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संपादकीय

आर्यों का आदि देश आर्यवर्त (भारत) है

राकेश कुमार आर्य एक षडय़ंत्र के अंतर्गत भारत को नष्ट करने के लिए जो मिथ्या और भ्रामक कथा-कहानियां गढ़ी गयी है उनमें सबसे प्रमुख है-आर्यों का विदेशी होना। प्रश्न है कि ऐसी कहानियां गढ़ी क्यों गयीं? इसका उत्तर ये है कि भारतीयों के प्राचीन धर्म और इतिहास को मिटाकर भारत में ईसाइयत का प्रबलता से […]

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संपूर्ण भारत कभी गुलाम नही रहा

बुन्देलखण्ड की वीरभूमि के सपूत आल्हा-ऊदल

भारत की पवित्र भूमि के लिए बड़ा सुंदर गीत गाया जाता है :- मेरे देश की धरती सोना उगले.. उगले हीरे मोती…मेरे देश की धरती………….. मैं समझता हूं भारत मां के लिए जिस कवि के हृदय में भी ये भाव मचले होंगे और उन्होंने जब कुछ शब्दों का रूप लिया होगा तो वह कवि भी […]

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संपूर्ण भारत कभी गुलाम नही रहा

इतिहास नायकों के साथ ‘क्रूर उपहास’ होता आ रहा है

भारत में गौरी की जीत और पृथ्वीराज चौहान की हार को वर्तमान प्रचलित इतिहास में एक अलग अध्याय के नाम से निरूपित किया जाता है। जिसका नाम दिया जाता है-राजपूतों की पराजय के कारण। राजपूतों की पराजय के लिए मौहम्मद गौरी के चरित्र में चार चांद लग गये हैं, और जो व्यक्ति नितांत एक लुटेरा […]

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संपादकीय

…और नेहरू बोले-‘जला डालो इन्हें’

शहरों में हम जहां एक ओर मानवता के संपूर्ण विकास का सपना संजोते हैं और उसे धरती पर उतारने का प्रयास करते हैं, वहीं मानव समाज को एक पाशविक समाज की भांति रहने के लिए अभिशप्त हुआ भी देखते हैं। इसे मानवता की घोर विडंबना ही कहा जाएगा कि एक ओर जहां बहुमंजिली इमारतें हमारे […]

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संपादकीय

…और अंतिम क्षणों में गोडसे ने गांधी से कहा था-‘नमस्ते, गांधी जी’

राकेश कुमार आर्य 30 जनवरी को महात्मा गांधी की पुण्यतिथि मनाई गयी है। इस अवसर पर कुछ विचारणीय बातें हैं, जिन्हें इतिहास से ओझल करने का प्रयास किया गया है। उदयवीर ‘विराज’ की पुस्तक ‘तीन गांधी हत्याएं’ इस विषय में हमारे सामने बहुत कुछ स्पष्ट करती है। उक्त पुस्तक के अध्ययन से कई तथ्य स्पष्ट […]

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संपादकीय

मेरठ, महर्षि दयानंद और मोदी

मेरठ का भारत के इतिहास में महत्वपूर्ण स्थान रहा है। यह क्षेत्र कुरूवंशी राजधानी हस्तिनापुर से ध्वंसावशेषों के पास ही बसा है। महाभारत की साक्षी है कि जब अर्जुन और कृष्णजी ने खाण्डव वन का दहन किया तो उन्होंने मय नामक शिल्पकार से मित्रता कर युधिष्ठिर के राजभवनों का इंद्रप्रस्थ में निर्माण कराया। जिनके अवशेष […]

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संपूर्ण भारत कभी गुलाम नही रहा

लेखनी को बेचने वालों ने बेच दिया देश का सम्मान

मौहम्मद गौरी के हाथों पृथ्वीराज चौहान की पराजय का उल्लेख करते हुए डा. शाहिद अहमद ने अपनी पुस्तक ‘भारत में तुर्क एवं गुलाम वंश का इतिहास’ नामक पुस्तक में कई इतिहास लेखकों के उद्घरण प्रस्तुत किये हैं। इन इतिहास लेखकों के उक्त उद्घरणों को हम यहां यथावत दे रहे हैं।जो ये सिद्घ करते हैं कि […]

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संपादकीय

‘आप है अराजकतावादियों की बाप’

राजनीति  के लिए अराजकतावाद का शब्द सर्वप्रथम क्रोपटकिन नामक राजनीतिक मनीषी ने दिया। क्रोपटकिन ने इस शब्द को यूं परिभाषित किया-”अराजकवाद जीवन तथा आचरण के उस सिद्घांत और वाद को कहते हैं  जिसके अधीन समाज की कल्पना राज्यसंस्था से विरहित रूप में की जाती है। इस समाज में सामंजस्य उत्पन्न करने के लिए किसी कानून […]

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संपूर्ण भारत कभी गुलाम नही रहा

तराइन का दूसरा युद्घ और चौहान, जयचंद व गौरी का अंत

राकेश कुमार आर्यतराइन का युद्घक्षेत्र पुन: दो सेनाओं की भयंकर भिड़ंत का साक्षी बन रहा था। भारत के भविष्य और भाग्य के लिए यह युद्घ बहुत ही महत्वपूर्ण होने जा रहा था। भारत अपने महान पराक्रमी सम्राट के नेतृत्व में धर्मयुद्घ कर रहा था, जबकि विदेशी आततायी सेना अपने सुल्तान के नेतृत्व में भारत की […]

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संपादकीय

संस्थागत भ्रष्टाचार और गाय

आज हम लोकतांत्रिक पूंजीवाद की शोषणात्मक व्यवस्था में रह रहे हैं। स्वतंत्रता के पश्चात इस व्यवस्था में एक ऐसा शोषक वर्ग बड़ी तेजी से उभरा है जिसने पूरी अर्थव्यवस्था पर अपना नियंत्रण स्थापित कर लिया है। पहले भारी उद्योग स्थापित करके लोगों को बेरोजगार किया गया और अब मशीनी युग में और भी अधिक तेजी […]

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