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संपादकीय

जानिये अब तक के प्रधानमंत्रियों के बारे में

स्वतंत्रता के लम्बे और रोमांचकारी क्रांतिकारी आंदोलन के परिणामस्वरूप देश 15 अगस्त 1947 को पराधीनता की बेडिय़ों को काटकर स्वाधीन हुआ। लार्ड माउंटबेटन ने जापान की सेनाओं के ब्रिटिश सेनाओं के सामने 15 अगस्त 1945 को (हिरोशिमा और नागासाकी की प्राणघाती बमवर्षा के पश्चात) आत्मसमर्पण की स्मृति में, इस घटना की दूसरी वर्षगांठ 15 अगस्त […]

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संपादकीय

बाबा तुम संघर्ष करो-हम तुम्हारे साथ हैं

बाबा रामदेव ने 2011 की जून में हुए अपने अपमान को इस बार बड़े सही ढंग से धो डाला। देश विदेश की मीडिया ने उनके और अन्ना हजारे के एक दिन के सांकेतिक अनशन को अपना भरपूर समर्थन दिया। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष नितिन गडकरी ने उन्हें समर्थन देकर अच्छा ही किया है। यह सच […]

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संपादकीय

हिन्दूवादी राष्ट्रवाद बनाम कांग्रेसी राष्ट्रवाद

कांग्रेस के मणिशंकर अय्यर का एक लेख मैं पढ़ रहा था। जिसमें उन्होंने आरएसएस और अन्य हिंदूवादी संगठनों की इस चिंता को निरर्थक सिद्घ करने का प्रयास किया है कि भारत में मुस्लिमों की जनसंख्या जिस तेजी से बढ़ रही है उससे शीघ्र ही भारत में मुस्लिम राज्य स्थापित हो जाएगा। लेखक का मंतव्य है […]

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संपादकीय

देश की राजनीति के कुछ चिंतनीय पहलू

देश में संसदीय शासन प्रणाली उपयुक्त है या फिर राष्ट्रपति शासन प्रणाली उपयुक्त है-ऐसी बहस लंबे समय से चलती रही है। कहा जाता है कि श्रीमति इंदिरा गांधी ने अपनी दूसरी पारी के शासन काल में देश में राष्ट्रपति शासन प्रणाली को लागू करने का प्रयास किया था, लेकिन वह असफल रही थीं। क्योंकि उससे […]

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भाजपा : नौटंकी अब बंद होनी चाहिए

भाजपा एक उम्मीद के साथ भारतीय राजनीतिक गगन मंडल पर उभरी। स्वतंत्रता के बाद से कांग्रेस के खिलाफ किसी भी सक्षम विपक्ष की जो कमी अनुभव  की जा रही थी उसे भाजपा ने राष्ट्रीय स्तर पर दूर किया। समकालीन इतिहास में भाजपा की यह सबसे बड़ी उपलब्धि थी। भाजपा ने एक ऐसे सर्व स्वीकृत चेहरे को […]

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संपादकीय

राष्ट्रपति चुनाव – 2012 प्रणव मुखर्जी का नाम अब भी सबसे आगे

देश के अगले राष्ट्रपति का चुनाव होने में अब दो माह से भी कम का समय रह गया है। सभी राजनीति दल अपनी अपनी गोटियां फिट करने में चुपचाप भीतर ही भीतर शतरंजी चाल चल रहे हैं। जयललिता कुछ अन्य प्रभावी नेताओं को लेकर पूर्व लोकसभाध्यक्ष रहे पी.ए. संगमा को आगे बढ़ाना चाहती हैं, तो ममता […]

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स्वतंत्रता राष्ट्रीय नमक हरामी के लिए नहीं है

छद्म धर्म निरपेक्षता से लकवाग्रस्त कांग्रेस और उसके कुछ अन्य समान विचारधारा वाले दलों का मानना है कि राजनीति (वास्तव में राष्टï्रनीति) से भला भगवाधारी संतों का क्या संबंध? राजनीति को यदि हम राष्टï्रनीति के रूप में लें और राजनीति को भी व्यक्ति का सबसे बड़ा धर्म स्वीकार कर लिया जाए तो भी ऐसा संभव […]

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संपादकीय

नोबेल पुरस्कार की कहानी

आज की दुनिया में नोबेल पुरस्कार सबसे बड़ा पुरस्कार है। इसे प्राप्त करना हर किसी के लिए संभव नहीं है। बड़े भागीरथ प्रयासों से ही किसी सौभाग्यशाली को यह पुरस्कार मिलता है। इस पुरस्कार को पाने की जितनी इच्छा लोगों में रहती है उतनी ही इच्छा इसके विषय में ये जानकारी लेने की होती है […]

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संपादकीय

भारत के नोबेल पुरस्कार विजेता : गुरूदेव रवीन्द्र नाथ टैगोर

भारत की पावन धरती पर कितनी ही महान विभूतियों ने जन्म लिया है, कितने ही विदेशी महापुरूषों ने इस पावन धरती को अपनी कर्म स्थली बनाया है। प्राचीन काल से ही भारत की पावन धरा ने मातृवत मानवता को अपने पुनीत पयोधर से पावन पयपान कराकर उसे सत्कृत्यों के लिए प्रेरित किया और संसार को […]

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संपादकीय

भूअधिग्रहण पर संसदीय समिति की सिफारिशें

भूमि अधिग्रहण पर संसदीय समिति ने सिफारिश की है कि किसी भी प्रकार की कृषि योग्य भूमि चाहे वह सिंचित हो या असिंचित के अधिग्रहण पर सरकार पूरी तरह रोक लगाये। संसदीय समिति का मानना है कि जब अमेरिका, इंग्लैंड, जापान, कनाडा जैसे विकसित राष्टï्रों में सरकारें निजी क्षेत्र के लिए जमीन अधिग्रहीत नहीं कर […]

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