947 को पराधीनता की बेडिय़ों को काटकर स्वाधीन हुआ। लार्ड माउंटबेटन ने जापान की सेनाओं के ब्रिटिश सेनाओं के सामने 15 अगस्त 1945 को (हिरोशिमा और नागासाकी की प्राणघाती बमवर्षा के पश्चात) आत्मसमर्पण की स्मृति में, इस घटना की दूसरी वर्षगांठ 15 अगस्त […]

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संपादकीय

बाबा तुम संघर्ष करो-हम तुम्हारे साथ हैं

बाबा रामदेव ने 2011 की जून में हुए अपने अपमान को इस बार बड़े सही ढंग से धो डाला। देश विदेश की मीडिया ने उनके और अन्ना हजारे के एक दिन के सांकेतिक अनशन को अपना भरपूर समर्थन दिया। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष नितिन गडकरी ने उन्हें समर्थन देकर अच्छा ही किया है। यह सच […]

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संपादकीय

हिन्दूवादी राष्ट्रवाद बनाम कांग्रेसी राष्ट्रवाद

कांग्रेस के मणिशंकर अय्यर का एक लेख मैं पढ़ रहा था। जिसमें उन्होंने आरएसएस और अन्य हिंदूवादी संगठनों की इस चिंता को निरर्थक सिद्घ करने का प्रयास किया है कि भारत में मुस्लिमों की जनसंख्या जिस तेजी से बढ़ रही है उससे शीघ्र ही भारत में मुस्लिम राज्य स्थापित हो जाएगा। लेखक का मंतव्य है […]

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