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संपूर्ण भारत कभी गुलाम नही रहा

हिन्दू ध्वजवाहक कश्मीर के वो गौरवशाली हिन्दू शासक

कश्मीर के गौरवशाली हिंदू इतिहास के विषय में हमने पिछले लेखों में सूक्ष्म सा प्रकाश डाला था। अब पुन: कश्मीर की उस केसर को इतिहास के गौरव पृष्ठों पर खोजने का प्रयास करते हैं, जिसकी सुगंध ने इस स्वर्गसम पवित्र पंडितों की पावन भूमि को भारतीय इतिहास के लिए श्लाघनीय कार्य करने के लिए प्रेरित और […]

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संपादकीय

भारतीय-संस्कृति में समाज, राष्ट्र और मानवाधिकार

राकेश कुमार आर्य अमेरिका ब्रिटेन और फ्रांस जैसे विकसित राष्ट्रों सहित विदेशों में भारतीय संस्कृति के प्रति लोगों का आकर्षण अप्रत्याशित रूप से बढ़ रहा है। बताया जा रहा है कि अमेरिका के समाज में वहां की कुल आबादी का 24 प्रतिशत भाग भारत और भारत की संस्कृति राम और कृष्ण के प्रति श्रद्धा रखने […]

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संपूर्ण भारत कभी गुलाम नही रहा

‘काश! इतिहास हमारे अवगुणों में भी ‘इतिहास’ खोजता’

मनुष्य के वैभव काल में उसके ‘सदगुण’ उसकी ढाल बनते हैं, जो हर प्रकार की आपदा से उसकी रक्षा करते हैं। परंतु पराभव काल में वही सदगुण उस व्यक्ति की विकृति  बन जाते हैं। स्वातंत्रय वीर सावरकर ने ‘सद्गुण विकृति’ की इस रहस्यमयी पहेली को भारतीय इतिहास के संदर्भ में बड़ी सावधानी और विवेकशीलता से स्पष्ट किया है। दीये की आवश्यकता […]

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संपादकीय

क्या औचित्य है इन समाचारों का

मैं यह लेख श्री भारत भूषण व श्री संजीव सिन्हा और उनकी ‘प्रवक्ता’ की पूरी टीम के पुरूषार्थ और उद्यम को समर्पित कर रहा हूं जिन्होंने अपने अथक प्रयास से ‘प्रवक्ता’ को देश विदेश में सम्मानपूर्ण स्थान दिलाया है। मैं उनका इसलिए भी आभार व्यक्त करता हूं कि उन्होंने राष्ट्रवादी चिंतन धारा को वरीयता दी और राष्ट्रवादी विषयों एवं […]

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संपूर्ण भारत कभी गुलाम नही रहा

हमें भारतीयों की दिग्विजयों से परिचित नही कराया जाता

भारतीय इतिहास को अत्यंत दुर्बल और कायर हिंदू जाति का इतिहास सिद्घ करने के लिए तथा यहां 1235 वर्ष तक चले स्वतंत्रता संघर्ष को उपेक्षित करने के लिए हमें भारतीय शासकों के विश्व विजयी अभियानों से अथवा उत्सवों से परिचित नही कराया जाता है। देश की महानता के मापदण्ड जब आप किसी जाति के इतिहास […]

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संपादकीय

हिन्दी कविता में जन्मभूमि-वंदना

हमारे कवियों ने मां भारती के प्रति हर देशवासी को जागरूक बनाये रखने हेतु समय-समय पर देशभक्ति और जन्मभूमि के प्रति समर्पण का भाव भरने हेतु प्रशंसनीय कार्य किया है। उनके कार्यों की वंदना यह लेखनी यूं कर सकती है :-धन्य उनकी लेखनी और धन्य उनके कार्य,हमको सदा बताते रहे तुम हो श्रेष्ठ हे! आर्य।जन्मभूमि […]

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संपूर्ण भारत कभी गुलाम नही रहा

आदि शंकराचार्य और मंदिर संस्कृति ने पढ़ाया एकता का पाठ

छोटे-छोटे राज्य व्यक्ति की सोच को संकीर्ण बनाते हैं। व्यक्ति अपने राज्य के लोगों को ही अपना मानता है, और बाहरी लोगों ‘परदेशी’ मानता है। व्यक्ति के व्यक्तित्व के विकास के लिए इसीलिए संपूर्ण भूमंडल को ‘एक देश’ या एक परिवार बनाने हेतु आर्यावर्त्तीय राजाओं ने चक्रवर्ती साम्राज्य स्थापित करने का आदर्श लक्षित किया। व्यक्ति […]

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संपादकीय

राहुल और लोकतंत्र की मर्यादाएं

राहुल गांधी ने सजायाफ्ता सांसदों और विधायकों को बचाने के लिए लाये गये अध्यादेश पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए अचानक मीडिया के सामने प्रस्तुत होकर टिप्पणी की है कि यह अध्यादेश ‘बकवास’ है और इसे फाड़कर फेंक दें। यह अच्छी बात है कि राजनीति को ‘बकवास’ होने से बचाने के लिए कांग्रेस के युवा […]

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संपादकीय

जिन्ना का जिन्न बार-बार मत निकालो

आशा की जा रही है कि सरकार और सुरक्षाबलों ने मुजफ्फरनगर दंगों पर नियंत्रण कर लिया है, पर अभी मन में भरे घृणित रंगों पर नियंत्रण किया जाना शेष है। दंगों और इन ‘घृणित रंगों’ का चोली दामन का साथ है। भारत में पंथ निरपेक्ष शासन की स्थापना करने का उद्देश्य भी यही था कि […]

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संपूर्ण भारत कभी गुलाम नही रहा

धर्मचिन्तन से उद्भूत राष्ट्रचिंतन सदा प्रबल रहा

राकेश कुमार आर्य वेद का पुरूष सूक्त बड़ा ही आनंददायक है। वहां क्षर पुरूष प्रकृति जो कि नाशवान है, अक्षर पुरूष-जीव, जिसकी जीवन लीला प्रकृति पर निर्भर है, और जो इसका भोक्ता है, और अव्यय पुरूष पुरूषोत्तम-ईश्वर के परस्पर संबंध का मनोहारी वर्णन है। इसी वर्णन में कहीं राष्ट्र का ‘बीज तत्व’ छिपा है।वेद का […]

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