भारत के एक अधिकार विहीन लेकिन अपनी सादगी के भीतर छिपे अधिकार संपन्न प्रधानमंत्री के अवसान का समय आ गया है। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह जा रहे हैं, लेकिन शिकन उनके चेहरे पर न होकर सोनिया गांधी के चेहरे पर हैं। डा. मनमोहन सिंह को राजनीतिक अधिकार विहीन करके बैठाया गया और ‘सोनिया कीर्तन मंडली’ ने […]
लेखक: डॉ॰ राकेश कुमार आर्य
मुख्य संपादक, उगता भारत
राकेश कुमार आर्य(पिछले दिनों 26 मार्च को अपनी बार एसोसिएशन के अधिवक्ता साथियों के साथ फतेहपुर सीकरी जाने का मुझे सौभाग्य मिला। हमारे 46 सदस्यीय यात्री दल का नेतृत्व बार एसोसिएशन के अध्यक्ष श्री महीपाल सिंह भाटी कर रहे थे। जिसमें मुझसे अलग अधिवक्ता साथियों में प्रमुख नाम थे-श्री जयपाल सिंह नागर, श्री ऋषिपाल भाटी, […]
जब किसी विद्वान ने हिंदी साहित्य के लिए तन, मन और धन के शब्द के समुच्चय को दिया होगा तो सचमुच उसने हिंदी साहित्य की बहुत बड़ी सेवा की थी। ये तीन शब्द भारत की ही नही अपितु विश्व की भी समग्र व्यवस्था को अपने आप में निहित करने वाले सार्थक शब्द हैं। परिवार से […]
राकेश कुमार आर्य मनु महाराज ने मनुस्मृति (7/14) में लिखा है :- दण्ड: शास्ति प्रजा: सर्वा दण्ड एवाभिरक्षति। दण्ड: सुप्तेषु जागर्ति दण्डं धर्मम बिदुर्बुधा:। अर्थात दण्ड ही है जो सब प्रजा पर शासन करता है, दण्ड ही जनता का संरक्षण करता है, सोते हुओं में दण्ड ही जागता है, अर्थात दण्ड के भय से चोरी-जारी […]
राकेश कुमार आर्यभारत पर आक्रमण करने के पीछे मुस्लिम आक्रांताओं का उद्देश्य भारत में लूट, हत्या, बलात्कार, मंदिरों का विध्वंस और दांव लगे तो राजनीतिक सत्ता पर अधिकार स्थापित करना था। अत: भारतीयों ने भी इन चारों मोर्चों पर ही अपनी लड़ाई लड़ी। जहां मुस्लिमों ने केवल लूट मचायी वहां कितने ही लोगों ने लूट […]
भारत में आर्यों को विदेशी बताने वालों ने ही यहां गोरे-काले अथवा आर्य-द्राविड़ का भेद उत्पन्न किया। जिससे यह बात सिद्घ हो सके कि भारत में तो प्राचीन काल से ही गोरे-काले का भेद रहा है और यहां जातीय संघर्ष भी प्राचीन काल से ही रहा है। इसके लिए देवासुर संग्राम को या आर्य दस्यु […]
आस्टे्रलियाई पत्रकार मेक्सवेल से भी पहले सावरकर ने हमें बताया थानेहरू के कारण हम चीन से हारे राकेश कुमार आर्य जितना यह सत्य है कि अहिंसा की रक्षा हिंसा से होती है, उतना ही यह भी सत्य है कि सत्य की रक्षा शस्त्र से होती है। आजादी के बाद उभरे हमारे नेतृत्व ने भारत के […]
वेद ने राष्ट्र को गौमाता के समान पूजनीय और वंदनीय माना है। वेद का आदेश है कि मैं यह भूमि आर्यों को देता हूं। वेद ऐसा संदेश इसलिए दे रहा है कि वह संपूर्ण भूमंडल को ही आर्य बना देना चाहता है। परंतु संसार को आर्य बनाने से पूर्व वेद की दो शर्तें हैं। उन […]
हमारे देश के संविधान के विषय में समय-समय पर कुछ लोगों को आपत्तियां होती रही हैं, डा. बी.आर. अंबेडकर ने संविधान सभा के अंतिम दिन जो भाषण दिया था वह हमारे लिए बहुत कुछ मार्गदर्शन कर सकता है। इस भाषण में डा. बी.आर. अंबेडकर ने कई शंकाओं का समाधान प्रस्तुत किया। जिसे ध्यान से पढऩे […]
आसाम-अर्थात पूर्वी भारत का अंतिम छोर। जी हां, ये वही पुराना कामरूप है जहां कभी सूर्य सबसे पहले आकर अपनी किरणें बिखेरता था, आज यह सौभाग्य चाहे अरूणांचल प्रदेश को मिल रहा है, पर हमें यह नही भूलना चाहिए कि आज का अरूणांचल प्रदेश भी पुराने आसाम का ही एक भाग है। पूर्व दिशा प्रकाश […]